सरकारी क्षेत्र की खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अपने खदान निकास से आपूर्ति स्थल तक कोयले के परिवहन के लिए 35 निविदाएं जारी की है। कंपनी ने एक सार्वजनिक वक्तव्य में कहा कि इसके लिए अनुमानित निवेश 12,500 करोड़ रुपये का हो सकता है। इन 35 परियोजनाओं की क्षमता 40.6 करोड़ टन सालाना की होगी। इनमें से प्रत्येक खनन परियोजना की उत्पादन क्षमता सालाना 40 लाख टन और उससे ऊपर की है। सीआईएल के वक्तव्य में कहा गया है कि खर्च का प्रबंध कंपनी की पूंजीगत व्यय से इतर किया जाएगा।
सीआईएल ने कहा कि उसकी छह सहायक कंपनियों में निविदा के तहत कोयला हैंडलिंग संयंत्रों और तेजी से लदान प्रणाली के लिए साइलो को भी शुरू किया जाएगा। इनमें कोयले के टुकड़े करने और उसे आकार देने के लिए तथा तेजी से कंप्युटरीकृत लदान के लिए अतिरिक्त सुविधाएं होंगी।
कंपनी के वक्तव्य में कहा गया है, ‘इसका एक और लाभ यह होगा कि कम मानव हस्तक्षेप से सटीक मात्रा में कोयले की पहले से तौली हुई मात्रा का लदान किया जा सकेगा। इससे बेहतर गुणवत्ता वाले कोयले की लदान में भी मदद मिलेगी।’
सीआईएल के वक्तव्य में कहा गया है, ‘यांत्रिक परिवहन के तहत कोयले को पाइप कन्वेयर बेल्ट मोड के जरिये चढ़ाया जाएगा जिससे स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा मिलेगा। सड़कों पर कोयला लदे ट्रकों की आवाजाही में कमी आने से खदानों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए धूल कण का प्रदूषण उनके अनुकूल स्तर पर आ जाएगा। सीआईएल राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान (नीरी), कोलकाता के माध्यम से विशेष तौर पर इन परियोजनाओं के पर्यावरणीय पहलुओं के फायदों के आकलन और परिमाणित करने के लिए एक अध्ययन करवा रही है।’
फिलहाल सीआईएल कोयला परिवहन लागतों पर 3,400 करोड़ रुपये खर्च करती है। यांत्रिक कोयला परिवहन की व्यवस्था शुरू होने पर लागत में कमी आएगी। सीआईएल ने कहा कि यांत्रिक परिवहन साधनों को अपनाने के बाद उसे रिटर्न की करीब 12 फीसदी आंतरिक दर हासिल होगी।
कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा, ‘लदान के समय में सुधार होने से वैगन को बेकार खड़ा नहीं रखना होगा जिससे उसकी उपलब्धता बढ़ेगी। सड़क नेटवर्कों पर भार में कमी लाने से डीजल की बचत होगी साथ ही इसका सकारात्मक पर्यावरणीय असर भी होगा। यह कंपनी, रेलवे, उपभोक्ताओं और खदानों के आसपास बसे ग्रामीणों सभी के लिए एक सकारात्मक स्थिति होगी।’
यांत्रिक वाहक प्रणाली और कंप्यूटरीकृत लदान सीआईएल की 19 परियोजनाओं में परिचालित हो रही है जिनकी क्षमता 15.1 करोड़ टन सालाना की है। 35 नई परियोजनाओं के साथ 2023-24 तक क्षमता बढ़कर 55.7 करोड़ टन सालाना हो जाएगी।
