बजट में निवेश योजनाओं पर कराधान में किए गए बदलाव से कमोडिटी और अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) को फायदा होने की संभावना है। नए नियमों के अनुसार दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कराधान के लिए पात्र न्यूनतम होल्डिंग अवधि एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध परिसंपत्तियों के लिए 12 महीने है। अन्य सभी परिसंपत्तियों के मामले में यह 24 महीने है। इस वजह से सोना, चांदी और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी जैसी परिसंपत्तियों पर कराधान निवेश के माध्यम के आधार पर अलग अलग होगा।
जहां गोल्ड, सिल्वर और अंतरराष्ट्रीय ईटीएफ 12 महीने में 12.5 प्रतिशत एलटीसीजी कर के दायरे में आएंगे क्योंकि वे एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हैं वहीं पारंपरिक या म्युचुअल फंडों के जरिये इनमें निवेश करने वाले लोगों को एलटीसीजी लाभ पाने के लिए 24 महीने की अवधि पूरी होने का इंतजार करना होगा।
आयकर विभाग ने बुधवार को एक एफऐंडक्यू में कहा, ‘सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों की होल्डिंग अवधि अब एक साल होगी। इसलिए, बिजनेस ट्रस्टों (रीट्स, इनविट्स) की सूचीबद्ध यूनिटों के लिए होल्डिंग अवधि 36 महीने से घटाकर 12 महीने की गई है। सोने, गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों (गैर-सूचीबद्ध शेयरों के अलावा) की होल्डिंग अवधि भी 36 महीने से घटाकर 24 महीने की गई है।’
म्युचुअल फंडों के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार मौजूदा बदलाव से संकेत मिला है कि ईटीएफ को जिंस और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी के मामले में तरजीही कराधान का लाभ मिलेगा। उद्योग इस पर स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहा है।
कैपिटलमाइंड के मुख्य कार्याधिकारी दीपक शिनॉय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘नैस्डैक 100 का ईटीएफ केवल एक वर्ष बाद ही दीर्घावधि हो जाता है। (लेकिन नैस्डैक फंड ऑफ फंड केवल दो साल बाद ही दीर्घावधि होता है)।
सभी सूचीबद्ध प्रतिभूतियां, बॉन्ड आदि (बॉन्ड ईटीएफ या सूचीबद्ध डेट फंडों को छोड़कर) 1 वर्ष के बाद दीर्घावधि होते हैं। बॉन्ड ईटीएफ आदि हमेशा के लिए अल्पावधि होते हैं।’ एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने के बावजूद डेट ईटीएफ एलटीसीजी कराधान के पात्र नहीं होते।