ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2021 में भारत की इस्पात मांग 10-12 प्रतिशत तक घटने का अनुमान है, क्योंकि कोरोनावायरस महामारी और उसके बाद लॉकडाउन का पहले से ही कमजोर खपत पैटर्न पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। देश में इस्पात के लिए मंदी की स्थिति से खपत पहले ही प्रभावित हो चुकी है।
लॉजिस्टिक संबंधी समस्याओं, मानव श्रम की किल्लत, कम मांग और इन्वेंट्री बढऩे के जोखिम को देखते हुए कई छोटी एवं मझोली कंपनियों ने वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में अपना परिचालन बंद कर दिया और बड़ी कंपनियों को अपने उत्पादन में कमी लाने के लिए बाध्य होना पड़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में, वित्त वर्ष 2020 की समान अवधि के मुकाबले तैयार इस्पात का उत्पादन 49 प्रतिशत तक घटा और खपत में 53 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई।
हालांकि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में भारतीय इस्पात बाजार में सुधार के कुछ संकेत दिखने लगे हैं, क्योंकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग सुधरी है और सेमी-फिनिश्ड उत्पादों के निर्यात का स्तर बढ़ा है।
वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में फिनिश्ड श्रेणी के इस्पात का उत्पादन सिर्फ 2 प्रतिशत तक घटा है, जबकि खपत में वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही की तुलना में 10 प्रतिशत की कमी आई है। इससे पहली तिमाही के प्रदर्शन से सुधार का संकेत मिलता है।
वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही के दौरान निर्यात बिक्री में शानदार वृद्घि दर्ज की गई थी।
घरेलू और निर्यात बाजारों, दोनों में कमजोर इस्पात मांग को देखते हुए एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 2021 में उद्योग के क्षमता इस्तेमाल स्तरों में करीब 62 प्रतिशत की कमी आएगी।
वित्त वर्ष 2020 में कच्चा इस्पात उत्पादन 3 प्रतिशत तक बढ़कर 10.9 करोड़ टन पर रहा, जो वित्त वर्ष 2019 में 10.7 करोड़ टन था।
वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में कच्चा इस्पात उत्पादन वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही के मुकाबले 21 प्रतिशत तक घट गया।
ग्रामीण आय के लिए सरकार के समर्थन के साथ साथ आगामी त्योहारी सीजन से संबंधित खपत से दूसरी छमाही में खपत-केंद्रित निर्माण के लिए मांग में बड़ा सुधार लाने में मदद मिलेगी।
