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चीन की बाधाओं से समुद्री खाद्य निर्यात को झटका

Last Updated- December 11, 2022 | 11:51 PM IST

भारत से विदेश भेजे जाने वाले समुद्री उत्पादों की खेप को चीन के गैर शुल्क बाधाओं से जूझना पड़ रहा है। इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि यह भारत के निर्यातकों के लिए चिंता का विषय है।
निर्यातक इस समय कंटेनर की कमी और ज्यादा ढुलाई लागत की दोहरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में आयातित समुद्री खाद्य कंसाइनमेंट की चीन के स्थानीय प्राधिकारियों के स्तर पर कोविड-19 की टेस्टिंग ने पिछले 2 महीने से चली आ रही अस्थिरता को और बढ़ा दिया है। चीन के बंदरगारों पर कंटेनरों को रोक लिया जा रहा है, जिसकी वजह से निर्यातकों को भारी विलंब शुल्क देना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही चीन के आयातक हरी झंडी मिल चुकी खेपों का भुगतान नहीं कर रहे हैं, यह भी बड़ा मसला है।
एक सूत्र ने कहा, ‘चीन ने परीक्षण व्यवस्था पेश की है, जो दुनिया में कहीं भी नहीं है। इसके अलावा उत्पादों की जांच का वक्त भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया है। इसकी वजह से खेपों को मंजूरी मिलने में देरी हो रही है और उत्पाद खराब हो रहे हैं।’
चीन के प्राधिकारियों ने समुद्री खाद्य उत्पादों के पैकेजिंग की सामग्री के ऊपर ‘डेड न्यूक्लिक एसिड रेमनेंट्स’ यानी मृत न्यूक्लिक एसिड के अवशेष पाए जाने को लेकर चिंता जताई है। भारत के निर्यातकों और सरकारी अधिकारियों ने कहा कि समुद्री खाद्य उद्योग कोविड संबंधी सभी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसी और देश ने समुद्री उत्पादों के आयात को लेकर इस तरह की चिंता जाहिर नहीं की है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘सामग्री में न्यूक्लिक एसिड पाए जाने का मतलब यह नहीं है कि इससे कोई बीमारी हो सकती है क्योंकि यह पूरा वायरस नहीं है। वैज्ञानिक साक्ष्यों में साफ कहा गया है कि कोविड-19 वायरस का न्यूक्लिक मैटेरियल अगर उपस्थित भी रहता है तो इससे मानव को कोई बीमारी नहीं हो सकती है। इसके अलावा प्राधिकारियों द्वारा कोई जांच रिपोर्ट मुहैया नहीं कराई गई है।’  
भारत के अधिकारियों ने चीन के सीमा शुल्क अधिकारियों से कहा है कि आयातित समुद्री खाद्य की खेपों की कोविड-19 न्यूक्लिक मैटेरियल के लिए जांच रोकी जानी चाहिए। समुद्री उत्पादों के निर्यात के मामले में चीन, भारत के प्रमुख बाजारों में से एक है। भारत अपने कुल समुद्री उत्पाद निर्यात के पांचवें हिस्से का निर्यात चीन को करता है। चीन रिबन फिश, क्रोकर और अन्य कम मूल्य की मछलियों का एकमात्र बाजार है। ऐसी वस्तुओं के निर्यात पर रोक से भारत के पश्चिमी तटों के मछुआरा समुदाय प्रभावित होगा। इसके पहले के वित्त वर्ष में भारत ने 4.42 अरब डॉलर के झींगे का निर्यात किया था। अप्रैल-अगस्त के दौरान 503 अरब डॉलर के समुद्री उत्पादों का निर्यात पड़ोसी देशों को हुआ है।
जानकारी के मुताबिक भारत के अलावा अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी विश्व व्यापार संगठन में मसला उठाया है।

First Published - October 31, 2021 | 11:19 PM IST

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