facebookmetapixel
डिजिटल बाजार में बवाल! वित्त समिति ने सरकार से मांगी कार्रवाई रिपोर्टकेंद्र से गेहूं का 140 प्रतिशत अधिक स्टॉक रखने का अनुरोधजयशंकर का बड़ा दावा: ग्लोबल साउथ को भूख, उर्वरक और ऊर्जा संकट से बचाने के लिए अब कदम उठाना जरूरीहर 10 में से 4 रूफटॉप सोलर आवेदन हुए खारिज, सिबिल स्कोर बना बड़ी वजहपीयूष गोयल का बड़ा दावा: अमेरिका के साथ ईंधन व्यापार बढ़ाकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगीशिप निर्माण और समुद्री इकोसिस्टम को नई रफ्तार, केंद्र ने शुरू की मेगा योजनामीशो-फ्लिपकार्ट पर त्योहारी बिक्री में तूफान! छोटे शहरों से 70% ऑर्डर, रिकॉर्ड ग्राहक संख्यारूस से कच्चे तेल का आयात सितंबर में बढ़ने की संभावनाविराट कोहली फिर बने भारत के सबसे मूल्यवान सेलेब्रिटी; रणवीर और शाहरुख भी टॉप परराहुल गांधी का पीएम मोदी पर हमला: विदेश नीति निजी ‘दोस्ती’ से नहीं चलेगी

H-1B वीजा फीस बढ़ने से रुपये पर दबाव, डॉलर के मुकाबले 88.75 के नए निचले स्तर पर आया रुपया

Rupee vs Dollar: डीलरों ने कहा कि भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क से रुपये पर पहले से ही दबाव है और वीजा शुल्क वृद्धि से दबाव और बढ़ गया।

Last Updated- September 23, 2025 | 10:43 PM IST
Rupee vs Dollar

अमेरिका में एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाए जाने से भारत के आईटी क्षेत्र का मार्जिन और बाहर से देश में धनप्रेषण प्रभावित हो सकता है, जिसका असर रुपये पर पड़ा है। रुपया आज प्रति डॉलर 88.75 के नए निचले स्तर पर आ गया। डीलरों ने कहा कि भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क से रुपये पर पहले से ही दबाव है और वीजा शुल्क वृद्धि से दबाव और बढ़ गया। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 88.31 पर बंद हुआ था।

आईएफए ग्लोबल के संस्थापक और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि से भारत के आईटी निर्यात मार्जिन और धनप्रेषण प्रवाह को खतरा है जबकि भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क से व्यापार भावना पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा अमेरिका में प्रस्तावित हायर कानून में आउटसोर्सिंग भुगतान पर 25 फीसदी कर लगाने और ऐसे भुगतानों को कर कटौती की अनुमति नहीं देने की बात कही गई है। भारत के आईटी राजस्व का आधे से ज्यादा हिस्सा अमेरिकी ग्राहकों से आता है इसलिए इस विधेयक के मूल स्वरूप में पारित होने पर प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण कम हो सकता है और मार्जिन घट सकता है। इससे आउटसोर्सिंग ठेके पर नए सिरे विचार करने का दबाव हो सकता है।’

विशेषज्ञों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सीमित हस्तक्षेप के कारण रुपया आगे और नरम होकर दिसंबर के अंत तक 89 से 89.50 प्रति डॉलर तक जा सकता है। ऐसा लग रहा है कि केंद्रीय बैंक अमेरिकी शुल्क से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अवमूल्यन की अनुमति दे रहा है। रुपया अगर प्रति डॉलर 89 के स्तर को पार करता है तो निकट भविष्य में यह 89.50 के करीब जा सकता है।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘दिसंबर के अंत तक रुपये के 89 से 89.50 प्रति डॉलर के आसपास रहने की उम्मीद है। आरबीआई अमेरिकी शुल्क के कारण हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए रुपये को थोड़ा कमजोर होने दे रहा है। हालांकि डॉलर भी नरम पड़ रहा है जिससे रुपये को समर्थन मिलना चाहिए लेकिन घरेलू मुद्दे उस प्रभाव से ज्यादा हैं।’

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘हमें इंतजार करना होगा क्योंकि एक तरफ धन प्रवाह कम होगा लेकिन दूसरी तरफ आउटसोर्सिंग बढ़ेगी। इसलिए शुद्ध प्रभाव का आकलन अभी बाकी है।’
चालू वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपये में 3.70 फीसदी की गिरावट आई है जबकि चालू वर्ष में यह 3.54 फीसदी नरम हुआ है। सितंबर में अभी तक रुपये में 0.61 फीसदी की गिरावट आई है।

First Published - September 23, 2025 | 10:36 PM IST

संबंधित पोस्ट