सोमवार के कारोबारी सत्र के दौरान रुपया लगातार तीसरे दिन मजबूत हुआ। इसकी वजह यह है कि डॉलर सूचकांक फिर 0.2 फीसदी गिरकर 103.5 पर पहुंच गया और यह पिछले सप्ताह हासिल 5 माह के निचले स्तर पर बना हुआ है। डीलरों का कहना है कि निर्यातकों और विदेशी बैंकों द्वारा डॉलर की बिकवाली से रुपये को और मजबूती मिली।
डॉलर सूचकांक से 6 प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की स्थिति का पता चलता है। दिन के दौरान रुपया मजबूत होकर 86.76 प्रति डॉलर पर पहुंचा, जो 3 सप्ताह का उच्च स्तर है। उसके बाद यह थोड़ा गिरकर 86.80 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इसके पिछले सत्र में यह 87 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
डीलरों ने कहा कि ट्रेडर अब यूएस फेडरल रिजर्व की बैठक के परिणामों का इंतजार कर रहे हैं,जिससे डॉलर की आगे की गति का पता चल सके। आरबीएल बैंक के ट्रेजरी प्रमुख अंशुल चांडक ने कहा, ‘मुझे लगता है कि कुछ हस्तक्षेप भी हो रहा है। डॉलर सूचकांक रुपये के पक्ष में जा रहा है। हमें एफओएमसी पर नजर रखने की जरूरत है। हम यूएस फेड से ठहराव की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन इस पर नजर रखने की जरूरत है। इस समय वहां 50 आधार अंक की कटौती की उम्मीद की जा रही है, जो दो कटौती के माध्यम से इस कैलेंडर वर्ष में हो सकती है। ऐसे में जरूरी यह है कि प्रतिक्रियाओं और बीच के वक्त पर नजर रखी जाए।’
बाजार के भागीदारों ने कहा कि किसी भी प्रतिकूल अमेरिकी आर्थिक डेटा को छोड़ दें तो रुपये की गति स्थिर बने रहने की उम्मीद है। इस सप्ताह प्रमुख अमेरिकी आर्थिक घोषणाओं में खुदरा बिक्री की स्थिति, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक और उसके बाद का बयान शामिल है।
एक सरकारी बैंक से जुड़े डीलर ने कहा कि 86.60 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर मजबूत प्रतिरोध है और नीचे हम 87 रुपये प्रति डॉलर तक उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी आवक देख रहे हैं, जिसके बने रहने की उम्मीद है।’