सोमवार को रुपये ने सीमित दायरे में कारोबार किया और यह 78.81 प्रति डॉलर के अपने रिकॉर्ड निचले स्तर के आसपास रहा। डीलरों ने बताया कि संभवतः भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप की वजह से रुपया सीमित दायरे में रहा। रुपया शुक्रवार के मुकाबले 88.78 प्रति डॉलर पर सपाट रहा।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की डॉलर की अच्छृखासी मांग रही जो भारत से लगातार निकासी कर रहे हैं। इससे आरबीआई रुपये को फिलहाल 88.80 के स्तर पर बनाए रखने को मजबूर हुआ क्योंकि फ्रांसीसी प्रधानमंत्री के पदभार ग्रहण करने के एक दिन बाद ही इस्तीफा देने के कारण यूरो में गिरावट आ गई जिससे डॉलर सूचकांक में तेजी आई।’
उन्होंने कहा, ‘यदि व्यापार टकराव दूर नहीं हुआ तो रुपया जल्द ही 89 के स्तर को छू सकता है क्योंकि एफपीआई भारतीय शेयरों को बेचना जारी रखे हुए हैं और नए ऊंचे स्तर पर पहुंचते बाजारों में पैसा निकाल रहे हैं।’
बाजार कारोबारियों का कहना है कि टाटा कैपिटल के आईपीओ से जुड़े अपेक्षित सब्सक्रिप्शन से डॉलर की आवक नहीं हुई या फिर आए तो संभवतः बाजार की मांग में ही खप गए। टाटा कैपिटल का आईपीओ सोमवार को सब्सक्रिप्शन के लिए खोला, जिसका लक्ष्य 15,511 करोड़ रुपये जुटाना है। मंगलवार से एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का आईपीओ खुल रहा है जिसके जरिए 11,600 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।
डॉलर इंडेक्स 0.73 प्रतिशत बढ़कर 98.43 पर पहुंच गया। यह छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती मापता है। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘आयातकों के बीच डॉलर की मांग थी। दूसरी ओर, आरबीआई डॉलर बेच रहा था, इसलिए रुपया सीमित दायरे में रहा।’
चालू वित्त वर्ष में अब तक रुपये में 3.74 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि चालू कैलेंडर वर्ष में इसमें 3.58 प्रतिशत की गिरावट रही। अक्टूबर में स्थानीय मुद्रा अभी तक स्थिर रही है और उसके मूल्य में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।