दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की वापसी में लंबी देरी की वजह से मिट्टी में नमी के कारण किसानों ने इस साल रबी की फसलों की बुआई की तेज शुरुआत की है और पिछले साल की तुलना में अब तक करीब 9.84 प्रतिशत बुआई पूरी हो चुकी है।
शुक्रवार तक के कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि रबी की फसल की बुआई करीब 265.4 लाख हेक्टेयर हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 98.4 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
रबी फसलों के तहत पिछले 5 साल में औसत सालाना बुआई का औसत 620.2 लाख हेक्टेयर रहा है, जिसका मतलब यह हुआ कि औसत सालाना रकबे की तुलना में अब तक 43 प्रतिशत बुआई हो चुकी है।
इसमें से रबी की मुख्य फसल गेहूं की बुआई का रकबा करीब 97.2 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 0.51 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं भारत की सबसे बड़ी दलहन फसल चने की बुआई करीब 57.4 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा है।
रबी की मुख्य तिलहन फसल सरसों की बुआई का रकबा करीब 52.2 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 8.83 प्रतिशत ज्यादा है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बयान में कहा, ‘हमारे किसान बहुत शानदार काम कर रहे हैं और केंद्र सरकार भविष्य में देश में कृषि क्षेत्र की बेहतरी सुनिश्चित करने का काम करेगी।’
बहरहाल 2020 में दक्षिण पश्चिमी मॉनसून पिछले कुछ वर्षों की तुलना में बहुत बेहतर रहा है।
आंकड़ों से पता चलता है कि जून से सितंबर के दौरान बारिष औसत से 9 प्रतिशत ज्यादा थी, जिसकी वजह से लगातार दूसरे साल सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। ऐसा करीब 60 साल में पहली बार हुआ है। 2019 में भी दक्षिण पश्चिम मॉनसून के कारण हुई बारिश सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा थी।
इसके पहले भारत में करीब 60 साल पहले 1958 और 1959 में राष्ट्रीय स्तर पर औसत से ज्यादा बारिश हुई थी।
देश के 685 जिलों में से करीब 75 प्रतिशत जिलों में मॉनसून सामान्य था, जबकि शेष जिलों में कम या सामान्य से कम बारिश हुई है। जिन जिलों में सामान्य से कम या मामूली बारिश हुई है, उनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व उत्तर भारत के अन्य राज्य शामिल हैं।
कुल मिलाकर 36 मॉनसून उप क्षेत्रों मेंं से सिर्फ 5 में कम बारिश हुई है, जबकि शेष में सामान्य बारिश हुई है।
सितंबर में मॉनसून सत्र खत्म होने के बाद भी बारिश जारी रही और अंतिम में अक्टूबर में मॉनसून पूरी तरह से वापस लौटा। इसकी वजह से मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रही और रबी की फसलों की पहले बुआई शुरू हो सकी।
