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चीन में महंगा हुआ पेट्रोल तो कच्चा तेल चला नीचे की ओर

Last Updated- December 07, 2022 | 6:44 AM IST

शुक्रवार को वैश्विक तेल की कीमतों में एक डॉलर से अधिक की वृध्दि हुई और प्रति बैरल कीमत लगभग 134 डॉलर के इर्द गिर्द रही।


गुरुवार को चीन द्वारा ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी किए जाने से अनुमान लगाया जाने लगा कि तेल की मांग में कमी आ सकती है, इससे तेल की कीमतों में 5 डॉलर की गिरावट देखी गई थी। अमेरिका के बाद चीन कच्चे तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है।

भारत, इंडोनेशिया, मलयेशिया और श्रीलंका द्वारा पेट्रोल और डीजल पर दिए जाने वाले छूट में कटौती करने के बाद चीन ने भी यही रुख अक्ष्तियार किया है। चीन ने पेट्रोल, डीजल और हवाई ईंधन की कीमतों में 18 प्रतिशत तक की वृध्दि की है। औद्योगिक सूत्रों का मानना है कि ईधन की कीमतों में बढ़ोतरी करने से चीन की मुद्रास्फीति की दर में एक प्रतिशत की वृध्दि हो सकती है जो वर्तमान में 12 साल के उच्चतम स्तर 7.7 पर है।

हालांकि, विश्लेषक कहते हैं चीन में ईंधन की कीमतों में हुई वृध्दि से तेल की मांग में कमी नहीं आएगी। दिल्ली के एक विश्लेषक ने कहा, ‘मांग मूल्य निरपेक्ष है। विकसित होती अर्थव्यवस्था में कार मालिकों की बढ़ती संख्या से मांग में मजबूती बनी रहेगी। 4 जून को भारत ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में लगभग 10 प्रतिशत की वृध्दि की थी, मुद्रास्फीति की दर को 13 साल के उच्चतम स्तर 11.05 प्रतिशत पर पहुंचाने में इसका बड़ी भूमिका है।

मुद्रास्फीति की उच्च दर से इन देशों के केंद्रीय बैंकों पर ब्याज दरें बढ़ाने तथा महंगाई को कम करने के लिए विकास से संबंधित जोखिम उठाने का दबाव बढ़ता जा रहा है। चीन और भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वालों में से है। इंडोनेशिया, मलयेशिया और श्रीलंका ने ऑटोमोबाइल ईधन की कीमतों में बढ़ोतरी की है क्योंकि फरवरी में भारत में ईंधन की कीमतों में की गई बढ़ोतरी के बाद कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 50 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी हुई है।

First Published - June 20, 2008 | 11:55 PM IST

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