खनन मंत्रालय ने चूना पत्थर को प्रमुख खनिज में शामिल किया है। मंत्रालय ने कहा कि नीति आयोग द्वारा पिछले साल गठित एक अंतर मंत्रालयी समिति की सिफारिशों के बाद इसे एक प्रमुख खनिज के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया है। यह वर्गीकरण 10 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी होगा।
इस समय चूना पत्थर लघु खनिज रियायत नियमों के तहत लघु खनिज के रूप में सूचीबद्ध है। यह लघु खनिज को निकालने के लिए राज्य स्तर के नियम के अधीन था। प्रमुख खनिज के रूप में अधिसूचित होने के बाद चूना पत्थर अब खान और खनिज (विकास व विनियमन) अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के तहत केंद्रीय निरीक्षण में आ गया है।
अंतर मंत्रालयी समिति ने प्रकाश डाला था कि चूना पत्थर देश के कई हिस्सों में व्यापक रूप से उपलब्ध है और इसका प्रमुख उपयोग सीमेंट, रसायन, उर्वरक, स्मेल्टर और चीनी निर्माण जैसे बड़े पैमाने के उद्योगों में होने लगा है।
नवंबर 2024 में प्रस्तुत समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि चूना पत्थर को एक प्रमुख खनिज के रूप में माना जा सकता है और चूना पत्थर के सभी लघु खनिज पट्टों को प्रमुख खनिज पट्टों के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। प्रमुख खनिजों में कोयला, लिग्नाइट, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि शामिल हैं। इन्हें राष्ट्रीय महत्त्व वाले खनिज की श्रेणी में रखा गया है और केंद्र के नियमों के अधीन आते हैं।
वहीं लघु खनिजों में संगमरमर, स्लेट, शैल आदि शामिल हैं, जिनका स्थानीय उपयोग होता है और वे संबंधित राज्य कानूनों के तहत आते हैं। नए दिशानिर्देशों के तहत लघु खनिज पट्टों के रूप में दिए गए सभी मौजूदा चूना पत्थर खनन पट्टों को 31 मार्च, 2026 तक भारतीय खान ब्यूरो के साथ पंजीकरण करना होगा। तब तक वे मौजूदा दरों पर अपने संबंधित राज्य सरकारों को रॉयल्टी का भुगतान करना जारी रखेंगे। राज्य सरकारों द्वारा अनुमोदित खनन योजना 31 मार्च, 2027 तक या उनकी समाप्ति तक, जो भी पहले हो, मान्य रहेंगी।
इस तिथि के बाद खनन जारी रखने के लिए, पट्टेदारों को अनुमोदन के लिए भारतीय खान ब्यूरो के पास नई खनन योजनाएं प्रस्तुत करनी होंगी।