फसल के उत्पादन के सही आंकड़े समय से जारी करने के लिए कुछ राज्यों के कृषि शोध संस्थानों ने प्रक्रिया की सटीकता से समझौता किए बगैर फसलों की कटाई के प्रयोगों (CCE) की संख्या में कटौती करने का प्रस्ताव रखा है। इस विधि से हर फसल की उपज का अनुमान लगाया जाता है।
इस सिलसिले में विभिन्न स्तरों पर अध्ययन कराए जा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि इससे पता चलता है कि उत्पादकता का सही अनुमान CCE की संख्या घटाकर भी लगाया जा सकता है। अभी राज्यों की एजेंसियां उत्पादकता का अनुमान लगाने के लिए प्रत्येक फसल के लिए जिला स्तर पर 9,00,000 से 10,00,000 लाख CCE कराती हैं, जिसे घटाकर 1,00,000 करने पर भी सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
ये CCE राज्य स्तर पर कराए जा सकते हैं, जबकि इस समय यह ब्लॉक या जिला स्तर पर कराया जाता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने कई मॉडल पर काम किया है, जिससे पता चलता है कि अगर हम CCE की संख्या कम कर दें और इसे राज्य स्तर पर किया जाए तो अग्रिम अनुमान और अंतिम उत्पादन के आंकड़े के बीच लगने वाले वक्त को कम कर सकते हैं।’
इसके अलावा सरकार ने एक मोबाइल ऐप्लीकेशन और पोर्टल भी पेश किया है, जिस पर CCE सीधे जीपीएस सक्षम फोटो कैप्चर और ऑटोमेटेड फील्ड सेलेक्शन को अपलोड कर सकती हैं।
भारत में सरकार सामान्यतया अनाज व अन्य प्रमुख फसलों के 4 अग्रिम अनुमान जारी करती है। इसी तरह से बागवानी फसलों और यहां तक कि पशुधन से उत्पादन के अग्रिम अनुमान भी जारी किए जाते हैं।
बहरहाल अग्रिम अनुमान और अंतिम उत्पादन के आंकड़े आने में लगने वाला वक्त बहुत ज्यादा हो जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अनिवार्य CCE की संख्या में कटौती करने से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि उत्पादकता का अनुमान वक्त पर आएगा और सरकार को समय से फैसला लेने व अन्य नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
फसल का अनुमान लगाने के लिए CCE एक जांची परखी गतिविधि है। जिसमें किसानों के खेत से नमूने लिए जाते हैं। इसमें तय आकार के खेतों में की जाने वाली खेती की फसल को काटा जाता है।