भारत कच्चे तेल पर छूट के लिए शीघ्र ही इराक और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से बातचीत करेगा। सूत्रों के मुताबिक भारत रूस से मिल रही छूट की तरह इन दोनों देशों से निश्चित दर की छूट को लेकर बातचीत करेगा।
कई अधिकारियों और उद्योग के दिग्गजों के मुताबिक भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता इराक अनुमानित छूट के मामले भारतीय तेल शोधन इकाइयों से बातचीत करना चाहता है। भारत ने रूस से सस्ता मिलने के कारण ज्यादा तेल खरीदना शुरू कर दिया था जिससे उसी अनुपात में भारत का पश्चिमी देशों से तेल खरीदना कम हो गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि इराक, सऊदी अरब और यूएई से तेल की आपूर्ति कम हो गई है।
हालांकि रूस के यूराल स्तर के कच्चे तेल का कारोबार 60 डॉलर प्रति स्तर के करीब हुआ है और इससे परे कारोबार करने पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ता। भारत को अप्रैल के बाद से ज्यादातर रूसी कच्चे तेल की बिक्री दुबई बेंचमार्क पर हुई है और इस पर औसतन 8-10 डॉलर प्रति बैरल छूट मिली है। आईओसीएल के अधिकारी ने बताया कि भारत की तेल कंपनियां इस भाव से कम पर तेल खरीदना चाहती हैं।
बेचने वाले छूट देने को तैयार
इराक ने जून में रूस से सस्ती दर पर कई तरह का कच्चा तेल मुहैया करवाया था। इराक ने रूस की तुलना में औसतन 9 डॉलर प्रति बैरल सस्ता कच्चा तेल उपलब्ध करवाया था। लिहाजा मूल्य को लेकर अत्यधिक संवदेनशील बाजार ने इराक से कच्चे तेल को खरीदना पसंद किया। जी-7 देशों ने रूस के कच्चे तेल पर 5 दिसंबर, 2022 तक 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगा रखा है जिससे इराक से कच्चा तेल खरीदने का रुझान कायम रहा।
हालांकि रूस ने कच्चे तेल के नए खरीदारों भारत और चीन को निरंतर आपूर्ति मुहैया करवाने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्यों का विकल्प मुहैया करवाया था। इसका कारण यह भी है कि यूरोप को आपूर्ति बंद होने के कारण रूस निर्यात की जाने वाली कच्चे तेल की मात्रा को बरकरार रखना चाहता है। लिहाजा यह रुझान कायम रहा।
कच्चे तेल की बॉस्केट को बढ़ाने की जरूरत
अधिकारियों के मुताबिक कच्चे तेल की नियमित आपूर्ति के लिए पश्चिम एशिया के बाहर से भी तेल खरीदा जाए। अन्य अधिकारी के मुताबिक भारत को इराक को तेल के मुख्य आपूर्तिकर्ता इराक के अलावा भी तेल की आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है।