देश में इस बार गन्ने का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। सीजन 2025-26 में गन्ने की फसल करीब 487 लाख टन (MT) तक पहुंच सकती है, जो पिछले वर्ष के 450.12 लाख टन से करीब आठ फीसदी अधिक है। यह अनुमान मौजूदा फसल की स्थिति और पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक 85 टन प्रति हेक्टेयर की औसत पैदावार के आधार पर लगाया गया है। गन्ने की कुल बुवाई इस बार 57.31 लाख हेक्टेयर हुई है। गन्ना का रकबा बढ़ने की वजह से इस साल चीनी के उत्पादन में 18 फीसदी की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) ने अनुमान लगाया है कि 2025-26 सीजन के दौरान भारत में सकल चीनी उत्पादन 18 प्रतिशत बढ़कर 34.90 लाख टन हो जाएगा । इस्मा ने सरकार से 2 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने और इथेनॉल उत्पादन के लिए 5 लाख टन चीनी आवंटित करने का आग्रह किया है। अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने भी अनुमान जताया है कि अनुकूल मौसम और बढ़े हुए क्षेत्रफल के कारण भारत का चीनी उत्पादन 25 फीसदी से अधिक बढ़कर 35.3 लाख टन तक जा सकता है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि इस साल गन्ने का रकबा पिछले साल के 55.68 लाख हेक्टेयर से 2.9 प्रतिशत अधिक है। जानकारों का कहना है कि अगले महीने जब पहला अनुमान जारी होगा, तो गन्ने के रकबे में सुधार देखने को मिलेगा। प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की बुवाई 11.96 लाख हेक्टेयर और कर्नाटक की 7.36 लाख हेक्टेयर रही है। वहीं सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में बुवाई मामूली घटकर 27.05 लाख हेक्टेयर रही है। पश्चिम भारत शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) के अध्यक्ष बी. बी. थोम्बरे का कहना है कि फसल की स्थिति अच्छी है और बांधों में पर्याप्त पानी होने से सिंचाई को लेकर कोई समस्या नहीं है। यदि सर्दियों में कुछ बारिश हो जाए तो पैदावार और बेहतर होगी।
थोम्बरे ने कहा कि महाराष्ट्र 2025-26 में 1.3 करोड़ टन चीनी का उत्पादन कर सकता है, जिसमें 12 लाख टन इथेनॉल के लिए अपेक्षित डायवर्जन भी शामिल है। उत्तर प्रदेश के मिल मालिकों को उम्मीद है कि चालू सीजन के 93 लाख टन से ज्यादा चीनी का उत्पादन करेंगे । तीसरे सबसे बड़े गन्ना और चीनी उत्पादक कर्नाटक में राज्य सरकार को उम्मीद है कि रकबे में वृद्धि के कारण चीनी उत्पादन उसके 63.76 लाख टन के लक्ष्य से अधिक होगा।
वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी. थोम्बरे ने कहा कि इस समय फसल बहुत अच्छी लग रही है। फसल को कोई खतरा नहीं है और अगर सर्दियों में थोड़ी बारिश होती है, तो इससे गन्ने को फायदा होगा। सिंचाई के लिए पानी मिलने की कोई चिंता नहीं है क्योंकि बांध भी भरे हुए हैं । मिलों ने राज्य सरकार से 15 अक्टूबर से पेराई शुरू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।