नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूपीआई (UPI) सेटलमेंट सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है। अब 3 नवंबर से ऑथराइज्ड और डिस्प्यूट सेटलमेंट को अलग-अलग किया जाएगा। एनपीसीआई का कहना है कि इस कदम से पेमेंट सिस्टम की कार्यप्रणाली और बेहतर होगी और रोजाना सेटलमेंट प्रक्रिया समय पर पूरी हो सकेगी।
अभी तक यूपीआई में दिनभर में 10 सेटलमेंट साइकिल होती हैं, जिनमें ऑथराइज्ड और डिस्प्यूट दोनों तरह के लेन-देन शामिल रहते हैं। लेकिन अब नए नियम के तहत:
1 से 10 नंबर तक की साइकिल में सिर्फ ऑथराइज्ड ट्रांजैक्शन ही शामिल होंगे। इन साइकिलों में कोई भी डिस्प्यूट प्रोसेस नहीं किया जाएगा। कट-ओवर टाइमिंग और RTGS पोस्टिंग टाइमलाइन पहले की तरह ही रहेंगी।
11 और 12 नंबर की साइकिल में केवल डिस्प्यूट ट्रांजैक्शन होंगे। यानी विवाद से जुड़े लेन-देन इन्हीं दो साइकिलों में प्रोसेस होंगे। इसके लिए NTSL फाइल नेमिंग में DC1 और DC2 (जहां DC का मतलब Dispute Cycle है) का इस्तेमाल होगा।
बाकी नियम जैसे सेटलमेंट टाइमिंग, रिकंसिलिएशन रिपोर्ट और जीएसटी रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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इसी के साथ एनपीसीआई ने पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजैक्शन लिमिट भी बढ़ा दी है। अब खास कैटेगरी में एक दिन में 10 लाख रुपये तक का भुगतान किया जा सकेगा। यह नियम 15 सितंबर से लागू हो चुका है। इसका उद्देश्य बड़े पेमेंट्स को आसान बनाना और हाई-वैल्यू सेगमेंट में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना है। हालांकि पर्सन-टू-पर्सन (P2P) ट्रांजैक्शन लिमिट फिलहाल 1 लाख रुपये प्रति दिन ही बनी रहेगी।