facebookmetapixel
अक्टूबर में IPO का सुपर शो! भारतीय शेयर मार्केट जुटा सकता है 5 अरब डॉलर, निवेशकों में जोशPPF vs RD: ₹1 लाख निवेश करने पर 10-15 साल में कितना होगा फायदा?RBI MPC MEET: आरबीआई का ब्याज दरों पर फैसला आज, होम, कार और पर्सनल लोन की EMI घटेगी?Fuel Prices: तेल कंपनियों ने 1 अक्टूबर से बढ़ाए कमर्शियल LPG और ATF के दामकेंद्र ने UPS पेंशन योजना की समय सीमा बढ़ाई, सभी कर्मचारी अब नवंबर तक चुन सकते हैं विकल्पStocks to Watch: Nestle India से लेकर Lupin, ICICI Bank और Oil India तक; आज इन स्टॉक्स में दिखेगा एक्शनStock Market Update: हरे निशान में खुला शेयर बाजार, सेंसेक्स 100 से ज्यादा अंक चढ़ा; निफ्टी 24650 के करीबमोतीलाल ओसवाल ने अक्टूबर 2025 के लिए चुने ये 5 तगड़े स्टॉक्स, निवेशकों के पास बढ़िया मौकाइन्फोपार्क से मिलेगी केरल के प्रगति पथ को और रफ्तारGVK के उत्तराधिकारी को एआई कॉल असिस्टेंट इक्वल से उम्मीद

महंगी पड़ेगी आयातित चीनी

Last Updated- December 10, 2022 | 8:18 PM IST

चीनी की कीमत को अंकुश में रखने की तमाम सरकारी कोशिशें विफल होती नजर आ रही हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में आयी गिरावट और ब्राजील में कच्ची चीनी की कीमत में बढ़ोतरी के मद्देनजर आयातित चीनी की लागत घरेलू चीनी से अधिक होगी।
लिहाजा मिल मालिक कच्ची चीनी के आयात से अपने पैर पीछे खींच रहे हैं। अब तक 8.5 लाख टन कच्ची चीनी का आयात हो चुका है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज के पदाधिकारियों के मुताबिक 15-20 दिनों पहले तक जिन्होंने कच्ची चीनी का आयात कर लिया, उन्हें फायदा हो सकता है।
लेकिन फिलहाल की स्थिति में कच्ची चीनी का आयात मिल मालिकों के लिए फायदे का सौदा नहीं है। फिलहाल ब्राजील में कच्ची चीनी की कीमत 335 डॉलर प्रति टन है। रुपये के हिसाब से यह कीमत करीब 17,300 रुपये प्रति टन होती है। प्रति टन यातायात खर्च 1500 रुपये बैठता है।
इसके अलावा कच्ची चीनी को सफेद बनाने के लिए बॉयलर चलाने की जरूरत होती है। मिल में काम बंद होने के कारण बॉयलर की कीमत इन दिनों मजबूती के साथ 250 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। इस प्रकार एक टन कच्ची चीनी को सफेद बनाने के लिए 2000 रुपये से अधिक की लागत आती है।
कुल मिलाकर आयातित सफेद चीनी की लागत प्रति टन 20,000 रुपये से अधिक आ रही है। जबकि घरेलू चीनी की लागत 19,000-19,500 रुपये प्रति टन है। बाजार सूत्रों के मुताबिक दो-चार महीनों के बाद आयातित चीनी बेचने की मंशा रखने वाली मिलों को ही कच्ची चीनी मंगाने का फायदा मिलेगा।
मिल मालिकों के मुताबिक सरकार स्टॉक सीमा तय कर सकती है, अपने बफर स्टॉक को जारी कर सकती है, कोटा में बढ़ोतरी कर सकती है लेकिन कीमत तय नहीं कर सकती है। और कोटा में कब तक बढ़ोतरी करेगी या फिर बफर स्टॉक के भरोसे कब तक चीनी की कीमत पर नियंत्रण रख पाएगी। क्योंकि इस साल (2008-09) अक्टूबर से सितंबर तक के लिए खपत व आपूर्ति में 80 लाख टन चीनी का अंतर हो रहा है।
मिल मालिकों के मुताबिक चीनी का उत्पादन किसी भी कीमत पर 150 लाख टन से अधिक नहीं होगा। चीनी उत्पादन में अग्रणी दो राज्य महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश में इस साल उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी तक की गिरावट है।
महाराष्ट्र में कुल उत्पादन 47 लाख टन तो उत्तर प्रदेश में 41 लाख टन रहने का अनुमान है। कर्नाटक में भी पिछले साल के मुकाबले चीनी उत्पादन में 11.5 लाख टन से अधिक की गिरावट की उम्मीद है। कर्नाटक व तमिलनाडु में इस साल 17-17 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना है।  
आखिर कैसे लगेगी कीमतों पर लगाम?
सरकार स्टॉक सीमा तय कर सकती है, अपने बफर स्टॉक को जारी कर सकती है, कोटा में बढ़ोतरी कर सकती है लेकिन कीमत तय नहीं कर सकती है।
ब्राजील में कच्ची चीनी की कीमत बढ़कर हुई 17,300 रुपये प्रति टन
यातायात खर्च 1500 रुपये प्रति टन
कच्ची चीनी सफेद करने का खर्च पड़ेगा 2000 रुपये प्रति टन
आयातित चीनी की कीमत हो जाएगी 20000 रुपये प्रति टन
घरेलू चीनी की कीमत 19,500 रुपये प्रति टन
15-20 दिन पहले जिन्होंने चीनी का आयात कर लिया, उन्हें हो सकता है फायदा

First Published - March 17, 2009 | 11:11 PM IST

संबंधित पोस्ट