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बारिश के बावजूद उत्तरी राज्यों में दोगुनी रफ्तार से जल रही है पराली

Last Updated- December 11, 2022 | 1:58 PM IST

फसल कटाई में देरी और उत्तर भारत से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की देर से वापसी के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं लगभग दोगुनी हो गई हैं। पर्यावरण को लेकर ज्यादा खतरे वाले राज्यों में 15 सितंबर से 6 अक्टूबर तक पराली जलाने की घटनाएं 801 हो गई हैं, जबकि 2021 में इसी समय के दौरान इसकी संख्या 407 थी। 
हालांकि पराली जलाने से वायु प्रदूषण के स्तर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है यह मुख्य रूप से बारिश के कारण स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन यह संख्या आने वाले दिनों के लिए अशुभ संकेत दे सकती है और यह अब तक अपनाए गए शमन प्रयासों पर एक बड़ा प्रश्न खड़ा करती है। 
ग्राउंड रिपोर्ट से पता चलता है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की देरी से वापसी के कारण उत्तर भारत में धान की कटाई अभी बाकी है।
बारिश ने खड़ी धान की फसलों में नमी की मात्रा बढ़ा दी है जिससे किसान उन्हें बेचने से पहले उन्हें उचित स्तर तक सुखाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में मौसम साफ होने के बाद ही फसल की कटाई हो सकती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा धान के अवशेष जलाने की घटनाओं की वास्तविक समय की निगरानी के अनुसार, धान उगाने वाले पांच राज्यों – पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में 15 सितंबर से 6 अक्टूबर तक 801 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई थीं। पिछले साल इसी अवधि के दौरान इसके खिलाफ 407 मामले दर्ज किए गए थे।  सितंबर के अंतिम माह से पराली को जलाना शुरू किया जाता है, इसलिए, अक्टूबर के मध्य से ऐसी घटनाएं रफ्तार पकड़ती हैं।  नवंबर के पहले और दूसरे सप्ताह सबसे खराब हैं। नवंबर के अंत तक जलाने की घटनाएं कम हो जाती हैं। पंजाब में पराली जलने की घटनाओं में 96 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जो 2021 में 320 से बढ़कर 630 हो गई। 2021 की तरह ही, इस साल 15 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच सबसे ज्यादा जलाने की घटनाएं अमृतसर और तरन तारन जिले में दर्ज की गईं। अमृतसर में ऐसी घटनाएं 190 से बढ़कर 419 हो गईं। तरन तारन में मामले 50 से बढ़कर 106 हो गए। हरियाणा में इस साल 74 मामलों के साथ जलने की घटनाओं में 200 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि 2021 में 24 घटनाओं की रिपोर्ट की गई थी। हरियाणा में भी सबसे ज्यादा मामले कुरुक्षेत्र और करनाल जिले में सामने आए। 
अमृतसर में पराली जलाने की घटनाएं दोगुनी होकर 13 से 26 हो गईं। करनाल में भी मामले पांच से बढ़कर 19 हो गए।
मध्य प्रदेश में इस बार सात मामलों के साथ पराली जलाने की संख्या में 30 फीसदी की गिरावट देखी गई।  पिछले साल इसके 10 मामले दर्ज किए गए थे।
इस बीच उत्तर भारत में बारिश के और भी लंबे समय तक रहने की उम्मीद है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को जारी अपने हालिया मौसम अपडेट में कहा कि अगले 4-5 दिनों के दौरान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में भारी बारिश जारी रहने की संभावना है।
मौसम विभाग ने कहा कि अगले 3-4 दिनों के दौरान तमिलनाडु, कर्नाटक के कुछ जिलों, आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों और रायलसीमा में भी अच्छी बारिश हो सकती है। बारिश से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्वानुमान मॉडल, वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एक्यूईडब्ल्यूएस), दिल्ली के अनुसार, बारिश और तेज पूर्वी हवाओं के कारण दिल्ली में वायु गुणवत्ता में और सुधार होने की संभावना है, जिससे यह संतोषजनक और अच्छी वायु गुणवत्ता के बीच होगी। पीएम10 और पीएम 2.5 का वायु गुणवत्ता सूचकांक अच्छी श्रेणी में रहने की संभावना है। 
एक्यूईडब्ल्यूएस ने कहा कि शनिवार और रविवार को वायु गुणवत्ता अच्छी श्रेणी में रहने की संभावना है। वायु गुणवत्ता सोमवार को संतोषजनक श्रेणी में रहने की संभावना है। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि कि दिल्ली पिछले साल के विपरीत अक्टूबर के अंत तक अत्यधिक प्रदूषण की घटनाओं से इस बार बच सकती है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की प्रदूषण निगरानी प्रणाली ने कहा कि शुरुआत में ही दिवाली से प्रदूषक देर तक जमा हो सकते हैं। अगर ठंड नहीं होती है, तो इसका अनुमान लगाया जा सकता है। 

First Published - October 7, 2022 | 11:12 PM IST

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