चालू रबी सीजन में गेहूं की बोआई में 25 फीसदी बढ़ोतरी देखी जा रही है। बोआई में इतनी बढ़ोतरी के बावजूद गेहूं के दाम घट नहीं रहे हैं, उल्टे इस साल गेहूं के थोक भाव उत्पादन घटने की वजह से करीब 22 फीसदी चढ चुके हैं। इस दौरान आटा भी 20 फीसदी से ज्यादा महंगा हुआ है।
इस साल गेहूं के उत्पादन में महज 2.5 फीसदी कमी दर्ज की गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले रबी सीजन यानी वर्ष 2021-22 के दौरान 10.68 करोड़ टन गेहूं पैदा हुआ, जो वर्ष 2020-21 के उत्पादन 10.95 करोड़ टन से महज 2.5 फीसदी ही कम है। गेहूं उत्पादन घटने से गेहूं की सरकारी खरीद वर्ष 2021-22 में 14 साल के निचले स्तर 187.92 लाख टन पर रह गई, जबकि वर्ष 2020-21 में गेहूं की सरकारी खरीद 434.44 लाख टन थी।
गेहूं की बोआई 25 फीसदी बढ़ी, दाम नहीं घटे
गेहूं के दाम अच्छे मिलने की संभावना में किसान गेहूं की अधिक बोआई पर जोर दे रहे हैं। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार 9 दिसंबर को समाप्त सप्ताह तक देश में गेहूं की बोआई 255.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि में 203.91 लाख हेक्टेयर में हुई गेहूं की बोआई से 25 फीसदी अधिक है। गेहूं की बोआई 20 अक्टूबर के बाद से शुरू हुई है। इस साल गेहूं का उत्पादन घटने से गेहूं के दाम बढ़े हैं। लेकिन बोआई बढ़ने के बावजूद गेहूं के दाम तेज बने हुए हैं
गेहूं और आटा हुआ महंगा
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक इस साल देश भर के खुदरा बाजारों में गेहूं की औसत कीमत 28.08 रुपये से बढ़कर 32.19 रुपये किलो और आटे की कीमत 30.98 रुपये से बढ़कर 37.24 रुपये प्रति किलो हो चुकी है। इस तरह गेहूं की औसत खुदरा कीमत 14.63 फीसदी और आटे की कीमत करीब 20.20 फीसदी बढ़ चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गेहूं के औसत थोक भाव जनवरी के मुकाबले नवंबर में 22 फीसदी बढ़कर 2,721 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए हैं। जनवरी में गेहूं की थोक कीमत 2,228 रुपये क्विंटल थी। अक्टूबर में थोक भाव 2,571 रुपये क्विंटल थे। गेहूं की बोआई शुरू होने के बाद से भी इसके थोक भाव करीब 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ चुके हैं।
उत्तर प्रदेश की हरदोई मंडी के गेहूं कारोबारी संजीव अग्रवाल ने बताया कि इन दिनों गेहूं के भाव 2,650 से 2,700 रुपये के बीच चल रहे हैं। पिछले साल से गेहूं 500 रुपये महंगा बिक रहा है। आमतौर पर बोआई काफी ज्यादा बढ़ने पर किसी भी जिंस के दाम तेजी से घटने लगते हैं। लेकिन गेहूं के मामले में अभी तक ऐसा नहीं दिख रहा है क्योंकि इसका उत्पादन घटने के साथ ही सरकारी भंडारण में भी इसका स्टॉक कम है और इसकी मांग भी मजबूत बनी हुई है। गेहूं की नई फसल आने में अभी 4 से 5 महीने बाकी है। रूस-यूक्रेन में तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं महंगा होने से घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में तेजी को सहारा मिला है। हालांकि गेहूं के दाम तेजी से बढ़ने पर सरकार ने इसके निर्यात पर अंकुश लगा दिया था। ओरिगो कमोडिटीज में सीनियर मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) इंद्रजीत पॉल कहते हैं बोआई 25 फीसदी बढ़ने के बावजूद गेहूं की कीमतों में बड़ी गिरावट नहीं दिख रही है। बोआई बढ़ने के दौरान भी भाव 150 से 200 रुपये क्विंटल बढ़ चुके हैं।
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खुले बाजार में गेहूं की बिक्री होने पर गिरावट संभव
कारोबारियों के मुताबिक आगे भी गेहूं की कीमतों में तभी बडी गिरावट आ सकती है, जब सरकार अपने भंडारगृह से खुले बाजार में बिक्री के लिए गेहूं उतारे। अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री करने की चर्चा बीते कुछ दिनों से हो रही है। जिससे गेहूं की कीमतों में तेजी थमी है और इसके दाम 30-40 रुपये क्विंटल नरम पड़े हैं। अगर सरकार खुले बाजार में गेहूं की बिक्री करती है तो भाव 100 से 150 रुपये क्विंटल घट सकते हैं अन्यथा फिलहाल गेहूं सस्ता होने की उम्मीद नहीं है। पॉल का भी मानना है कि सरकार के खुले बाजार में गेहूं की बिक्री करने पर यह सस्ता हो सकता है।