भारत का कपास उत्पादन 2022-23 में घटकर 14 साल के निचले स्तर पर रह सकता है। यह लगातार दूसरा साल होगा, जब घरेलू खपत की तुलना में उत्पादन कम रहेगा। एक प्रमुख व्यापार संगठन ने बुधवार को कहा कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्पादकता में गिरावट की वजह से यह संभावना है।
30 सितंबर को समाप्त होने जा रहे चालू विपणन वर्ष (current marketing year ) के दौरान विश्व के सबसे बड़े उत्पादक भारत में कम उत्पादन की वजह से निर्यात भी घटेगा, जिससे कपास की वैश्विक कीमत में वृद्धि होगी। इससे घरेलू कीमत भी बढ़ेगी और स्थानीय (लोकल) टेक्सटाइल कंपनियों का मुनाफा घटेगा।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (Cotton Association of India- CAI) ने एक बयान में कहा है कि उत्पादन घटकर 3.03 करोड़ गांठ (bales) रह सकता है, जो पहले के 3.13 करोड़ गांठ के अनुमान की तुलना में 3.2 प्रतिशत कम है।
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इसमें कहा गया है कि स्थानीय खपत भी पिछले साल की तुलना में 2.2 प्रतिशत घटकर 3.11 करोड़ गांठ रह सकती है।