कोरोना संकट ने उत्तर प्रदेश में कपड़ा उद्योग का केंद्र कहे जाने वाले कानपुर की इकाइयों पर खासा असर डाला है। बीते साल मार्च से शुरू हुई महामारी के दौर में कानपुर की कपड़ा और परिधान निर्माता इकाइयों की पूंजी की जरूरतों को भी प्रभावित किया है।
भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग पर भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और सीआरआईएफ हाई मार्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल दिसंबर तक इस क्षेत्र को मिले कुल कर्ज की राशि 1.62 लाख करोड़ रुपये रही, जिसमें 20 फीसदी की गिरावट आई है। कानपुर में इस अवधि में ऋण की राशि में करीब 42 फीसदी की गिरावट देखी गई है। मार्च 2020 में कोविड-19 के लॉकडाउन के तत्काल बाद में विनिर्माण गतिविधियों के निलंबन के कारण ऐसा हुआ है। कानपुर में इस दौरान कुल कर्ज का आउटस्टैंडिंग पोर्टफोलियो 1,730 करोड़ रुपये रहा है। समूचे प्रदेश के कपड़ा उद्योग का क्रेडिट पोर्टफोलियो 4,600 करोड़ रुपये के लगभग है। उत्तर प्रदेश में इस समय 10,000 से ज्यादा कपड़ा व परिधान उद्योग की इकाइयां कार्यरत हैं।
इस उद्योग ने बीते दो सालों में एनपीए के स्तर में तिमाही गिरावट दर्ज की है। कपड़ा उद्योग का एनपीए जहां सितंबर 2018 में 29.59 फीसदी था, वहीं सितंबर 2020 में यह गिरकर 15.98 फीसदी रह गया। दिसंबर 2020 में इन एनपीए में केवल 0.94 फीसदी की बढ़त हुई है, जो दिसंबर 2019 की तुलना में 8 फीसदी कम है।