मिश्रधातु के उत्पादन में सुस्ती के बावजूद द्वितीय इस्पात इकाइयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण घरेलू इस्पात उद्योग की क्षमता उपयोगिता में नरमी बरकरार है। दीर्घावधि में इस्पात का मांग परिदृश्य सकारात्मक दिखने के बावजूद क्षमता उपयोगिता में तेजी नहीं दिख रही है। घरेलू इस्पात उद्योग में क्षमता उपयोगिता का स्तर वित्त वर्ष 2020 में घटकर 77 फीसदी रह गया जो वित्त वर्ष 2011 में 88 फीसदी था। उपयोगिता स्तर में धीरे-धीरे गिरावट दिख रही है और चालू वित्त वर्ष में इसे घटकर 74 से 75 फीसदी रहने का अनुमान है।
इंस्टीट्यूट फॉर स्टील डेवलपमेंट ऐंड ग्रोथ (आईएनएसडीएजी) के महानिदेशक सुषिम बनर्जी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अगर इनपुट लागत बढ़ जाती है या मांग कम हो जाती है तो द्वितीयक इस्पात विनिर्माता अपनी इकाइयां बंद कर देती हैं। इंडक्शन फर्नेस वाली इकाइयों में ऐसा करने की सुविधा होती है। लेकिन इससे उद्योग की क्षमता उपयोगिता में गिरावट आती है।’
फिच रेटिंग्स का मानना है कि वित्त वर्ष 2021 में इस्पात की मांग में लगभग 10 फीसदी की गिरावट आएगी। रेटिंग एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में इस्पात का की खपत सीमेंट के मुकाबले कम है जबकि कुल मांग में निर्माण एवं बुनियादी ढांचे के अलावा अन्य क्षेत्रों की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी है।
क्रिसिल रिसर्च की निदेशक ईशा चौधरी ने कहा, ‘पिछले दशक (2010 से 2020) के दौरान क्षमता में 6 से 6.5 करोड़ टन की वृद्धि हुई है। लगातार क्षमता विस्तार के बावजूद मांग की रफ्तार सुस्त पडऩे से उपयोगिता स्तर कम हुआ है। चालू वित्त वर्ष में परिचालन स्तर घटकर 74 से 75 फीसदी रहने का अनुमान है। यह वित्त वर्ष 2016 में दिखी ऐतिहासिक तेजी के इतर है।’
इस्पात मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, घरेलू कच्चे इस्पात का उत्पादन 2014-15 में 10.98 करोड़ टन था जो 6.8 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक दर (सीएजीआर) के साथ बढ़कर 2018-19 में 14.22 करोउ़ टन हो गया। संयुक्त संयंत्र समिति के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में तैयार इस्पात का उत्पादन इससे पिछले वर्ष के मुकाबले 0.8 फीसदी बढ़कर 10.2 करोड़ टन हो गया। जबकि इस दौरान खपत एक साल पहले के मुकाबले 1.4 फीसदी बढ़कर करीब 10 करोड़ टन हो गया।
बनर्जी ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2020 में उद्योग की 77 फीसदी उपयोगिता रही जिसमें बड़ी इस्पात कंपनियों की क्षमता उपयोगिता का स्तर 100 फीसदी रहा जबकि छोटी द्वितीयक इस्पात इकाइयों की क्षमता उपयोगिता का स्तर 50 से 60 फीसदी रहा।’ द्वितीयक इस्पात उत्पादकों का कुल घरेलू इस्पात उद्योग में करीब 47 फीसदी योगदान रहा। इस प्रकार, आपूर्ति एवं मूल्य निर्धारण के अलावा क्षमता उपयोगिता का स्तर बनाए रखने में भी द्वितीयक इस्पात इकाइयों की भूमिका उल्लेखनीय है।
टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जिंदल स्टील ऐंड पावर और एएम/एनएस इंडिया देश के इस्पात उद्योग में निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां हैं। इनके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की दो प्रमुख इस्पात कंपनियां- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय इस्पात निगम- भी बाजार में मौजूद हैं।
