नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार रामलीला मैदान में आयोजित एक रैली में आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी चार प्रमुख मांगें जल्द से जल्द स्वीकार नहीं की गईं तो राज्यों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को संकट का सामना करना पड़ेगा।
रैली में बीकेएस ने सभी फसलों के लिए उत्पादन लागत पर रिटर्न की लाभदायक दर तय करना और इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना, कृषि उपकरणों के प्रकार पर जीएसटी को समाप्त करना, पीएम-किसान योजना के तहत भुगतान की जाने वाली तिमाही किश्तों में वृद्धि और हाल ही में जीएम सरसों को दी गई ‘पर्यावरण’ परीक्षण को रद्द करना की मांग की है।
बीकेएस महासचिव मोहिनी मोहन मिश्र ने रैली में कहा, ‘हम विभिन्न स्तरों पर केंद्र सरकार को अपनी परेशानियों से अवगत कराने का प्रयास कर रहे हैं; पर लगता है कि सरकार किसानों के हक को समझ नहीं पा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो किसान सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए अपने तरीके अपनाने को मजबूर हो जाएंगे।’
बीकेएस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध है, जो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वैचारिक मूल भी है। भाजपा पिछले लगभग आठ वर्षों से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में है।
मिश्र ने कहा, ‘भारत भर से इतनी बड़ी संख्या में किसानों की उपस्थिति इस बात की गवाही है कि किसान जहां अपना उज्ज्वल भविष्य लिखने में सक्षम हैं, वहीं वे अपने इतिहास के किसी भी काले अध्याय को पलटने में भी सक्षम हैं।’
यह रैली रद्द किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर साल भर चले किसानों के आंदोलन के बाद किसानों की सबसे बड़ी सभा थी। आयोजकों के अनुसार इसमें पंजाब सहित कई राज्यों के 50,000-60,000 से अधिक किसानों ने भाग लिया था। महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान अत्यधिक ठंड को झेलते हुए ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और बसों से दिल्ली पहुंचे थे।
बाद में बीकेएस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजा। इसमें उनकी चार प्रमुख मांगों पर प्रकाश डाला गया।
इस बीच, कई किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने तीन महीने के भीतर उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो वे विरोध तेज करने के लिए तैयार हैं।
मध्य प्रदेश के एक किसान दिलीप कुमार ने मांग की कि कृषि मशीनरी, कीटनाशकों और उर्वरकों पर से जीएसटी हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने डेरी फार्मिंग पर बेवजह 5 फीसदी टैक्स भी लगा दिया है। इसके अलावा, किसान सम्मान निधि के तहत 6,000 रुपये किसानों के अपमान के अलावा और कुछ नहीं है। यह कम से कम 15,000 रुपये होना चाहिए। महाराष्ट्र के रायगढ़ के प्रमोद ने सरकार पर किसानों पर जीएसटी थोपने और कंपनियों को सब्सिडी देने का आरोप लगाया।