निर्यात ऑर्डर में कमी होने से बासमती चावल उद्योग की मानो कमर ही टूट गई है। ऐसे में बासमती निर्यातकों ने मांग की है कि निर्यात शुल्क यदि तत्काल समाप्त किया जाए। यदि ऐसा न किया गया तो उन्हें भी राहत पैकेज की जरूरत पड़ेगी।
निर्यातकों के मुताबिक, बैंक उन्हें कर्ज नहीं दे रहे, जबकि किसानों के 7 हजार करोड़ रुपये चुकाये जाने अभी शेष हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने मई 2008 में बासमती चावल के निर्यात पर 8,000 रुपये का निर्यात कर लगाया था। इसके चलते विदेशों से निर्यात ऑर्डर पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर शिफ्ट कर गया है।
इस बार अक्टूबर-दिसंबर में अनुबंध हुए और इसके बाद शिपमेंट हुई। निर्यातकों की हालत किस कदर खराब है, उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विदेशों से ऑर्डर न मिलने के कारण वे रकम की कमी से जूझ रहे हैं।
हालत यहां तक आ पहुंची है कि वे पुराना बकाया भी नहीं चुका पा रहे। उन्होंने कहना है कि अगर सरकार निर्यात शुल्क समाप्त नहीं करती तो हमें राहत पैकेज मांगने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
चमनलाल सेठिया एक्सपोर्ट के विजय सेठिया ने कहा कि बासमती के दो बड़े उत्पादक राज्यों हरियाणा और पंजाब में कमीशन एजेंटों को सिर्फ तीस फीसदी रकम का भुगतान किया जा सका है। गौरतलब है कि निर्यातक कमीशन एजेंट को रकम देते हैं और वे उन एक्सपोर्टर के लिए बासमती की खरीद करते हैं।
निर्यात ऑर्डर के आधार पर ही बैंक इन निर्यातकों को कर्ज मुहैया कराते हैं। टिल्डा राइसलैंड के निदेशक आर. एस. शेषाद्रि ने कहा कि खाड़ी देशों और यूरोप के परंपरागत खरीदार इस समय जितने माल का अनुबंध करते रहे हैं, इस साल उसका 10 फीसदी निर्यात ऑर्डर मिल पाया है।
भारत सामान्य रूप से यूरोपीय देशों को सालाना 2.90 लाख टन बासमती चावल का निर्यात करता है जबकि पाकिस्तान सालाना तीस हजार टन चावल का निर्यात कर पाता है।
बाजार केसूत्रों ने बताया कि कीमतों में अंतर के चलते पाकिस्तान इस साल काफी फायदे में रहा है और अब तक उसके पास एक लाख टन माल का ऑर्डर मिल चुका है।
पाकिस्तान का बासमती चावल भारत के निर्यातक के मुकाबले करीब 500 डॉलर सस्ता पड़ता है। भारतीय निर्यातकों को न्यूनतम निर्यात मूल्य का भी ध्यान रखना पड़ता है।
भारत का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन है और इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार पहुंचते-पहुंचते इसकी लागत 1400 डॉलर प्रति टन पर पहुंच जाती है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 21 दिसंबर तक भारत का बासमती निर्यात एक साल पहले के7.51 लाख टन के मुकाबले गिरकर 7.15 लाख टन रह गया है।