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सब्सिडी खाद की फरियाद

Last Updated- December 07, 2022 | 2:41 PM IST

पहले से ही खाद की किल्लत झेल रहे किसानों पर अब इसकी और मार पड़ने वाली है।


खाद विभाग ने स्पष्ट किया है कि खाद निर्माता कंपनियों को 2008-09 के लिए दी जा रही सब्सिडी की रकम कम कर बजटीय आवंटन में 30,986 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

खाद विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि विभाग ने सब्सिडी के लिए अतिरिक्त 66,453 करोड़ रुपये की राशि की मांग वित्त मंत्रालय से की थी, लेकिन मंत्रालय ने इसे अभी तक स्वीकार नहीं किया है। खाद की वर्तमान खुदरा कीमत पर 80 प्रतिशत सब्सिडी होती है। अगर सब्सिडी के मद में राशि नहीं बढ़ाई जाती है, तो इससे कृषि और उससे जुडा उद्योग काफी प्रभावित होगा और इससे खाद की आपूर्ति और कृषि उत्पादन दोनों बुरी तरह प्रभावित होगा।

उद्योगों का अनुमान है कि वर्ष 2008-09 के लिए जितनी राशि बजट में आवंटित करने की बात कही गई है, वह अनुमानित रकम की एक तिहाई है। अधिकारी ने बताया कि खाद कंपनियां फिलहाल काफी मुश्किलों से गुजर रही है। अगर सब्सिडी के मद में एक महीने से ज्यादा के लिए अगर देरी होती है या भुगतान नहीं हो पाता है, तो इससे उत्पादन, आयात और खाद की उपलब्धता काफी प्रभावित हो जाएगा। सरकारी अधिकारी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि जो कोष अभी बचा हुआ है, उससे अगस्त अंत तक का ही भुगतान हो पाएगा।

जुलाई तक के लिए खाद पर सब्सिडी के लिए रकम की कोई कमी नहीं है, लेकिन इसके बाद की अदायगी में खाद विभाग घुटने टेक देगा। खाद विभाग ने इस संकट से निजात पाने के लिए अनुपूरक अनुदान की भी मांग वित्त मंत्रालय से किया है। अधिकारी ने कहा कि इस अनुपूरक अनुदान में इस मद के लिए कितनी राशि स्वीकृत की जाएगी, यह वित्त मंत्री के रहमो-करम पर निर्भर करता है। वैसे उद्योगों को ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। कोष के लिए कोई-न-कोई रास्ता तो जरूर निकलेगा।

हालांकि इस बात को लेकर भारतीय खाद संघ (एफएआई) ज्यादा आश्वस्त नहीं है। एफएआई के महानिदेशक सतीश चंद्र ने कहा कि खाद विभाग ने किसी प्रकार की देरी को रोकने के लिए हरसंभव उपाय किए हैं। इसके बावजूद सरकार एक निश्चित तंत्र के अधीन काम करती है और किसी प्रकार के  अनुदान की स्वीकृति के लिए कई तरह के क्लीयरेंस की जरूरत पड़ती है। इस अतिरिक्त मांग की बात संसद के मानसून सत्र में ही रखी जा सकती है, जिसकी तिथि अभी तक स्पष्ट नहीं है।

चंद्र ने कहा कि उत्पादन लागत में पांच गुना बढ़ोतरी, भयानक तरलता कमी और बढ़ती ब्याज दरों ने मिलकर उद्योग की कमर तोड़ दी है। अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं कि वर्ष 2008-09 के शुरुआती तीन महीने में बढ़ती उत्पादन लागत के कारण खाद की कीमतों में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। सरकार ने सब्सिडी की अनुमानित रकम 95,013 करोड़ रुपये को संशोधित करते हुए जून तक के लिए 1,19,772 करोड़ रुपये रखा था।

हाल में जो रकम में संशोधन किया गया, उसके अनुसार यह कहा जा सकता है कि वास्तविक सब्सिडी बोझ की तुलना में यह राशि तीन गुना ज्यादा है। वर्ष 2008-09 में खाद पर दी जा रही सब्सिडी का बोझ कुल जीडीपी का 2.25 प्रतिशत है। वर्ष 2007-08 के लिए सरकार ने खाद बॉन्ड के तौर पर 7500 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

खाद सब्सिडी घटाकर 30,986 करोड़ रुपये किया
खाद सब्सिडी राशि का भुगतान नहीं हुआ तो उत्पादन पर पड़ेगा असर
अनुपूरक अनुदान की कर रहे हैं मांग
खाद कीमतों में हो चुका है 25 फीसदी का इजाफा

First Published - August 1, 2008 | 12:09 AM IST

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