अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने भारत, ब्राजील, चीन और वियतनाम के गर्म जल के फ्रोजेन झींगे के एंटी डंपिंग शुल्क के लिए चौथी प्रशासनिक समीक्षा की शुरुआत कर दी है।
4 फरवरी को जारी की गई अधिसूचना में विभाग ने निर्यातकों से अमेरिका को अपने निर्यात की ऐच्छिक समीक्षा फरवरी 2008 से जनवरी 2009 के दौरान दाखिल करने को कहा था।
यह प्रक्रिया चौथी समीक्षा में व्यक्तिगत जांच के लिए उत्तर देने वालों की संख्या सीमित करने के लिए है।
सदर्न श्रिंप एलायंस (एसएसए) के अनुसार, पिछली समीक्षाओं में वाणिज्य विभाग ने लगभग 350 भारतीय निर्यातकों को समीक्षा के लिए सूचीबध्द किया था। एसएसए ने भारत और अन्य देशों के विरुध्द एंटी डंपिंग मामले में याचिका दायर की थी।
समीक्षा को आसान बनाने के लिए वाणिज्य विभाग ने प्रत्येक देश की कुछ कंपनियों को सूचीबध्द कर उन्हें अनिवार्य रूप से जवाबदेह बनाया था ताकि सभी कंपनियों की जांच नहीं करनी पड़े।
समीक्षा के पिछले दौर में वाणिज्य विभाग ने भारत की तीन-चार बड़ी कंपनियों को चुना था जिनमें देवी सीफूड्स, फाल्कन मैराइन और हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड शामिल हैं।
दिलचस्प यह है कि अमेरिका में भारी एंटी डंपिंग शुल्क अधिक होने और सीमा शुल्क बॉन्ड के बावजूद करीब 52 भारतीय निर्यातक झाींगे का निर्यात कर रहे हैं। साल 2005 में निर्यातकों की संख्या 254 थी जिसमें अधिक शुल्क और सीमा शुल्क बॉन्ड की वजह से भारी कमी आई है।
दूसरी समीक्षा में निर्यात की विस्तृत जानकारी और भारतीय सीफूड उद्योग के तर्कों के कारण वाणिज्य विभाग ने औसत शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटा कर 1.69 प्रतिशत कर दिया।
तीसरी प्रशासनिक समीक्षा की प्राथमिक रिपोर्ट की घोषणा अगले महीने होने किए जाने का अनुमान है और अंतिम निर्णय इस साल अगस्त में आएगा।
निर्यातकों और विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम घरेलू निर्यात उद्योग के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका के साथ भारत के व्यापार में पिछले चार-पांच वर्षों में भारी कमी आई है। साल 2007-08 में भारत ने अमेरिका को 36,612 टन का निर्यात किया था ।
जिसकी कीमत 1,017 करोड़ रुपये थी जबकि साल 2006-07 में 43,758 टन का निर्यात किया गया था जिसकी कीमत 1,347 करोड़ रुपये थी। अमेरिका को किए जाने वाला निर्यात मूल्य के हिसाब से 24.55 प्रतिशत और परिमाण की दृष्टि से 16.33 प्रतिशत कम हुआ है।