बंदरगाह से लेकर बिजली क्षेत्र में दखल रखने वाली अदाणी एंटरप्राइजेज भारत में पहली बार कोयला खदान हासिल करने में सफल रही। कंपनी भारत की सबसे बड़ी खदान डेवलपर और परिचालक है तथा इसने 11 खदानों और एक कोयला वॉशरी के लिए अनुबंध किया हुआ है।
अदाणी समूह की स्ट्रेटाटेक मिनरल्स रिसोर्सेंस ने मध्य प्रदेश की धीरौली खदान के लिए अधिक बोली लगाई थी। इसने राजस्व साझेदारी में 12.5 फीसदी प्रीमियम की बोली लगा एक अन्य बोलीदाता हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को दौड़ से बाहर कर दिया।
धीरौली खदान सिंगरौली जिले में है और यहां से सालाना 30 लाख टन कोयले का खनन किया जा सकता है। यह खदान आंध्र प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाली सुलयारी कोयला खदान में अदाणी के एमडीओ परियोजना के समीप है। एमडीओ मॉडल के तहत अदाणी अनुबंध के आधार पर खनन का परिचालन करती है।
अदाणी समूह के पास अभी तक एकमात्र कोयला खदान ऑस्ट्रेलिया में है। वहां समूह खनन परियोजना से लेकर बंदरगाह तक रेल संपर्क विकसित कर रहा है। इससे पहले अदाणी को खुद के इस्तेमाल के लिए 2014 में हुई कोयला ब्लॉकों की नीलामी में एक खदान आवंटित की गई थी। हालांकि दो साल बाद उसका आवंटन रद्द कर उसे जिंदल स्टील ऐंड पावर को दे दिया गया था।
वाणिज्यिक स्तर पर कोयला खनन एवं बिक्री के लिए कोयला खदान हासिल करने वाली एक और बड़ी कंपनी आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग इंडिया है। एस्सेल माइनिंग ने मध्य प्रदेश के बंधा खदान के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी। इसने आधार मूल्य से 21 फीसदी अधिक की बोली लगाई थी। केंद्र सरकार पहली बार वाणिज्यिक खनन एवं बिक्री के लिए निजी कंपनियों को कोयला खदानें आवंटित कर रही है। इसके लिए मई में कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन किया गया था। पिछले महीने दो चरण की नीलामी की गई थी, जिसमें कंपनियों ने 38 कोयला ब्लॉकों के लिए शुरुआती कीमत और तकनीकी बोलियां जमा कराईं थीं। सोमवार को दूसरे और अंतिम चरण में पांच खदानों के लिए ई-नीलामी के जरिये वित्तीय बोली लगाई गई। वेदांत और हिंडाल्को को पहले दिन कोयला खदानें मिलीं थीं। मंगलवार को चार खदानें नीलामी के लिए रखी गई थीं। आन्ध्र प्रदेश खनिज विकास निगम ने झारखंड के ब्रह्मदीया खदान के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई। मध्य प्रदेश के शाहपुर पश्चिम खदान के लिए सारदा एनर्जी ऐंड मिनरल्स ने सबसे बड़ी बोली लगाई। कंपनी ने आधार मूल्य से 26 फीसदी अधिक पर बोली लगाई।
