खाद्य और जनवितरण विभाग के बजट आवंटन में इस बार करीब 4 फीसदी की कमी कर दी गई है। सोमवार को पेश 2009-10 के अंतरिम बजट में इस विभाग के लिए 42,413 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई।
2008-09 के संशोधित बजट अनुमान में यह आवंटन 44,147 करोड़ रुपये का रहा है। उल्लेखनीय है कि खाद्य और जनवितरण प्रणाली का सबसे ज्यादा खर्च खाद्य सब्सिडी देने में होता है। सरकार ने हालांकि अगले वित्त वर्ष के दौरान इसमें 1,338 करोड़ रुपये की कमी करने का लक्ष्य रखा है।
इस तरह, वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान खाद्य सब्सिडी के लिए 42,289 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। 2008-09 के संशोधित अनुमान में सब्सिडी पर खर्च 43,627 करोड़ रुपये रहा।
इस मद में इतनी बड़ी राशि खर्च होने की वजह गेहूं और चावल के ऊंचे खरीद मूल्य और विभिन्न योजनाओं के जरिए सस्ती दरों पर इसका वितरण होना है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट अभिभाषण के दौरान बताया, ‘2008 में जनवितरण प्रणाली के लिए 2.27 करोड़ टन गेहूं और 2.85 करोड़ टन चावल की रिकॉर्ड खरीद हुई। इस वजह से हमारे भंडार पूरी तरह भर चुके हैं।’
अनाज का पर्याप्त भंडार होने से सरकार को आगामी चुनाव में काफी मदद मिलेगी। खाद्यान्न कीमतें नीचे लाने में यह विशाल भंडार काफी मदद करेगा। मुखर्जी ने बताया, ‘अनाज का उत्पादन हर साल एक करोड़ टन बढ़ रहा है। वर्ष 2007-08 में यह अब तक के उच्चतम स्तर 23 करोड़ टन तक पहुंच गया।’
लक्षित जनवितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत गरीबों को खाद्यान्न मुहैया कराने का सरकार का वायदा मुखर्जी ने दोहराते हुए बताया कि ऊंची कीमत के बावजूद गरीबी रेखा से नीचे और अंत्योदय अन्न योजना श्रेणी के लोगों के लिए केंद्रीय निर्गम मूल्य अभी भी जुलाई 2000 के स्तर पर बरकरार रखा गया है।
गरीबी रेखा से ऊपर के लोगों के लिए इसके दाम जुलाई 2002 के स्तर पर रखे गए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने इसी समय किसानों को उनकी फसल का वाजिब कीमत सुनिश्चित किया।
2003-04 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य जहां 550 रुपये प्रति क्विंटल था, 2008-09 में इसे बढ़ाकर 900 रुपये कर दिया गया। गेहूं की बात करें तो उसे तब के 630 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2009 में 1,080 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया।