facebookmetapixel
दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

वेतन आयोग का तुरंत नहीं दिखेगा कोई खास प्रभाव : व्यय सचिव

व्यय सचिव मनोज गोविल ने नई दिल्ली में रुचिका चित्रवंशी और असित रंजन मिश्र के साथ बजट के बाद बातचीत की।

Last Updated- February 02, 2025 | 11:41 PM IST

केंद्रीय बजट 2025-26 पेश होने के बाद व्यय सचिव मनोज गोविल ने नई दिल्ली में रुचिका चित्रवंशी और असित रंजन मिश्र के साथ बजट के बाद बातचीत में एकीकृत पेंशन योजना और वेतन आयोग से लेकर पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर देने जैसे मुद्दों पर बात की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

अल्पाव​धि में सरकार में वेतन आयोग, वित्त आयोग और एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के क्रियान्वयन जैसे कई नए बिंदुओं के साथ केंद्र सरकार के लिए व्यय परिदृश्य को आप किस नजरिये से देखते हैं?

पहला है यूपीएस, जिसे हमने बजट में मुहैया कराया है। वित्त आयोग के लिए हमें अक्टूबर के आसपास रिपोर्ट मिलेगी और तब हमें केंद्र तथा राज्य सरकारों के निहितार्थ के बारे में पता चलेगा। हमने विचारार्थ विषय तय करने के लिए परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उसके बाद आयोग में शामिल लोगों के नाम अधिसूचित किए जाएंगे। हमें अगले साल के बजट की तैयारियों से पहले रिपोर्ट मिलने की संभावना नहीं है। ये तैयारियां अक्टूबर-नवंबर से शुरू हो जाएंगी। इसलिए वित्तीय प्रभाव का अंदाजा लगाना मु​श्किल होगा। 

क्या आपको लगता है कि इस तरह के दबाव केंद्रीय वित्त व्यवस्था द्वारा आसानी से झेल लिए जाएंगे या फिर कर से जीडीपी की ओर रुख किया जा सकता है?

हमें नहीं पता कि वित्त आयोग द्वारा कितने आवंटन का सुझाव दिया जाएगा। हमें जानकारी है कि पिछले वेतन आयोगों ने कितनी बढ़ोतरी की है। एक बात तो तय है कि वित्त वर्ष 2027 में हमें वित्त या वेतन आयोग की सिफारिशों के कारण कुछ अतिरिक्त राशि प्रदान करने की आवश्यकता होगी।

यूपीएस में सेवानिवृत्ति के बाद ही पेंशन प्राप्ति की अनुमति देने के पीछे क्या उद्देश्य है? क्या इसका उद्देश्य सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव को कम करना है?

हमने ऐसी योजना तैयार की है जो रा​शि के संदर्भ में बदलाव ला सकेगी। इस रा​शि की वैल्यू को बनाए रखने की जरूरत होगी, क्योंकि यह दिए गए आश्वासन को देखते हुए जरूरी है। साथ ही योजना को अभी सिर्फ पेश किया गया है। इसे 1 अप्रैल से चालू किया जाएगा। जब हम कई वर्ष पार कर लेंगे तो समझ पाएंगे कि कितनी रा​शि एकत्रित हो रही है।  

लगभग हर कोई यूपीएस पर जोर दे रहा है, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

यूपीएस मुद्रास्फीति के ​खिलाफ सुरक्षा का संपूर्ण उपाय मुहैया कराती है, जो बेहद महत्वपूर्ण बात है। हमारे पास मौजूदा समय में बाजार में अच्छे इन्फलेशन इंडेक्स्ड एन्युटी उत्पाद नहीं हैं। शायद भविष्य में बाजार ऐसी योजनाएं तैयार कर लेगा। लेकिन कई नियोक्ता एक अच्छे विकल्प के तौर पर यूपीएस पर ध्यान दे सकते हैं।

क्या आप राज्यों को भी यूपीएस में जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं?

इस बारे में हमने राज्यों से औपचारिक बातचीत नहीं की है। कई राज्य हमारे द्वारा जारी किए गए परिपत्रों पर विचार कर रहे हैं। प्रक्रिया का अगला भाग यह है कि पीएफआरडीए को यूपीएस को चालू करने के लिए विनियमन बनाना है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सभी के यूपीएस में जाने का मतलब यह हो सकता है कि पीएफआरडीए निष्क्रिय हो सकता है।

पीएफआरडीए की कुछ योजनाएं हैं जो अभी भी जारी रह सकती हैं और याद रखें यह केवल केंद्र सरकार है। राज्य सरकारें यूपीएस को अपना सकती हैं या नहीं भी अपना सकती हैं और निजी संगठनों के मामले में भी यही बात है। यूपीएस का विनियमन भी पीएफआरडीए के पास है। हमारे पास व्यक्तिगत कोष की तुलना में केंद्रीय कोष के लिए निवेश का अलग-अलग स्वरूप हो सकते हैं। 

एक व्यक्ति के रूप में जब मैं सेवानिवृत्त हो रहा हूं, तो मैं अपने पोर्टफोलियो में ज्यादा जोखिम नहीं चाहता। बाजार ऊपर-नीचे होता रहता है, लेकिन केंद्रीय कोष के मामले में हम शायद ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं। 

सरकारी कोष के मामले में क्या विचार हैं?

विचार यह है कि शायद हमें व्यक्तियों के लिए बेंचमार्क की तुलना में ज्यादा इक्विटी निवेश की जरूरत पड़े।

क्या आप इस बारे में विस्तार से बता सकते हैं कि राज्य पूंजीगत ऋणों के लिए किस तरह के सुधारों पर विचार किया जा रहा है?

हमें वित्त वर्ष 26 के लिए परिपत्र जारी करना है। अब हम विभिन्न मंत्रालयों से परामर्श की प्रक्रिया शुरू करेंगे।

First Published - February 2, 2025 | 11:41 PM IST

संबंधित पोस्ट