केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2025-26 के बजट में वित्तीय क्षेत्र के लिए कई सुधारों की घोषणा की। वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने हर्ष कुमार और असित रंजन मिश्र के साथ बातचीत में इन प्रस्तावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से लेकर कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। पेश हैं प्रमुख अंशः
बजट में आपके क्षेत्र में की गई विभिन्न घोषणाओं में से आप किसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं?
मैं यह नहीं कह सकता हूं कि एक पहल दूसरे से ज्यादा जरूरी है क्योंकि वे सभी महत्त्वपूर्ण हैं इसलिए तो वित्त मंत्री ने उनकी घोषणा की है। मगर मैं किसी एक महत्त्वपूर्ण प्रभाव के बारे में कहूंगा तो वह बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है। इस कदम से उद्योग जगत पर काफी असर पड़ने की संभावना है।
एक राज्य एक आरआरबी पहल की क्या स्थिति है और इसके कब तक पूरा होने की उम्मीद है?
हम जल्द ही संभवतः अगले हफ्ते में इसकी अधिसूचना जारी करेंगे। हर राज्य में एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) होगा। गोवा में फिलहाल कोई क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक नहीं है, इसलिए हम वहां भी एक आरआरबी बनाने के बारे में सोच रहे हैं। अगर वहां की सरकार इसे स्थापित करने का फैसला लेती है तो हम संभावनाएं तलाशेंगे। मगर वहां पहले से सभी राष्ट्रीय बैंक हैं तो फिर हमें आरआरबी की जरूरतों का मूल्यांकन करना होगा।
कॉरपोरेट बॉन्ड के लिए आंशिक ऋण संवर्धन सुविधा की घोषणा का क्या उद्देश्य है?
कॉरपोरेट बॉन्डों को सबस्क्रिप्शन आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर अगर उनकी क्रेडिट रेटिंग कम होती है। जब बॉन्ड को नैबफिड जैसे सरकारी संस्थानों से निवेश मिलता है तो रकम जुटाने की लागत उल्लेखनीय रूप से कम हो जाती है। इससे रेटिंग बढ़ती है और निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है। इसके बदले सबस्क्रिप्शन स्तर भी सुधर जाता है।
हमारा लक्ष्य कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करने का है, जिस पर पिछले 20 वर्षों से ध्यान केंद्रित किया गया है। हमने इस मुद्दे पर काफी चर्चा की है, लेकिन प्रगति काफी सीमित है। मगर इस पहल का सीधा असर कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार पर पड़ेगा।
वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों द्वारा ग्रामीण क्रेडिट स्कोर का भी प्रस्ताव रखा है?
जब वित्तीय सेवाओं तक पहुंच की बात आती है तो किसानों खासकर ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करना जरूरी हो जाता है। उनमें से अधिकतर के पास औपचारिक रूप से क्रेडिट हिस्ट्री नहीं रहती है, जिससे बैंकों से ऋण मिलने में दिक्कतें आती हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण मसला है क्योंकि मौजूदा वित्त प्रणाली में ऐसी सुविधा नहीं होने से कई किसानों को ऋण नहीं मिलता है, जिससे वे निराश हैं।
सरकार एमएसएमई के लिए ऋण पर जोर दे रही है। ऐसी योजनाओं की रिकवरी दर के प्रति आप कितने आश्वस्त हैं? क्या इन ऋणों के लिए गैर निष्पादित आस्तियां चिंता का कारण है?
हम देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को जानते हैं। न सिर्फ रोजगार के मामले में, जो काफी महत्त्वपूर्ण है बल्कि सकल घरेलू उत्पाद और निर्यात में भी इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है।