Budget 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोक सभा में पेश होने वाले केंद्रीय बजट 2024-25 को अमृतकाल के लिए मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पिछले कुछ वर्षों के दौरान लोगों से किए गए वादों की गारंटी को पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रही है।
बजट सत्र शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी ने संसद के विशेष सत्र के दौरान विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन का जिक्र किया और आरोप लगाया कि विपक्ष निर्वाचित सरकार और प्रधानमंत्री की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है। लोक सभा में 2 जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के बाद प्रधानमंत्री के जवाब के दौरान विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी की थी और इस पर विरोध जताया था कि मणिपुर के दो सांसदों को बहस में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई।
मोदी ने कहा, ‘आपने इस लोक सभा के पहले सत्र में देखा होगा कि जिस सरकार को 140 करोड़ भारतीयों ने सेवा करने के लिए चुना है, उसकी आवाज को दबाने का अलोकतांत्रिक प्रयास किया गया। करीब ढाई घंटे तक प्रधानमंत्री की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया और इस प्रकार की चीजों का लोकतांत्रिक परंपराओं में कोई स्थान नहीं है। उन्हें इसका कोई पछतावा भी नहीं है।’
बजट के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह बजट मौजूदा सरकार की अगले पांच वर्षों की दिशा निर्धारित करेगा। साथ ही यह बजट भारत की आजादी के सौ साल पूरे होने पर 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए मजबूत बुनियाद रहेगा।’
मोदी ने कहा कि देश में करीब 60 साल बाद कोई सरकार लगातार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रहा है और पिछले तीन वर्षों के दौरान इसकी औसत वृद्धि दर 8 फीसदी रही है।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक परिदृश्य, निवेश में सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन का मतलब साफ है कि अवसर अपने चरम पर हैं और यह भारत की विकास यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। लोक सभा की कार्य मंत्रणा समिति ने सदन में बजट पर चर्चा के लिए 20 घंटे का समय आवंटित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनवरी 2024 से लेकर चुनाव परिणाम घोषित होने तक राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा लड़ी गई चुनावी लड़ाइयों की धूल के गुबार अब छंट चुके हैं। उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि अब जनवरी 2029 तक संसद में विरोध-प्रदर्शन पर रोक लगाई जाए।
मोदी ने कहा, ‘भले ही हमने अपनी-अपनी पार्टियों के लिए चुनावी लड़ाई लड़ी है, लेकिन अब हम सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों और सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि अगले पांच साल तक हमें देश के लिए लड़ना है और उसके लिए प्रयास करना है।’ उन्होंने कहा, ‘जनवरी 2029 में चुनाव के मैदान में जाएं। मगर तब तक हमारी एकमात्र प्राथमिकता देश, गरीब, किसान, महिलाएं और युवा होनी चाहिए।’
मोदी ने कहा कि विपक्ष का नकारात्मक रवैया सांसदों को अपने विचार व्यक्त करने और अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को उठाने से रोकता है। उन्होंने कहा, ‘जनता ने हमें यहां देश के लिए भेजा है न कि दल के लिए। यह संसद किसी दल या पार्टी की नहीं बल्कि देश की है। यह संसद केवल सांसदों तक सीमित नहीं है बल्कि यह देश के 140 करोड़ लोगों के लिए है।’
इस बीच कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर पलटवार किया। पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि जिस व्यक्ति ने 10 साल तक देश का गला घोंटा और उसकी आवाज को दबाया, वह आज ‘बहुत कमजोर और विपक्ष द्वारा आवाज उठाए जाने पर रोता हुआ’ दिखाई दे रहा था। लोक सभा में कांग्रेस पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री और सरकार को नीट मुद्दे, जम्मू क्षेत्र में आतंकी हमलों और बढ़ती महंगाई पर सवालों का जवाब देना चाहिए।
लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने परीक्षा पेपर लीक मामले को लेकर सरकार पर विपक्ष के हमले का नेतृत्व करते हुए कहा कि देश की परीक्षा प्रणाली में गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसके लिए खुद के अलावा अन्य सभी को दोषी ठहराया है।
विपक्ष के निशाने पर आए प्रधान ने कहा कि वह ‘अपने नेता यानी प्रधानमंत्री की कृपा से यहां हैं’ और उनकी सरकार सामूहिक रूप से जवाबदेह है। मंत्री ने कहा कि पिछले सात वर्षों के दौरान पेपर लीक का कोई सबूत नहीं मिला है।