सरकार ने आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में ऋण वितरण में आई तेजी और निजी पूंजीगत खर्च में वृद्धि बरकरार रहने की संभावना है, जिससे मजबूत निवेश चक्र को बढ़ावा मिलेगा।
समीक्षा में कहा गया है, ‘नियामकों द्वारा वित्तीय व्यवस्था में जोखिमों की लगातार निगरानी और जोखिम दूर करने के उनके प्रयासों से भी ऋण चक्र सुधारने में मदद मिलेगी।’ सरकार का कहना है कि वृद्धि के लिए आरबीआई के समर्थन से वित्तीय बाजारों में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित होगी।
कोविड संकट के बाद पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधि में सुधार आया और बैंकों तथा कंपनियों में वित्तीय स्थिति मजबूत होने से जून 2021 के बाद से ऋण वृद्धि में मदद मिली।
समीक्षा में कहा गया है कि सभी क्षेत्रों में व्यापक ऋण वृद्धि के साथ गैर-खाद्य बैंक ऋण में सालाना वृद्धि दिसंबर 2022 में बढ़कर 15.3 प्रतिशत तक पहुंच गई।
आर्थिक समीक्षा में ये बातें ऐसे समय में कही गई हैं जब ऋण वृद्धि की रफ्तार जमाओं में वृद्धि से ऊपर बनी हुई है, जिससे बैंकों पर कोष जुटाने का दबाव बढ़ रहा है। 13 जनवरी तक, ऋण वृद्धि सालाना आधार पर 16.5 प्रतिशत पर थी, जबकि जमा वृद्धि 10.6 प्रतिशत थी।
कम एनपीए अनुपात और कॉरपोरेट क्षेत्र के मजबूत बुनियादी आधार के साथ बढ़ती ब्याज दरों के बावजूद निवेश अवसरों के लिए बैंक ऋण का प्रवाह लगातार बढ़ेगा।
सरकार ने कहा है कि जहां बैंकों के लिए ऋण-जमा अनुपात तेजी से बढ़ा है, वहीं पिछले कुछ वर्षों में जमाएं बढ़ने से बैंकों को ऋण मांग पूरी करने में मदद मिली है।
पिछले दशक में आरबीआई ने कई बैंकिंग सुधारों को क्रियान्वित किया, जिससे उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार आया है और सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2022 में घटकर सात साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गया था।
समीक्षा में कहा गया है, ‘आरबीआई द्वारा फंसे कर्ज की पहचान के ढांचे के साथ, जीएनपीए अनुपात में गिरावट बरकरार रहने और मार्च 2023 में यह 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’
सरकार ने कहा है कि ऋण वृद्धि मुख्य तौर पर छोटे ऋणों और आवास ऋणों पर आधारित रही है। आवासीय मांग बढ़ने से निवेश में तेजी आएगी। कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण की मांग को सरकार के रियायती संस्थागत कर्ज से मदद मिली है।