facebookmetapixel
Delhi Pollution: AQI 425 के पार, बढ़ते प्रदूषण के बीच 5वीं क्लास तक के बच्चों की पढ़ाई अब हाइब्रिड मोड मेंअमेरिका-चीन की रफ्तार हुई धीमी, भारत ने पकड़ी सबसे तेज ग्रोथ की लाइन: UBS रिपोर्टगिरते बाजार में भी 7% चढ़ा सीफूड कंपनी का शेयर, इंडिया-यूएस ट्रेड डील की आहत से स्टॉक ने पकड़ी रफ्तारवर्क प्लेस को नया आकार दे रहे हैं कॉरपोरेट, एआई का भी खूब कर रहे हैं उपयोगEmami Stock: 76% तक गिर गई टैल्क सेल्स… फिर भी ‘BUY’ कह रहे हैं एक्सपर्ट्स! जानें क्योंDelhi Red Fort Blast: साजिश की पूरी पोल खोली जाएगी, दिल्ली धमाके पर PM Modi का बयान26% तक रिटर्न का मौका! भारत-अमेरिका डील पक्की हुई तो इन 5 शेयरों में होगी जबरदस्त कमाई!Delhi AQI Today: दिल्ली में हवा हुई जहरीली! GRAP स्टेज III लागू, जानिए क्या-क्या हुआ बैनDelhi Red Fort Blast: लाल किले के पास विस्फोट में अब तक 12 की मौत, Amit Shah ने बुलाई हाई-लेवल मीटिंगVodafone Idea Share: ₹14 तक जाएगा शेयर! ब्रोकरेज ने कहा – सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल सकता है गेम

मनरेगा की ‘अनदेखी’ करने को लेकर कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना

ग्रामीण रोजगार पर केंद्रित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण विकास योजना (मनरेगा) के लिए 86,000 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है, जो पिछले वर्ष के समान है।

Last Updated- February 02, 2025 | 1:02 PM IST
MNREGA

कांग्रेस ने मनरेगा का बजट स्थिर रखने को लेकर रविवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इससे ग्रामीण आजीविका के प्रति उसकी उदासीनता उजागर होती है। ग्रामीण रोजगार पर केंद्रित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण विकास योजना (मनरेगा) के लिए 86,000 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है, जो पिछले वर्ष के समान है।

बजट दस्तावेज के अनुसार, 2023-24 में मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, लेकिन अतिरिक्त धनराशि प्रदान की गई और वास्तविक व्यय 89,153.71 करोड़ रुपये रहा। 2024-25 में मनरेगा के लिए कोई अतिरिक्त आवंटन नहीं किया गया।

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते संकट के बावजूद सरकार ने 2024-26 के लिए मनरेगा का बजट 86,000 करोड़ रुपये पर स्थिर रखा है। उन्होंने कहा कि यह प्रभावी रूप से मनरेगा के लिए किए गए वास्तविक (मूल्य वृद्धि के लिए समायोजित) आवंटन में गिरावट को दर्शाता है। रमेश ने कहा, “ऊपर से चोट पर नमक छिड़कने के लिए, अनुमान बताते हैं कि बजट का लगभग 20 प्रतिशत पिछले वर्षों के बकाए को चुकाने के लिए खर्च किया जाता है।”

Also read: Budget 2025: Capex ग्रोथ में सुस्ती से Infra सेक्टर में निराशा; मेट्रो ने मारी बाजी, सड़क और रेलवे रह गए खाली हाथ

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह प्रभावी रूप से मनरेगा की पहुंच को कम कर देता है, जिससे सूखा प्रभावित और गरीब ग्रामीण श्रमिक अधर में ही रह गए हैं। उन्होंने कहा कि यह श्रमिकों को दिए जाने वाले वेतन में किसी भी वृद्धि को रोकता है। रमेश ने लिखा, “इस चालू वित्तीय वर्ष में भी, न्यूनतम औसत अधिसूचित मजदूरी दर में केवल सात प्रतिशत की वृद्धि की गई। यह ऐसे समय में है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत होने का अनुमान है। इसलिए, मनरेगा राष्ट्रीय वेतन में जो ठहराव का संकट है उसका आधार बन गया है।”

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस महत्वपूर्ण सुरक्षा तंत्र के प्रति सरकार की उपेक्षा, ग्रामीण आजीविका के प्रति उसकी उदासीनता को उजागर करती है। मनरेगा के तहत हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को वित्तीय वर्ष में 100 दिन की मज़दूरी की गारंटी दी जाती है। पिछले बजट दस्तावेजों के अनुसार, कोविड महामारी के समय 2020-21 में लॉकडाउन के दौरान लोगों के अपने-अपने घरों को लौटने के समय ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा एक जीवन रेखा साबित हुई। इस दौरान इस योजना पर 1,11,169 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

First Published - February 2, 2025 | 1:02 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट