नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आखिरी पूर्ण बजट पेश करते हुए आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पूरा ध्यान वृद्धि पर ही केंद्रित रखा। वित्त मंत्री ने इसे ‘अमृत काल’ का पहला बजट बताया और खजाना खोलने में कंजूसी दिखाते हुए भी पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर पूरा जोर दिया।
परिवहन से जुड़े बुनियादी ढांचे पर वह ज्यादा मेहरबान रहीं। खजाने की नब्ज पर बेशक उनका हाथ रहा मगर आम चुनाव से पहले का आखिरी पूर्ण बजट होने के कारण उन्होंने लोकलुभावन घोषणाएं भी कीं। इनमें जरूरतमंदों के लिए 60,000 करोड़ रुपये की खाद्य योजना एक साल के लिए बढ़ाना और सभी वर्गों के लिए आयकर में राहत देना शामिल है।
नॉमिनल वृद्धि दर और कर संग्रह के आंकड़ों से उत्साहित सीतारमण ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी पर ही रोक लिया जाएगा। उन्होंने अनुमान जताया कि अगले वर्ष घाटा जीडीपी के 5.9 फीसदी के भीतर रहेगा और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 10.5 फीसदी रहेगी।
राजकोषीय घाटे को साधने के लिए गैर-कर राजस्व में वृद्धि से सहारा मिलेगा, जिसमें दूरसंचार क्षेत्र से राजस्व 30 फीसदी बढ़ रहा है और पेट्रोलियम क्षेत्र से भी अतिरिक्त कमाई हो रही है। बजट में बाजार से कुल उधारी 15.4 लाख करोड़ रुपये रखी गई है और शुद्ध उधारी का लक्ष्य 11.8 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है। इससे बॉन्ड ट्रेडरों को खासी राहत मिली होगी। विनिवेश से 51,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान जताया गया है।
वित्त मंत्री ने लगातार तीसरे साल पूंजीगत व्यय 33 फीसदी बढ़ाने की घोषणा की। अगले वित्त वर्ष में 10 लाख करोड़ रुपये का व्यय किया जाएगा, जो जीडीपी का 3.3 फीसदी होगा।
इस बार के बजट में सीतारमण ने करदाताओं का भी ख्याल रखा मगर सारी रियायतें और सौगातें नई आयकर व्यवस्था अपनाने वालों के लिए ही रखीं।
2020 में लाई गई इस व्यवस्था के तहत करमुक्त आय की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई और कर छूट की सीमा 7 लाख रुपये कर दी गई। इसका मतलब है कि जिनकी सालाना आय 7 लाख रुपये तक है, उन्हें नई व्यवस्था के तहत एक पाई भी बतौर कर नहीं देनी पड़ेगी।
आयकर की सर्वाधिक दर भी 42.74 फीसदी से घटाकर 39 फीसदी कर दी गई। नई कर योजना में मानक कटौती भी जोड़ दी गई है, जिसे करदाताओं को पुरानी व्यवस्था छोड़कर नई व्यवस्था अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जुगत माना जा रहा है।
बुनियादी ढांचे पर खर्च जारी रखते हुए वित्त मंत्री ने परिवहन क्षेत्र के लिए हाथ खोल दिया। 2023-24 में इस क्षेत्र पर 5.13 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि 2022-23 के संशोधित अनुमान में इस पर 3.9 लाख करोड़ रुपये ही खर्च किए जा रहे हैं। रक्षा जैसे क्षेत्र पर भी खर्च बढ़ाया गया है।
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सब्सिडी पर अंकुश लगाने का मोदी सरकार का मंत्र इस बजट में भी नजर आया। संशोधित अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 2.25 लाख करोड़ रुपये नजर आ रही है मगर अगले वित्त वर्ष में वैकल्पिक उर्वरकों पर जोर देते हुए इसे 1.75 लाख करोड़ रुपये पर रोकने की बात कही गई है।
खाद्य सब्सिडी के मामले में भी मुट्ठी बंद की जा रही है मगर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को 2024 में भी बढ़ाया गया तो खर्च बढ़ सकता है। वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवंटन 66 फीसदी बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपये कर दिया मगर उसमें से ज्यादातर राशि इसी वित्त वर्ष में बढ़ाई जा चुकी है।