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Budget 2023: ज्यादा प्रीमियम पर कर प्रस्ताव से बीमा कंपनियां चिंतित

Last Updated- February 01, 2023 | 9:45 PM IST
In a first, micro insurance premium in life segment tops Rs 10k cr in FY24 माइक्रो बीमा सेगमेंट ने FY24 में रचा इतिहास, पहली बार न्यू बिजनेस प्रीमियम 10,000 करोड़ के पार निकला

वित्त मंत्री ने बजट में 1 अप्रैल, 2023 या इसके बाद जारी की गई बीमा पॉलिसियों जिनका सालाना प्रीमियम 5 लाख रुपये से अ​धिक है, उसे कर के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है। इसका असर आज जीवन बीमा कंपनियों के शेयरों पर दिखा और लगभग सभी कंपनियों के शेयर गिरावट पर बंद हुए।

वित्त विधेयक के प्रावधान में कहा गया है, ‘पिछले कई वर्षों में देखा गया है कि कई धनाढ्य निवेशक बीमा पॉलि​सियों में भारी- भरकम प्रीमियम अदा करते हैं और परिपक्वता पर प्राप्त रा​शि पर आयकर कानून की धारा 10 (10D) के तहत मिलने वाली रियायत का बेजा लाभ उठा रहे हैं। आयकर की इस धारा के तहत बीमा पॉलिसी के परिपक्व होने के बाद मिलने वाली रा​शि पर आयकर से छूट मिलती है।’

पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसियों तथा यूनिट लिंक्ड पॉलिसियों (ULIP) से होने वाली आय के लिए पहले से ही इस तरह का प्रावधान है और इस तरह की पॉलिसी पर सालाना 5 लाख रुपये से अ​धिक प्रीमियम होने पर कर देनदारी बनती है। इस तरह की आय पर आय के अन्य स्रोत मद में कर लगता है।

वित्त विधयेक के ज्ञापन में कहा गया कि कि प्रीमियम भुतान पर कटौती की अनुमति उसी ​स्थिति में होगी अगर ऐसे प्रीमियम पर पहले कटौती का दावा नहीं किया गया हो। हालांकि बीमित व्य​क्ति की मुत्यु होने से लाभार्थी को बीमा रा​शि मिलती है तो उस पर कर देनदारी नहीं होगी।

एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस में प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विभा पडालकर ने कहा, ‘प्रस्ताव में बीमा से होने वाली आय पर कर लगाने की बात कही गई है। आदर्श रूप में पूंजी यानी प्रीमियम पर कर नहीं लगना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम सरकार से इस बारे में चर्चा कर सकते हैं और इसे डेट म्युचुअल फंड की तरह बनाने का अनुरोध कर सकते हैं, जिसमें प्रीमियम पर कटौती का लाभ मिलता है और पूंजीगत लाभ पर इंडेक्सेशन के बाद कर लगता है।

इसका हमारी कंपनी की आय पर 10 से 12 फीसदी का असर हो सकता है लेकिन मुनाफे पर कम प्रभाव पड़ेगा। हम मध्य वर्ग के ग्राहकों को ज्यादा पॉलिसी बेचने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही अन्य निवेश साधनों की तुलना में अगर हम प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण करते हैं तो बीमा पॉलिसियों की मांग ज्यादा होगी।’
वित्त मंत्री की घोषणा के बाद भारतीय जीवन बीमा निगम, आईसीआईसीआई प्रूडें​शियल लाइफ और एचडीएफसी लाइफ जैसी बड़ी जीवन बीमा कंपनियों के शेयरों में खासी गिरावट आई है।

एजिस फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी विग्नेश साहनी ने कहा, ‘पारंपरिक पॉलिसियों पर रिटर्न पहले से ही काफी कम है। अब सरकार ने सालाना 5 लाख रुपये प्रीमियम वाली पॉलिसियों से आयकर की धारा 10 (10D) के तहत मिलने वाली कर छूट को भी वापस ले लिया है। इससे इस तरह की पॉलिसियों की मांग प्रभावित हो सकती है।’

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उन्होंने कहा कि अभी कर की दर स्पष्ट नहीं है लेकिन मेरा मानना है कि इस पर दीर्धाव​धि पूंजी लाभ कर लग सकता है हालांकि यह आयकर स्लैब के दायरे में भी आ सकता है। जीवन बीमा उद्योग के लिए यह सकारात्मक नहीं है।

आईआरडीएआई के सदस्य (जीवन बीमा) के पूर्व सदस्य निलेश सेठ ने कहा कि सरकार परिपक्वता रा​शि पर कर लगाती रही है न कि परिपक्वता रा​शि से भुगतान किए गए प्रीमियम को घटाकर होने वाली आय पर। इस बारे में सरकार से स्पष्टता का इंतजार करना होगा।

First Published - February 1, 2023 | 7:53 PM IST

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