वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को बजट पेश करते हुए स्मॉल सेविंग्स योजनाओं में बड़े बदलावों की घोषणा करते हुए वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) और डाकघर मासिक आमदनी योजना (POMIS) के तहत निवेश की अधिकतम सीमा पहले के मुकाबले दोगुनी करने का ऐलान किया।
वर्ष 2023-24 के अपने बजट भाषण में सीतारमण ने महिलाओं के लिए एक सीमित अवधि वाली महिला सम्मान बचत पत्र (MSSC) योजना शुरू करने की घोषणा की।
यह योजना दो सालों के लिए मार्च 2025 तक के लिए होगी। इस योजना के तहत 7.5 फीसदी की दर से ब्याज की पेशकश की जाएगी। इस योजना के तहत महिलाओं या किसी लड़की के नाम पर ही रकम जमा की जा सकेगी। योजना में आंशिक निकासी का प्रावधान भी है। इस योजना के तहत अधिकतम 2 लाख रुपये की राशि जमा की जा सकेगी।
एससीएसएस की अधिकतम निवेश सीमा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी गई है जबकि एक व्यक्ति के खाते के लिए पीओएमआईएस की निवेश राशि 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 9 लाख रुपये कर दी गई है। संयुक्त खाते के लिए पीओएमआईएस की सीमा पहले के 9 लाख रुपये के मुकाबले बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दी गई है।
वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजना के तहत फिलहाल 8 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है और इस योजना का लाभ, एससीएसएस खाता खोलते वक्त 60 साल या इससे अधिक की उम्र वाले लोग उठा सकते हैं। जिनकी उम्र 55 साल है और वे 60 साल की उम्र से कम है। उन्होंने सेवानिवृति ली है वे एससीएसएस खाता खोलने के पात्र हैं लेकिन उन्हें सेवानिवृति के एक महीने के भीतर ही निवेश करना होगा। इस योजना की लॉक-इन अवधि 5 साल है और इसमें तिमाही के आधार पर ब्याज का भुगतान किया जाता है।
स्वतंत्र निवेश सलाहकार पारुल माहेश्वरी का कहना है, ‘एससीएसएस बेहतर प्रतिफल दे रहा है। हालांकि इस योजना में निवेश संभलकर करना चाहिए क्योंकि इसके भविष्य की ब्याज दर का अंदाजा नहीं है।’
एमआईपी योजना के तहत निवेशकों को ब्याज के रूप में मासिक आमदनी मिलती है। मौजूदा ब्याज दर 7.1 फीसदी है।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ विशाल धवन का कहना है, ‘अगर बैंक की मौजूदा सावधि जमा दरों से तुलना करें तो बचत योजना के लिहाज से एमआईपी अपेक्षाकृत कम आकर्षक है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि निवेशकों को मासिक आमदनी की वास्तविक जरूरत पर ध्यान देना होगा खासतौर पर युवा उम्र के समूह के लिए।’
माहेश्वरी कहती हैं कि नई एमएससीसी योजना निवेश का बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें 7.5 प्रतिशत ब्याज की पेशकश की जा रही है जो कुछ बैंकों की जमा दरों की तुलना में अधिक है और इसमें केवल दो वर्ष की लॉक इन अवधि भी है।
माहेश्वरी का मानना है कि इन योजनाओं में निवेश करने से पहले परिसंपत्ति आवंटन पर ध्यान देना चाहिए। वह कहती हैं, ‘अगर किसी के पास निवेश करने लायक अतिरिक्त राशि है तब उन्हें अस्थिरता की स्थिति का प्रबंधन करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा हाइब्रिड फंड सहित म्युचुअल फंड पर भी विचार किया जा सकता है जो कर के लिहाज से अनुकूल हैं। इसके अलावा टारगेट मैच्योरिटी फंड्स (टीएमएफ) में भी परिपक्वता की अवधि तक निवेश बनाए रखना चाहिए।’
धवन का कहना है कि इन योजनाओं में निवेश से पहले कर से जुड़े प्रावधानों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। धवन कहते हैं, ‘एससीएसएस और एमआईपी पर कर लगता है। ऐसे में उच्च कर वर्ग में आने वाले लोगों को करों के पहलू पर अच्छी तरह विचार कर लेना चाहिए। कर के बाद मिलने वाला प्रतिफल ही अहम होता है। इसके अलावा इस बात पर विचार करना भी जरूरी है कि किसी को नकदी की कितनी जरूरत है।’
भेजी हुई रकम की योजना पर टीसीएस में बढ़ोतरी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को भेजी हुई रकम की उदार योजना (एलआरएस) से जुड़े स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) में थोड़ा बदलाव करने की घोषणा की। शिक्षा या इलाज के मकसद के अलावा किसी अन्य मकसद से दूसरी जगह से भेजी हुई 7 लाख रुपये से अधिक की रकम पर टीसीएस की दर पहले के 5 फीसदी की मुकाबले संशोधित कर 20 फीसदी कर दिया गया है।
सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, ‘शिक्षा या इलाज के मकसद से विदेश से भेजी गई रकम के लिए टीसीएस की दर 5 फीसदी है और यह अधिकतम 7 लाख रुपये की राशि के लिए होगा। इसी तरह शिक्षा के मकसद से वित्तीय संस्थानों से कर्ज के जरिये विदेश से भेजी गई रकम पर टीसीएस की दर अधिकतम 7 लाख रुपये के लिए 0.5 फीसदी होगी। हालांकि अगर एलआरस के तहत अन्य मकसद के लिए विदेश से रकम भेजी जाती है तब इस पर टीसीएस की दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने का प्रस्ताव है।’
निवेश सलाहकार दीपेश राघव ने कहा, ‘यह कदम निश्चित तौर पर लोगों को विदेश से रकम भेजने के लिए हतोत्साहित करने के लिए उठाया गया है।’
अधिक रकम वाली बीमा पॉलिसी की आमदनी पर कर छूट खत्म
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को घोषणा की है कि उन परंपरागत बीमा पॉलिसी की आमदनी पर कर छूट खत्म की जाएगी जिसमें प्रीमियम की रकम 5 लाख रुपये से अधिक है। 1 अप्रैल 2023 या इसके बाद भुगतान किए जाने वाले परंपरागत जीवन बीमा पॉलिसी का कुल प्रीमियम अगर 5 लाख रुपये से अधिक है उस पर कोई कर छूट नहीं होगी जबकि जिन पॉलिसी का कुल प्रीमियम 5 लाख रुपये तक है उसकी आमदनी पर कर छूट का प्रावधान होगा। हालांकि यह प्रावधान यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाओं (यूलिप) पर लागू नहीं होगा।
निवेश सलाहकार दीपेश राघव का कहना है, ‘अधिक रकम वाली परंपरागत बीमा योजनाओं की आमदनी पर से कर छूट हटाने का असर केवल एक छोटे वर्ग पर पड़ेगा खासतौर पर अति धनाढ्य वर्ग पर।’