भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने पीएम ई-ड्राइव योजना का विस्तार किया है जो इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) को अपनाने और इसके चार्जिंग से जुड़े बुनियादी ढांचे को रफ्तार देने का एक कार्यक्रम है, जिसे ई-ट्रक, ई-एंबुलेंस, ई-बसों और चार्जिंग बुनियादी ढांचा जैसे कुछ सेगमेंट के लिए दो साल की अवधि के लिए बढ़ाया गया है। इन सेगमेंट को 31 मार्च, 2028 तक इस योजना के तहत सब्सिडी मिलती रहेगी।
हालांकि, 7 अगस्त, 2025 की सरकारी अधिसूचना के अनुसार, इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन, इलेक्ट्रिक रिक्शा, इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन और इलेक्ट्रिक कार्ट के लिए सब्सिडी मार्च 2026 तक खत्म हो जाएगी। अधिसूचना में कहा गया है, ‘यह एक सीमित निधि योजना है। इस योजना के तहत कुल भुगतान 10,900 करोड़ रुपये के योजना व्यय तक सीमित होगा। पंजीकृत ई-2डब्ल्यू, पंजीकृत ई-रिक्शा एवं ई-कार्ट और पंजीकृत ई-3डब्ल्यू (एल5) के लिए अंतिम तिथि 31 मार्च, 2026 होगी।’
ग्रांट थॉर्नटन भारत में अधिकारी (वाहन एवं ईवी लीडर) साकेत मेहरा ने कहा कि ईवी प्रोत्साहन योजना में सरकार का हालिया विस्तार ई-ट्रक, ई-बस, ई-एंबुलेंस और सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी जैसे धीमी गति वाले सेगमेंट को बहुत जरूरी राहत देता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों और विभिन्न मंत्रालयों से मिले प्रस्ताव के बाद विशेषतौर पर सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को परियोजना पर अमल के लिए काफी समय चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि सीमित विनिर्माण क्षमता और चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के तहत धीमी प्रगति की वजह से इलेक्ट्रिक ट्रकों की पेशकश रुक गई जिसमें स्थानीयकरण के विशिष्ट स्तरों को अनिवार्य किया गया है।
इलेक्ट्रिक बसों को एक अलग बाधा का सामना करना पड़ता है। मेहरा ने समझाया कि पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत, ई-बसों की तैनाती एक भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम) पर निर्भर करती है, जो अब भी तैयार की जा रही है। अक्टूबर 2024 में शुरू की गई पीएम ई-ड्राइव योजना का परिव्यय 10,900 करोड़ रुपये और इसका उद्देश्य 24.8 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों, 315,000 तिपहिया वाहनों, 5,643 ट्रकों, 14,028 बसों और 88,500 चार्जिंग स्टेशनों को सब्सिडी देना है।