मूर्ति और सुब्रमण्यन के बयानों की अहमियत
लोगों को एक हफ्ते में आखिर कितना काम करना चाहिए? इस सवाल पर हाल में बहुत आक्रोश जताया गया। किसी विषय पर बहस के बजाय आक्रोश बहुत सोच-समझकर जताया जाता है। सबसे पहले इन्फोसिस के संस्थापक एन नारायण मूर्ति ने कहा कि कर्मचारियों को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। कुछ दिन बाद ही […]
समाजवाद के साथ परमाणु ऊर्जा का वादा
हमारे देश में बजट हरेक साल उबाऊ होता जा रहा है और वह भी इतना कि बाजार भी पसोपेश में पड़ जाता है। बजट की बातें बाजार के पल्ले ही नहीं पड़ती हैं और उसे समझ ही नहीं आता कि ऊपर जाए या गोता खाए। एक तरह से यह अच्छी बात है। लेकिन मैं भी […]
मध्य वर्ग और मोदी: दिल है कि मानता नहीं
भारत की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है और इसकी सबसे ज्यादा चोट मध्य वर्ग पर पड़ रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इसकी परवाह क्यों नहीं है और वह उन्हें तवज्जो क्यों नहीं दे रही है, इस पर बाद में आएंगे। उससे पहले ज्यादा बड़े संकट की बात कर लेते हैं। भारत की आर्थिक […]
राष्ट्र की बात: हर वाद पर भारी लोकलुभावनवाद
हम 2025 में प्रवेश कर चुके हैं और अब यह तय करना उचित होगा कि कौन सा ‘वाद’ हार चुका है और कौन सा जीत रहा है। अगर हम पश्चिम को देखें तो वामपंथ या वाद अब लगभग समाप्त हो चुका है। यह न केवल राजनीतिक रूप से समाप्त हो चुका है बल्कि सामाजिक स्तर […]
राष्ट्र की बात: प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नाम खुला पत्र
आदरणीय और प्रिय प्रोफेसर यूनुस, मैं इस उलझन में हूं कि आपको बधाई दूं या आपके साथ सहानुभूति प्रकट करूं। आम तौर पर इस प्रकार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले किसी भी व्यक्ति को सावधान रहने की जरूरत नहीं होती मगर भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े, घनी आबादी वाले और कुल मिलाकर गरीब देश […]
मनमोहन सिंह का दूसरा बड़ा और अहम सुधार
पिछले दो-तीन दिन में डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में लाखों शब्द लिखे और कहे जा रहे हैं। उनमें से ज्यादातर 1991 में शुरू किए गए सुधारों की ही बात करेंगे। इससे हम समझ सकते हैं कि कैसे उनके प्रशंसक भी उनके जीवन का अक्सर एक ही पहलू देखते हैं। इनमें उनके वे प्रशंसक भी […]
राष्ट्र की बात: लगातार उभरते मुद्दों पर भागवत की चेतावनी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ‘मंदिर के ऊपर मस्जिद होने’ के दावे बंद करने की बात कह रहे हैं तो शायद उन्हें एहसास हुआ है कि यह मुद्दा काबू से बाहर हुआ तो कानून-व्यवस्था कायम नहीं रह पाएगी ‘अगर कोई कौआ मंदिर के शिखर पर बैठ जाए तो क्या वह गरुड़ बन जाएगा?’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक […]
राष्ट्र की बात: केवल डीप स्टेट नहीं अमेरिकी विदेश विभाग पर भी है हमला
हमारे राजनीतिक रणनीतिक इतिहास की एक अहम घटना अपेक्षाकृत कम बहस के साथ गुजर गई। यह घटना थी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा अमेरिकी डीप स्टेट पर ही नहीं बल्कि अमेरिकी विदेश विभाग पर भी हमला। जब भाजपा के आधिकारिक एक्स हैंडल ने 16 भागों में बंटे एक संदेश के जरिये अमेरिकी डीप स्टेट पर […]
राष्ट्र की बात: खराब विचारों की वापसी और सुधारकों की कमी
इस सप्ताह के स्तंभ के लिए तीन उपयुक्त मुद्दे सामने थे: गरीबी उन्मूलन का पुराना विचार, स्टील उद्योग की अधिक आयात शुल्क के लिए लॉबीइंग और एडी श्रॉफ जैसे सुधारों के पैरोकार इस समय नहीं हैं इस सप्ताह इस स्तंभ के लिए तीन विषय बिल्कुल समय पर सामने थे। पहला मुद्दा सोशल मीडिया पर वायरल […]
राष्ट्र की बात: भारत का पाकिस्तान में खेलना उचित नहीं
इस सप्ताह का विषय क्रिकेट नहीं बल्कि भारत के पड़ोस की भू-राजनीति है। यही वजह है कि इसकी शुरुआत क्रिकेट से हुई। भारत के आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान जाने की कोई वजह नहीं है। इस मामले में सभी दबावों को नकारा जाना चाहिए। इसका इकलौता समझदारी भरा हल होगा जगह में बदलाव। यह […]