कच्छ जंग के उदाहरण में छिपी भविष्य की आहट
यह सही है कि केवल भारत ही ऑपरेशन सिंदूर को अधूरा काम बता रहा है लेकिन दोनों देश इसे केवल एक झलक के रूप में देख रहे हैं या फिर अगले दौर की तैयारी के रूप में। कोई भी इसे अंतिम नतीजे तक पहुंची लड़ाई नहीं मान रहा है। उपमहाद्वीप का इतिहास बताता है कि […]
जोहरान ममदानी पर गर्व कर सकते हैं, लेकिन उनका ‘समाजवाद’ भारत में असफल रहा है
जोहरान ममदानी का विश्वास, गजा के लिए उनका समर्थन और मोदी तथा नेतन्याहू को लेकर उनकी नापसंदगी ऐसी वजह हैं जिनके चलते भारत में कई लोग उनके उभार से नाखुश हैं और इसे एक और ‘भारतीय’ की कामयाबी के रूप में नहीं देखते। जोहरान ममदानी केवल न्यूयॉर्क शहर या अमेरिकी राजनीति में ही नहीं बल्कि […]
पाकिस्तान के साथ खुद को जोड़ने के खतरे और ‘3D’ समाधान
चीन और पाकिस्तान के बीच एक मजबूत रणनीतिक गठबंधन है। भारत को दोनों से अलग-अलग निपटना चाहिए लेकिन उस स्थिति के लिए भी तैयार रहना चाहिए कि कहीं दोनों मिलकर उसके विरुद्ध साजिश न कर बैठें। विगत तीन दशकों में स्वयं को पाकिस्तान से अलग रख कर प्रस्तुत करना हमारी व्यापक रणनीति का केंद्रीय बिंदु रहा […]
भारत को पुराने नजरियों से देखना और पाकिस्तान से तुलना अनुचित
अगर भारत को सहयोगी मानने वाली इकलौती महाशक्ति भी इस क्षेत्र को भारत-पाकिस्तान को आमने-सामने रखकर एक चश्मे से देखती है तो यह स्वीकार्य नहीं है। यह बात भारत के प्रभाव को बढ़ाने के बजाय उसे कम करती है। किसी खोटे सिक्के की तरह एच शब्द एक बार फिर हमारे साथ जुड़ गया है। एच […]
दो मुश्किल मोर्चे और शतरंज की चाल
इतिहास हर जंग को एक नाम देता है। सरकार के हिसाब से लड़ाई बीच में रुकी जरूर थी मगर कुल मिलाकर 87 घंटे तक चलती रही। तो क्या आने वाली पीढ़ियां इसे केवल 87 घंटे की जंग कहेंगी? किंतु मेरी राय में इसे एक नाम तो दिया ही जाए, जिसका हैशटैग चलाया जा सके। हमने […]
राष्ट्र की बात: पाकिस्तानी सेना प्रमुख और पांचवें सितारे का बोझ
अपने सीने पर सजे पांच सितारों के साथ पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष आखिर ऐसा क्या कर सकते हैं जो वह चार सितारों के साथ नहीं कर सके? एक पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल बनकर आखिर ऐसा क्या कर सकता है जो वह केवल जनरल के रूप में नहीं कर सका? यह कहना लुभावना हो सकता है कि […]
राष्ट्र की बात: एन शब्द, सॉफ्ट पावर और कठोर सचाई
नहीं, हम यहां ‘एन’ का प्रयोग न्यूक्लियर या परमाणु हथियारों के लिए नहीं कर रहे हैं। हम ऐसे सरल उदाहरणों का इस्तेमाल नहीं करते। यही वजह है कि इस आलेख में हमने ‘एन’ का इस्तेमाल नैरेटिव या आख्यान निर्माण के लिए किया है। यह एक अभिव्यक्ति इतनी घिसी-पिटी है कि मैंने इसे लगातार न्यूजरूम में […]
भारत को निपटाना होगा दो में से एक मोर्चा
पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना और वायु सेना के हमले तथा तबाही को एक हफ्ता गुजर चुका है। ऐसे में सीधा सवाल यह है कि देशों के पास सेना क्यों होती है? जंग लड़ने के लिए? यह जवाब कुछ बालबुद्धि और जोशीले किशोर ही देंगे। अपनी रक्षा के लिए? यह छोटे देश […]
आखिर क्या है पाकिस्तानी सेना प्रमुख के दिमाग में?
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर कश्मीर में हालात को बिगाड़ना चाहते थे। पहलगाम आतंकी हमले की योजना उनके भाषण के बाद के सप्ताहों में नहीं बनी थी। इसके लिए पहले से काम किया जा रहा था। कोई भी निश्चित तौर पर नहीं कह सकता है कि पहलगाम आतंकी हमले जैसी उकसावे की कार्रवाई क्यों की […]
जाति जनगणना एक खराब विचार है
जाति जनगणना को बुरा करार देने की एक वजह यह भी है कि अब तक राहुल गांधी के सिवा कोई भी यह नहीं बता सका है कि जाति के आंकड़ों का क्या होगा। नरेंद्र मोदी सरकार की जाति जनगणना कराने की घोषणा के बारे में एक अच्छी बात हम यह कह सकते हैं कि आखिरकार, […]