
राष्ट्र की बात: कश्मीर मामले में पूरा हो अधूरा काम
भारत ने कश्मीर को लेकर अनुकूल स्थितियां बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। परंतु अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने की चौथी वर्षगांठ करीब है और अभी भी जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस लौटाना शेष है। समाचारों की प्रकृति ही कुछ ऐसी है कि श्रीनगर में आयोजित जी20 कार्यक्रम (पर्यटन पर तीसरा […]

हमें मणिपुर की वाकई नहीं है परवाह
क्या एक राष्ट्र के रूप में हम अपने सुदूर पूर्वी राज्य मणिपुर की परवाह करते हैं? मणिपुर इस समय ऐसे संकट से गुजर रहा है जिसका सामना 1983-93 के दशक में पंजाब में हिंदू-सिख संबंधों में आई दरार और कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हिंसा एवं उनके पलायन के बाद किसी भारतीय राज्य […]

लोकतंत्र बनाम पाकिस्तान
आप इमरान खान के साथ हैं या उनके खिलाफ? इस सवाल को दो तरीकों से पूछा जा सकता है। पहला, अगर आज पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं तो इमरान खान जीतेंगे या नहीं? दूसरा, अगर वह जीतते हैं तो यह पाकिस्तान के लिए अच्छा होगा या बहुत बुरा? पहले सवाल का जवाब है कि […]

नई बहुपक्षीय व्यवस्था की हैं अपनी
मुश्किलें
गोवा में आयोजित शांघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेशमंत्री स्तर की वार्ता में रस्मी तस्वीरें खिंचवाने के मौके तो नजर आए ही, साथ ही बंद कमरों में हुई बातचीत में शायद कुछ मानीखेज नतीजे भी निकले हों। यह इस बात पर सोचने का भी अवसर है कि कैसे ऐसे बहुपक्षीय संस्थानों की तादाद बढ़ रही […]

चीन-पाक चुनौती के बीच भारत की सामरिक स्थिति
शांघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक अच्छा अवसर है जब हम इस बात पर नजर डाल सकते हैं कि रणनीतिक हालात किस प्रकार बदले हैं। बीते 10 वर्षों में भारत की ताकत बढ़ी है लेकिन वह चीन और पाकिस्तान के बीच में भी फंसा हुआ है। यदि शांघाई सहयोग संगठन (SCO) की ताजा मंत्रिस्तरीय बैठक […]

अतीक, अंसारी और नरोडा मामलों के सबक
दो पड़ोसी राज्यों में जनसंहार के पुराने मामलों में अदालतों के दो फैसलों में आरोपितों को बरी कर दिया गया। पहले मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने 29 मार्च को मई 2008 में जयपुर में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में चार मुस्लिमों की दोषसिदि्ध और गंभीर सजा को खत्म किया। दूसरे मामले में पिछले […]

विपक्षी एकता की राह और कड़वी हकीकत
जब भी बहुमत प्राप्त कोई सरकार सत्ता पर पूरी दृढ़ता से काबिज हो और किसी एक नेता द्वारा उसे हरा पाने का विचार मुश्किल नजर आ रहा हो तो ‘विपक्षी एकता’ का विचार वापस आ जाता है। हमें यह समझना होगा कि आखिर क्यों यह एक फर्जी, हार का मुंह देखने वाला और बार-बार विफल […]

भाजपा की चार दशक की विकास यात्रा
भाजपा के जन्मदिन को पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी उसका पुनर्जन्म दिन कहना पसंद करते हैं क्योंकि उसका जन्म सन 1980 में ईस्टर के सप्ताहांत पर हुआ था। उसके 43वें जन्मदिन के अवसर पर काफी कुछ लिखा गया। इस बीच पार्टी की दूसरी बार बनी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में प्रवेश कर […]

राष्ट्र की बात शेखर गुप्ता : सुधारात्मक से दंडात्मक हो रही न्यायपालिका
पिछले दिनों न्यायालयों के दो विरोधाभासी निर्णय आए जिन्होंने एक असहज करने वाला प्रश्न उठाया: क्या निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक हमारी न्यायपालिका सुधारवादी संस्था से दंड देने वाली संस्था में बदल रही है। यहां बहस के लिए एक स्थिति प्रस्तुत है: बीते 15 वर्षों के दौरान हमारी न्यायपालिका यानी निचली अदालतों से […]

सिखों की नाराजगी की चार प्रमुख वजह
पंजाब में आज के माहौल और 1980 के दशक में संकट की शुरुआत के समय के माहौल में दो समानताएं हैं। पहली समानता अच्छी है। अगर आप पंजाब में यूं ही घूमते हुए अनजान सिखों से पूछें कि क्या वह भारत से अलग खालिस्तान नामक देश चाहते हैं तो ज्यादा संभावना यही है कि ज्यादातर […]