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Editorial: वोडाफोन आइडिया के एजीआर संकट पर समाधान की उम्मीद, समान नीति की मांग तेजबजट 2026 में राजकोषीय अनुशासन और विकास के बीच संतुलन जरूरीतकनीकी दिग्गजों ने भारतीय यूजर्स से कमाए अरबों डॉलर, इसे देश में ही रोकने की जरूरतबांग्लादेश में विशेष न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को दी मौत की सजा, हिंसक दमन का ‘प्रमुख सूत्रधार’ बतायाबिहार: नीतीश के हाथ में ही रहेगी कमान, जदयू-भाजपा गठबंधन में मंत्री पदों का बंटवारा तयआईटी शेयरों पर फंड मैनेजरों की दो राय, गिरावट के बाद अब रिकवरी की बढ़ीं उम्मीदेंBihar Election Analysis: बिहार में दोबारा जीत का ट्रेंड मजबूत, BJP-JDU की सीटों पर वोट प्रतिशत भी बढ़ाअगले 3 से 5 साल में निवेशकों की संख्या हो सकती है दोगुनी, SEBI चेयरमैन ने जताई उम्मीदIPO लंबी अवधि की पूंजी नहीं जुटा रहे, सिर्फ शुरुआती निवेशकों का एग्जिट बन रहे: CEA नागेश्वरनव्यापार घाटे की खाई हुई और चौड़ी: अक्टूबर में निर्यात 11.8% घटा, ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 41.68 अरब डॉलर पर

लेखक : शेखर गुप्ता

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

अगर कांग्रेस भाजपा से आगे निकलना चाहती है तो उसे पहले थोड़ी विनम्रता दिखानी होगी

करीब 18 महीने पहले लोक सभा चुनाव में लड़खड़ाने के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली और अब बिहार विधान सभा चुनावों में जीत ने नरेंद्र मोदी के अनुयाइयों को यह यकीन दिला दिया है कि उनकी अपराजेयता वापस आ गई है और भारत की राजनीति एक बार फिर एक नेता व दल पर केंद्रित हो गई […]

ताजा खबरें, लेख

NDA की जीत में पासवान, मांझी गठबंधन ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी: 10 बिंदुओं में बिहार चुनाव नतीजों के निष्कर्ष

आइए देखते हैं कि बिहार चुनाव नतीजों से कौन से 10 संदेश निकलते हैं। पहला संदेश तो यही है कि यह जीत चाहे जितनी बड़ी और एकतरफा नजर आ रही हो लेकिन वोट बैंक अभी भी बरकरार हैं। जैसे-जैसे मुकाबले सीधे होते जा रहे हैं, फिर चाहे वे दो दलों के बीच हों या गठबंधन […]

आज का अखबार, लेख

बिहार: विश्व का प्रथम गणराज्य जो अब कहीं गुम है

बिहार में 18वीं विधान सभा के लिए चुनाव चल रहे हैं। वहां के लोग गर्व से कहते हैं कि लोकतंत्र का जन्म उनके यहां हुआ था। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि भारत लोकतंत्र की मां है। बिहार के वैशाली जिले के निकट राजमार्ग पर लगा एक बोर्ड कहता है, ‘विश्व […]

आज का अखबार, लेख

हार्ड पावर की नई करेंसी: ट्रंप ने कैसे अमेरिकी आयातों को एसेट में बदला

जिस समय मैं यह लेख लिख रहा था, अमेरिका में रात का समय था और हमें नहीं पता था कि सुबह हमें ट्रुथ सोशल पर क्या पोस्ट देखने को मिलेगी या फिर उनसे क्या नया भूराजनीतिक संकेत निकलेगा। परंतु हमें अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के तौर तरीकों को लेकर कुछ स्पष्टता मिलने लगी है। कुछ […]

आज का अखबार, लेख

राष्ट्र की बात: कहानियां गढ़ने में डीपफेक से पैदा हुई नई चुनौती

आप इस आलेख को एक विचार आलेख के रूप में पढ़ सकते हैं, एक युद्ध केंद्रित फिल्म की पटकथा के रूप में या फिर एक खबर के रूप में भी जिसे बेहद गहराई के साथ प्रस्तुत किया गया हो। लेकिन मैं इससे संबंधित रहस्य को यहीं समाप्त करते हुए आपसे आग्रह करूंगा कि आप ऐसा […]

आज का अखबार, लेख

जाति, सत्ता और पीड़ा: जब विशेषाधिकार भी नहीं दिला पाता सम्मान

पिछले दिनों तीन कारकों के एक साथ आने से जाति और अल्पसंख्यकों से जुड़ी ऐसी समस्याओं का एक मिश्रण हमारे सामने आया है जिन्हें देश संविधान निर्माण के 75 वर्ष बाद भी सुलझा पाने में नाकाम रहा है। जाति की समस्या तो हमारे यहां सदियों से व्याप्त है। तीन घटनाएं सामने आई हैं: देश के […]

आज का अखबार, लेख

पाकिस्तान का असली चेहरा: इस्लाम नहीं, भारत-विरोध और सेना का कब्जा

यह पिछले सप्ताह इसी स्तंभ में प्रकाशित आलेख की अगली कड़ी है। उस आलेख में मैंने लिखा था कि पाकिस्तान अब्राहम समझौते जैसे किसी समझौते पर हस्ताक्षर करेगा और भारत के साथ शांति स्थापना से बहुत पहले ही वह इजरायल को मान्यता दे देगा। तब से अब तक काफी कुछ बदल गया है। पाकिस्तान अब […]

आज का अखबार, लेख

पाकिस्तान की सोच: मुनिर का ट्रंप तक पहुंचना सामान्य स्थिति की वापसी का संकेत

इन दिनों एक तस्वीर भारत में बहुत गौर से देखी जा रही है। इस तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दाईं तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और बाईं तरफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर खड़े नजर आ रहे हैं। मैं एक ऐसा व्यक्ति रहा हूं जो दुनिया को अक्सर पुरानी भारतीय फिल्म संगीत के […]

आज का अखबार, लेख

क्रिकेट और आतंक के खिलाफ जंग में फर्क करना जरूरी, पाकिस्तान के साथ संबंधों पर नए सिरे से विचार हो

औपचारिक रूप से देखें तो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी है। हालांकि, सीमा पर शांति है और कहीं से कोई आहट नहीं दिख रही है लेकिन युद्ध क्रिकेट की दुनिया तक पहुंच गया है। यह अलग बात है कि यह मैदान से बाहर लड़ा जा रहा है। दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, तीसरी सबसे […]

आज का अखबार, लेख

शासन ढहते हैं कमजोर संस्थाओं की वजह से, न कि नेताओं या विचारधाराओं से

क्या सख्त या नरम सत्ता जैसा कुछ होता है? अगर हम कहें कि सत्ता केवल सत्ता होती है तो? उसमें यह कुव्वत होनी चाहिए कि वह एकजुट, स्थिर और व्यवस्थित बनी रहे। यह अंतिम पंक्ति मेरी नहीं है। किसकी है यह मैं आगे बताऊंगा। नेपाल को ही देख लें। जेनजी (युवाओं) ने राजधानी काठमांडू में […]

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