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सरकार को घरेलू विनिर्माण को स्वार्थी ताकतों से बचाना चाहिएEditorial: विषाक्त कफ सिरप से बच्चों की मौत ने नियामकीय सतर्कता पर उठाए सवालभारतीय IT कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा मसला एक झटका, लेकिन यहां अवसर भीवित्त वर्ष 27 तक घरेलू गैस की मांग बढ़ेगी, कीमतों में आएगी कमी: राजेश मेदिरत्ता2050 तक भारत में तेल की मांग दोगुनी होकर 90 लाख बैरल प्रतिदिन होने का अनुमानभारत-चिली वार्ता तेजी से आगे बढ़ रहा, 2025 तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का लक्ष्यमहिंद्रा ऐंड महिंद्रा : पूरी रफ्तार से दौड़ रही बोलेरो की उत्पादन क्षमतासितंबर में सेवा क्षेत्र की गति सुस्त, PMI गिरकर 60.9 पर; निर्यात और मांग पर असर पड़ासरकार GST 3.0 के तहत रिफंड प्रक्रिया को स्वचालित करने की तैयारी कर रही, पारदर्शिता बढ़ाने पर जोरभारत प्रतिस्पर्धा आयोग ने AI में स्व-ऑडिट की वकालत की, कहा: इससे पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगा

लेखक : शेखर गुप्ता

आज का अखबार, लेख

Opinion: ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ भाजपा का ‘ब्रह्मास्त्र’

मोदी सरकार ने अचानक ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) का जो शगूफा छेड़ दिया है उसे चुनाव से पहले लोगों का ध्यान भटकाने की बड़ी चाल, या ‘ट्रायल बलून’ आदि कुछ भी नाम दे सकते हैं लेकिन यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि यह विचार आया कहां से। लेख में आगे ‘वन नेशन, […]

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विकासशील देशों का नेतृत्व कल्पना और भुलावा

इन दिनों नेहरू को नकारना या उनसे पल्ला झाड़ना चाहे जितना चलन में हो लेकिन उन्होंने विदेश नीति में जो बातें शामिल की थीं उनका एक हिस्सा नरेंद्र मोदी सरकार में भी जस का तस है। इस दलील को स्थापित करने के लिए हम यह गिनती कर सकते हैं कि हाल के दिनों में मोदी […]

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राष्ट्र की बात: पंजाब से ‘कोहरा’ दूर करने की दरकार

पंजाबियों को पता है कि विपरीत हालात से कैसे निपटा जाता है। उन्होंने विभाजन के बाद ऐसा किया और बाद में सन 1993 में समाप्त हुए आतंक और उग्रवाद के समय भी ऐसा ही किया। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर प्रसारित छह कड़ियों वाले धारावाहिक ‘कोहरा’ का मुख्य किरदार एक ऐसा संवाद बोलता है जो पंजाब […]

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राष्ट्र की बात: सीधे आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी

तीन ऐसी वजह हैं जिनसे मोदी और भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव कठिन साबित हो सकते हैं: सुस्पष्ट धुरी वाला विपक्षी गठबंधन, भाजपा विरोधी मतों का एकजुट होना और बदली हुई भूराजनीतिक परिस्थितियां। आगामी आम चुनाव के पहले दौर के मतदान में बमुश्किल आठ महीने का समय बचा है और चुनाव प्रचार अभियान जोर […]

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मणिपुर में कांग्रेस जैसी गलतियां दोहराती भाजपा

मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के अधीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की मोदी सरकार दोनों राज्य में फैली निरंतर अराजकता के कारण हमलों की जद में हैं। हालात ऐसे हैं कि मणिपुर को आसानी से ‘गृहयुद्ध’ का शिकार घोषित किया जा सकता है। पार्टी का बचाव करने […]

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विचारधारा का अंत और उसका पुनर्जन्म

भाजपा ने अपनी विचारधारा की निरंतरता बनाए रखी है जबकि कांग्रेस में विभाजन देखने को मिला है। कांग्रेस एक आधुनिक विचारधारा को अपनाए तो हमें दो दलीय राजनीति की वापसी देखने को मिल सकती है पिछले दिनों महाराष्ट्र की राजनीति में जो नाटकीय परिवर्तन नजर आया वह हमारी राष्ट्रीय राजनीति के बारे में दिलचस्प झलक […]

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म​णिपुर में दुविधाग्रस्त नजर आ रही मोदी सरकार

‘भारत में शासन की दृ​ष्टि से सबसे चुनौतीपूर्ण राज्य कौन सा है?’ इस प्रश्न का उत्तर आसान है। भारत का नक्शा उठाकर दे​खिए आपको पता चल जाएगा कि जवाब है म​णिपुर। दो महीने से भी अधिक समय हो चुका है और इस सीमावर्ती राज्य में सशस्त्र समूहों और प्रतिद्वंद्वी भीड़ का शासन चल रहा है […]

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फंस गए रे ओबामा

इस आलेख का शीर्षक किसी असावधानी में नहीं दिया गया है बल्कि यह 2010 में आई सुभाष कपूर की एक शानदार फिल्म का नाम है। अब तक आप समझ ही गए होंगे कि यहां संदर्भ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना का है। यह आलोचना ठीक उसी […]

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Manipur Violence: मणिपुर संकट को लेकर क्या हो प्रतिक्रिया ?

मणिपुर ऐसी अराजकता का शिकार हो गया जो देश के किसी अन्य हिस्से में दशकों से देखने को नहीं मिली है। अगर आप यह परखना चाहते हैं कि देश के सामने आज सबसे बड़ा तात्कालिक आंतरिक या बाहरी सुरक्षा खतरा क्या है तो कृपया उसकी तलाश टेलीविजन समाचार चैनलों पर न कीजिए। क्योंकि तब आप […]

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राष्ट्र की बात: पुराने कुलीनों की जगह लेतीं नई प्रतिभाएं

भारत का पुराना कुलीन वर्ग अपना दबदबा गंवा चुका है। आज भारत का कारवां उन लाखों भारतीयों की बदौलत आगे बढ़ रहा है जिन्हें हमारे गिनेचुने कुलीन संस्थानों द्वारा तैयार नहीं किया गया। सर आइवन मेनेजेस (1959-2023) जिनका हाल ही में निधन हुआ है, वह एक शानदार व्यक्ति थे। बहुत संभव है कि मेरी उनसे […]

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