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अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति 2025: नई सोच या वैचारिक मोड़, जवाब कम और सवाल ज्यादाचीन की आर्थिक वृद्धि बताती है कि सरकारी समर्थन नए उद्यमों पर केंद्रित क्यों होना चाहिएYear Ender 2025: आतंकी हमलों से लेकर सत्ता बदलाव और कूटनीतिक सक्रियता तक, देश को नई दिशा देने वाला सालETF Top Picks: मिरे असेट शेयरखान की पसंद बने ये 10 ईटीएफ, 3 साल में 25% तक की कमाई कराईH-1B Visa: इंटरव्यू रद्द होने पर भारत ने अमेरिका के सामने जताई चिंता, मई 2026 तक टले हजारों अपॉइंटमेंटYear Ender 2025: इक्विटी म्युचुअल फंड्स का कैसा रहा हाल? इन 3 कैटेगरी ने निवेशकों को किया मालामालYear Ender 2025: NFOs आए… लेकिन निवेशकों ने क्यों पीछे खींचे हाथ?Tata Steel पर नीदरलैंड्स में $1.4 अरब का मुकदमा दायर, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का आरोपRevised vs Updated ITR: दोनों में क्या है अंतर और किस टैक्सपेयर्स को क्या भरना जरूरी, आसान भाषा में समझेंNational Pension Scheme में हुए कई बदलाव, निवेशकों को जानना जरूरी!

लेखक : राजेश कुमार

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: नई राजकोषीय नीति से जुड़े सवाल

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पिछले माह पेश किए गए तीसरी नरेंद्र मोदी सरकार के पहले केंद्रीय बजट में, चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में 20 आधार अंकों का सुधार करते हुए इसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत पर ला दिया गया है, जो फरवरी में पेश अंतरिम […]

अर्थव्यवस्था, आज का अखबार, बजट

Budget 2024 Explained: राजनीति और अर्थव्यवस्था को साधने वाला ‘विशेष’ बजट, कृषि क्षेत्र पर नए सिरे से दिया गया ध्यान

All about Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लगातार सातवीं बार केंद्र सरकार का बजट पेश किया। हालांकि पांच साल पहले जब उन्होंने अपना पहला बजट पेश किया था, तबसे राजनीतिक और आर्थिक हालात काफी बदल चुके हैं। पिछले 10 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र में सत्तारूढ़ […]

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: केंद्रीय बैंक क्यों खरीद रहे इतना सोना?

सोने की मांग बढ़ने से पिछले दो वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका भाव 30 प्रतिशत से भी अधिक चढ़ चुका है। भारतीय बाजारों में तो सोने के दाम में पंख लग गए हैं। दाम में मौजूदा तेजी सोने के साथ एक महत्त्वपूर्ण सैद्धांतिक तथ्य से मेल नहीं खाती है। सोना नियमित आय का स्रोत […]

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: सरकार की क्षमता में सुधार की दरकार

चुनावी राजनीति में राजनीतिक दल प्रायः चुनाव से पहले राजनीतिक घोषणापत्रों के माध्यम से अपने दृष्टिकोण एवं योजनाएं जनता के समक्ष रखते हैं। परंतु, भारत विकास के जिस चरण में खड़ा है वहां ऐसे घोषणापत्र कदाचित ही सभी वर्गों की अपेक्षाएं पूरी कर पाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक […]

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: चुनावी वित्त-व्यवस्था के लिए बेहतर समाधान

चुनाव आयोग ने 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनावों की घोषणा कर दी है और इसके साथ ही भारत दुनिया में अब तक की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए कमर कस रहा है। आगामी चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने के बीच हाल में हुए दो महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम ने नागरिकों को देश […]

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: अंतरिम बजट, महामारी का दौर और राजकोषीय नीति का पुनर्गठन

आगामी अंतरिम बजट नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल की राजकोषीय नीति संबंधी अंतिम कवायद होगी। इसके साथ ही हालिया इतिहास में राजकोषीय प्रबंधन के मामले में सबसे मुश्किल पांच वर्ष के कार्यकाल का अंत हो जाएगा। हालांकि सरकार अभी भी कोविड-19 महामारी के कारण लगे झटकों से उबर रही है और […]

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: लोक लुभावन नीतियों का दौर

कुछ राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित हो जाएंगे। चुनाव विश्लेषक इन परिणामों- विशेषकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़- का गहन विश्लेषण करेंगे और 2024 के आम चुनाव में राजनीतिक हवा के रुख से इसे जोड़कर देखेंगे। इन तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच […]

आज का अखबार, लेख

चीन की दीवार में मंदी की बढ़ती दरार

पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ब्याज दरों में कमी करने के मामले में बड़े केंद्रीय बैंकों के बीच एक बड़ा अपवाद है। ज्यादातर केंद्रीय बैंक जहां मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए जूझ रहे हैं, वहीं चीन का केंद्रीय बैंक कमजोर पड़ती विकास की संभावनाओं और गिरती कीमतें रोकने के लिए कदम उठा रहा है। हालांकि […]

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: स्थानीय मुद्रा में व्यापार की सीमाएं

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेन-देन में अमेरिकी मुद्रा डॉलर का दबदबा बदलती परिस्थितियों में कई देशों को असहज बना रहा है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद यह असहजता और बढ़ गई है। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को रूस के लिए प्रतिकूल बना दिया है। स्पष्ट है, कोई भी […]

आज का अखबार, लेख

अर्थतंत्र: अमेरिका में ऋण सीमा पर विवाद एवं इसके आर्थिक परिणाम, बता रहे हैं एक्सपर्ट

राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी संसद के प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष एवं रिपब्लिकन पार्टी के सांसद केविन मैकार्थी ऋण सीमा बढ़ाने पर ‘सैद्धांतिक रूप’ में सहमत हो गए है। अब इस सैद्धांतिक सहमति को 5 जून से पहले अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट और प्रतिनिधि सभा में पारित कराना होगा। हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी के […]

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