
भारत को बड़े कारोबारी समूहों की जरूरत
दुनिया में कहीं भी बड़े कारोबारी समूहों को भंग नहीं किया गया है। भारत में ऐसी मांग आर्थिक आत्महत्या के समान होगी। बता रहे हैं आर जगन्नाथन ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो अर्थशास्त्री एक अलग ही दुनिया में जी रहे हैं जो मौजूदा दौर की हकीकतों से दूर है। जब आपको हर हालात में […]

लोकतंत्र की रैंकिंग का निर्धारण और उसकी खामियां
विश्व के लोकतांत्रिक देशों की वी-डेम रैंकिंग की आलोचना यह बताती है कि आखिर यह क्रम तय करने के उसके तरीकों में क्या समस्या है। इस विषय में जानकारी दे रहे हैं आर जगन्नाथन भारतीय लोकतंत्र में निश्चित तौर पर कमियां हैं। हमें इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया का कोई […]

तकनीकी उन्नति और रोजगार का संकट
भारत को जी 20 देशों के समूह की अध्यक्षता मिलने के बाद जो प्रमुख लक्ष्य तय किए गए थे उनमें से एक यह भी था कि तकनीक में मानवकेंद्रित रुख अपनाया जाएगा और डिजिटल सार्वजनिक अधोसंरचना, वित्तीय समावेशन तथा तकनीक सक्षम विकास वाले क्षेत्रों मसलन कृषि से लेकर शिक्षा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ज्ञान […]

लोकतंत्र पर मंडराता अदालती खतरा
न्यायपालिका ने लोकतंत्र को अक्षुण्ण रखने वाली नियंत्रण एवं संतुलन की नाजुक व्यवस्था को जिस प्रकार किनारे कर दिया है, उससे देश को न्यायिक अतिक्रमण के दौर में जाता देख रहे हैं आर. जगन्नाथन