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लेखक : आर जगन्नाथन

आज का अखबार, लेख

कॉरपोरेट जगत को नहीं बनाया जाना चाहिए निशाना, भरोसा ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेगा

भारतीय कारोबारी जगत ने कई नाकामियों का सामना किया है, इसके बावजूद एक बात जो नहीं होनी चाहिए वह है राजनीतिक दलों या बुद्धिजीवियों द्वारा उन पर कीचड़ उछालना या उन्हें गलत ठहराना। जब बड़े राजनेता उन पर हमला करते हैं (इस समय राहुल गांधी और अतीत में अरविंद केजरीवाल ऐसा कर चुके हैं) तो […]

आज का अखबार, लेख

भारत की कूटनीति को दिखावे से आगे बढ़कर ठोस नीतियों पर ध्यान देना होगा

भारत एक ऐसा देश है जो जल्दी ही जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है और शायद इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। परंतु कूटनीति के मामले में हम अपनी क्षमता से कमतर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को जहां दुनिया के उभरते नेता के […]

आज का अखबार, लेख

वोडाफोन संकट: ठोस उपायों की दरकार, विचारधारा की नहीं

राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज जब ज्यादा से ज्यादा पेचीदा और विविधता भरे होते जा रहे हैं तब नीति निर्माण के लिए वैचारिक चश्मे के इस्तेमाल का खास फायदा नहीं रह गया है। आज दुनिया के किसी भी देश को पूंजीवादी या साम्यवादी नहीं कहा जा सकता क्योंकि कोई भी देश इनकी मूल परिभाषा पर खरा […]

आज का अखबार, लेख

बिगड़ते माहौल में भारत के रक्षा क्षेत्र की दुविधाएं 

कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष लोगों की हत्या और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत को एक कठोर वास्तविकता का सामना करना पड़ रहा है। भले ही हमने वह हासिल कर लिया जो करने का लक्ष्य रखा था, यानी पाकिस्तान आतंकवाद की भारी कीमत चुकाए लेकिन हमारे नीचे की जमीन भी खिसकी है। चीन ने अब […]

आज का अखबार, लेख

जाति जनगणना और जातीय पहचान

विक्टर ह्यूगो का एक मशूहर कथन है- ‘उस विचार को कोई नहीं रोक सकता है जिसका वक्त आ चुका हो।’ इस कथन के साथ दिक्कत यह है कि यह हमें इसके आगे की बात नहीं बताता। कोई विचार अगर एक बार आजमाने के बाद उतना अच्छा नहीं साबित होता तब? यह भी कि किसी बुरे […]

आज का अखबार, लेख

राजनीति और सत्ता का स्थानीयकरण जरूरी

ट्रंप के दौर में मची उथलपुथल ने हर देश को यह देखने का मौका दिया है कि उसकी आर्थिक नीतियां और सुधार अब भी सार्थक हैं या नहीं। कई टीकाकारों ने सरकार से अपनी संरक्षणवादी मानसिकता पर दोबारा विचार करने और कम शुल्क तथा अधिक होड़ के लिए तैयार रहने का आग्रह किया है। इस […]

आज का अखबार, लेख

पश्चिम में जीवन: आधी हकीकत आधा फसाना

अरमान और उनसे जन्मे स्वप्न बहुत विचित्र होते हैं। वे इंसान को मुश्किल और कई बार तो असंभव या अवांछित काम करने के लिए कहते हैं चाहे लक्ष्य हकीकत से कोसों दूर मरीचिका की तरह ही क्यों न हो। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अवैध भारतीय प्रवासियों को हथकड़ी-बेड़ी में जकड़कर सेना के जहाज से […]

आज का अखबार, लेख

ट्रंप के फैसलों से मची उथल-पुथल के फायदे

सफेद आलीशान इमारत में रहने वाला 78 साल का एक व्यक्ति अपने देश और पूरी दुनिया को झटके दे रहा है। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप है। पद संभालने के बाद पखवाड़े भर बाद ट्रंप अमेरिका में अवैध तरीके से रहने वाले हजारों लोगों को रोजाना उनके देश भेज […]

आज का अखबार, बजट, लेख

आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र पर हो विशेष ध्यान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास इस बार पहले जैसा या एक ही लीक पर चलने वाला बजट पेश करने का विकल्प नहीं है। वृद्धि, रोजगार, बुनियादी ढांचे और राजकोषीय संतुलन पर जोर तो हमेशा ही बना रहेगा मगर 2025-26 के बजट में उस पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसे […]

आज का अखबार, लेख

प्रजनन दर बढ़ाए बिना कैसे हल हो आबादी का सवाल?

जब से राजनेताओं और बुद्धिजीवियों ने इस सत्य को समझा है कि ‘जनांकिकी ही नियति है’, तब से वे जनसंख्या को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। यूरोप और अमेरिका में उन्होंने अवैध प्रवासियों का आगमन रोककर ऐसा करने का प्रयास किया क्योंकि प्रवासियों के कारण उनकी जनांकिकी बिगड़ रही है। भारत में हम […]

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