ट्रंप के साथ टैरिफ जंग में क्या भारत को अपनी ट्रेड पॉलिसी बदलनी चाहिए?
हमें अब तक के इतिहास में कभी ऐसे हालात का सामना नहीं करना पड़ा जहां शुल्कों का इस्तेमाल हथियार के रूप में इस तरह से किया गया हो कि दूसरे देशों को अधीनता स्वीकार करने पर विवश किया जा सके या उनकी राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरे में डाला जा सके। परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप […]
कर्नाटक में क्षेत्रीय विषमता व्यापक मानव विकास को कर रही बाधित
कर्नाटक के हालात में पिछली चौथाई सदी में बहुत बदलाव आया है। 1990-91 में जहां उसकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 19 फीसदी कम थी वहीं अब वह जबरदस्त प्रगति करता हुआ देश के जीवंत प्रौद्योगिकी और नवाचार के केंद्र के रूप में उभरा है। यही नहीं वह आधुनिक सेवा उद्योग का केंद्र भी […]
M Govinda Rao: वृद्धि की मृगतृष्णा से बचाव, सुधार केवल पूंजी निवेश तक न रहे सीमित
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अप्रैल में जारी किए गए विश्व आर्थिक परिदृश्य ने भारत के विकास से ताल्लुक रखने वाले लोगों में बहुत अधिक खुशी और उत्साह का संचार किया है। नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी ने जब यह घोषणा की कि जापान को पछाड़कर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया […]
प्रदर्शन के मामले में राज्यों की रैंकिंग में सीमाएं
राज्यों के प्रदर्शन पर हालिया रिपोर्ट को मीडिया में खूब प्रसारित किया जा रहा है। यह रिपोर्ट हालांकि निजी एजेंसी केयर रेटिंग्स की सहायक फर्म केयर एज रेटिंग्स ने तैयार की है, लेकिन नीति आयोग के सीईओ द्वारा फॉरवर्ड किए जाने के कारण इसे आधिकारिक दर्जा दिया गया है। रिपोर्ट में राज्यों को आर्थिक, राजकोषीय, […]
भारत के सामने आया 1991 जैसा अवसर
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने आखिरकार अपनी धमकी के मुताबिक विश्व व्यापार में उथल पुथल मचा ही दी। उन्होंने शुल्क या टैरिफ में 10 फीसदी की एकसमान बढ़ोतरी के साथ सभी देशों पर अलग-अलग टैरिफ लगाया है। जवाब में कई देश अमेरिकी माल पर शुल्क लगा रहे हैं, जिससे दुनिया में संरक्षणवाद तथा आर्थिक धीमापन […]
वैश्विक कर चोरी से किस तरह हो जंग?
बहुराष्ट्रीय कंपनियां और उच्च आय वाले व्यक्ति (एचएनआई) कम कर वाले क्षेत्रों और टैक्स हैवन (कर बचाने वाले इलाकों) में जाकर या तो कर चोरी करते हैं या काफी कर बचा लेते हैं, जिस पर दुनिया भर में चिंता बनी हुई है। विकासशील देशों में यह चिंता ज्यादा नजर आती है क्योंकि उन्हें बुनियादी ढांचा […]
राज्यों की राजकोषीय स्थिति मापने की गुत्थी
भारत में राजकोषीय स्थिति का आकलन किया जाता है तो मोटे तौर पर कर नीति और राजकोषीय घाटे एवं केंद्र सरकार पर चढ़े कर्ज को देखा जाता है। यह बात बिल्कुल दुरुस्त है कि व्यापक आर्थिक स्थिरता एवं आर्थिक वृद्धि के लिए राजकोषीय घाटे और ऋण पर नजर रखना जरूरी है। कर नीति का विश्लेषण […]
Budget 2025: अच्छी घोषणाओं की झड़ी, लेकिन क्रियान्वयन पर बड़े सवाल
वित्त मंत्री अपने बजट भाषण में आम तौर पर कई अच्छी एवं नेक घोषणाएं करते रहे हैं। परंतु, जब इन घोषणाओं की समीक्षा होती है तो कई सवाल मुंह बाए सामने खड़े हो जाते हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अच्छी एवं उत्साह जगाने वाली […]
पूर्व तिथि से लागू बदलाव निवेश के लिए खतरा
देश में प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाकर 2047 तक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने की हसरत पूरी करनी है तो अर्थव्यवस्था को अगले 23 साल तक 8 फीसदी से ज्यादा सालाना दर से बढ़ना होगा। मौजूदा वृद्धिशील पूंजी-उत्पादन अनुपात के हिसाब से अर्थव्यवस्था को निवेश की दर बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 40 […]
वृद्धि और महंगाई में नाजुक संतुलन
पिछले तीन साल के दौरान सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में 8 प्रतिशत सालाना से ऊपर की वृद्धि हासिल करने के बाद अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में केवल 5.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज कर पाई। पिछली सात तिमाहियों में यह वृद्धि का सबसे कम आंकड़ा रहा। इस तिमाही में आर्थिक सुस्ती का अंदाजा तो […]