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लेखक : एम गोविंद राव

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

फ्री सुविधाओं पर राज्यों का जोर और शिक्षा की अनदेखी से हो सकता है दीर्घकालीन नुकसान

भारत के राजकोषीय संघवाद में सामाजिक सेवाएं प्रदान करना राज्यों का मुख्य उत्तरदायित्व है। आर्थिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए वे केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करते हैं। मगर बात जब राज्यों के राजकोषीय प्रदर्शन के मूल्यांकन की होती है तो ध्यान हमेशा उनके घाटे और कर्ज पर रहता है और उनके सार्वजनिक व्यय […]

आज का अखबार, लेख

बजट 2026 में राजकोषीय अनुशासन और विकास के बीच संतुलन जरूरी

वर्ष 2026-27 की बजट प्रक्रिया अक्टूबर में आरंभ हुई जब इससे संबंधित सर्कुलर जारी हुआ और बजट पूर्व बैठकें आरंभ हुईं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा थोपे गए शुल्कों के कारण बढ़ी अनिश्चितता और अस्थिरता तथा इसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती, साथ ही ट्रंप द्वारा आठ युद्धों को रोकने के दावे के बावजूद अंतरराष्ट्रीय […]

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

केवल लचीलापन ही नहीं, अर्थव्यवस्था के स्थिर बढ़ोतरी के लिए कड़े सुधारों की जरूरत

दिल्ली में आयोजित कौटिल्य इकनॉमिक कॉन्क्लेव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत की अर्थव्यवस्था द्वारा हासिल जबरदस्त लचीलेपन का उल्लेख किया। यह लचीलापन घरेलू उपभोग पर आधारित आर्थिक वृद्धि को मजबूती से स्थापित करके हासिल किया गया है। उनकी इस बात को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने भी […]

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जीएसटी दरों को सरल बनाना अच्छा कदम, लेकिन असली प्रतिस्पर्धा के लिए और सुधार जरूरी

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की इस बात को लेकर सराहना होनी चाहिए कि इसने जीएसटी दरों की संख्या को कम करके और बदलाव लाकर ‘यथास्थिति बनाए रखने की जड़ता’ खत्म की है। प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के बाद से ही लोगों को कर की दरें कम होने, एक सरल संरचना और […]

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ट्रंप के साथ टैरिफ जंग में क्या भारत को अपनी ट्रेड पॉलिसी बदलनी चाहिए?

हमें अब तक के इतिहास में कभी ऐसे हालात का सामना नहीं करना पड़ा जहां शुल्कों का इस्तेमाल हथियार के रूप में इस तरह से किया गया हो कि दूसरे देशों को अधीनता स्वीकार करने पर विवश किया जा सके या उनकी राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरे में डाला जा सके। परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप […]

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कर्नाटक में क्षेत्रीय विषमता व्यापक मानव विकास को कर रही बाधित

कर्नाटक के हालात में पिछली चौथाई सदी में बहुत बदलाव आया है। 1990-91 में जहां उसकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 19 फीसदी कम थी वहीं अब वह जबरदस्त प्रगति करता हुआ देश के जीवंत प्रौद्योगिकी और नवाचार के केंद्र के रूप में उभरा है। यही नहीं वह आधुनिक सेवा उद्योग का केंद्र भी […]

आज का अखबार, लेख

M Govinda Rao: वृद्धि की मृगतृष्णा से बचाव, सुधार केवल पूंजी निवेश तक न रहे सीमित

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अप्रैल में जारी किए गए विश्व आर्थिक परिदृश्य ने भारत के विकास से ताल्लुक रखने वाले लोगों में बहुत अधिक खुशी और उत्साह का संचार किया है। नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी ने जब यह घोषणा की कि जापान को पछाड़कर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया […]

आज का अखबार, लेख

प्रदर्शन के मामले में राज्यों की रैंकिंग में सीमाएं

राज्यों के प्रदर्शन पर हालिया रिपोर्ट को मीडिया में खूब प्रसारित किया जा रहा है। यह रिपोर्ट हालांकि निजी एजेंसी केयर रेटिंग्स की सहायक फर्म केयर एज रेटिंग्स ने तैयार की है, लेकिन नीति आयोग के सीईओ द्वारा फॉरवर्ड किए जाने के कारण इसे आधिकारिक दर्जा दिया गया है। रिपोर्ट में राज्यों को आर्थिक, राजकोषीय, […]

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भारत के सामने आया 1991 जैसा अवसर

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने आखिरकार अपनी धमकी के मुताबिक विश्व व्यापार में उथल पुथल मचा ही दी। उन्होंने शुल्क या टैरिफ में 10 फीसदी की एकसमान बढ़ोतरी के साथ सभी देशों पर अलग-अलग टैरिफ लगाया है। जवाब में कई देश अमेरिकी माल पर शुल्क लगा रहे हैं, जिससे दुनिया में संरक्षणवाद तथा आर्थिक धीमापन […]

आज का अखबार, लेख

वैश्विक कर चोरी से किस तरह हो जंग?

बहुराष्ट्रीय कंपनियां और उच्च आय वाले व्यक्ति (एचएनआई) कम कर वाले क्षेत्रों और टैक्स हैवन (कर बचाने वाले इलाकों) में जाकर या तो कर चोरी करते हैं या काफी कर बचा लेते हैं, जिस पर दुनिया भर में चिंता बनी हुई है। विकासशील देशों में यह चिंता ज्यादा नजर आती है क्योंकि उन्हें बुनियादी ढांचा […]

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