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लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, संपादकीय

भाजपा का घोषणापत्र निरंतरता का संकेत

भारतीय जनता पार्टी ने लोक सभा चुनाव 2024 के लिए रविवार को अपना घोषणापत्र या संकल्पपत्र जारी किया। इसमें इस बात को रेखांकित किया गया है कि पिछले 10 साल में भाजपा सरकार ने क्या हासिल किया है और यदि वह तीसरे कार्यकाल के लिए भी निर्वाचित होती है तो किस तरह से देश को […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: GST सुधार को प्राथमिकता

बीते दशक के सबसे महत्त्वपूर्ण सुधारों की बात करें तो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार उनमें से एक है। बहरहाल, कई वजहों से इसका प्रदर्शन शुरुआती अनुमानों की तुलना में कमजोर रहा और अर्थव्यवस्था को इससे उतना लाभ नहीं मिला जितनी कि कल्पना की जा रही थी। हाल के वर्षों में कर संग्रह में […]

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Editorial: विनिवेश में नई जान

गत माह बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक आयोजन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजीकरण की नीति को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश किए जाने के बाद इस बारे में कुछ चिंताएं उत्पन्न हुई थीं क्योंकि बजट में वर्ष के लिए विनिवेश लक्ष्य को स्पष्ट रूप से […]

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बेहतर व्यापारिक प्रदर्शन की संभावना

विश्व व्यापार संगठन ने 2024 के लिए व्यापार के आकार में वृद्धि के अपने अनुमान को संशोधित किया है। उसने इसे गत अक्टूबर के 3.3 फीसदी वृद्धि से घटाकर 2.6 फीसदी कर दिया है। वैश्विक व्यापार में धीमी वृद्धि जहां संभावनाओं को प्रभावित करेगी, वहीं भारत को उभरते परिदृश्य पर ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के […]

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Editorial: बाजार की ऊंचाइयां

शेयर बाजार सूचकांकों में तेजी का दौर जारी है और वह लगातार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है। इस कैलेंडर वर्ष में निफ्टी चार फीसदी बढ़ा है और इस सप्ताह उसने रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ। बीएसई सेंसेक्स ने भी पहली बार 75,000 का स्तर पार किया। तमाम बाजार संकेतक सकारात्मक बने हुए हैं और इस […]

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Editorial: न्यायिक सुधार जरूरी

भारत की अवरुद्ध न्याय प्रणाली को वैश्विक स्तर पर बदनामी हासिल है जिसकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश संबंधी निर्णयों में भी भूमिका रहती है। सोमवार को देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई पूरी करने के बाद कहा कि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के फैसलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की प्रवृत्ति […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: वास्तविक आय की अनदेखी और उत्पादक रोजगार

श्रम बाजार के हालात पर होने वाली बहस अक्सर बेरोजगारी और श्रम शक्ति भागीदारी दरों पर निर्भर रहती है। वास्तविक आय की अक्सर अनदेखी कर दी जाती है। श्रम शक्ति भागीदारी आंकड़ों में सुधार और बेरोजगारी दर में कमी के बीच अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: जलवायु मुद्दे और मौद्रिक नीति

भारतीय रिजर्व बैंक की इस वित्त वर्ष में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक ने किसी को चकित नहीं किया। रिजर्व बैंक के गवर्नर का वक्तव्य, मौद्रिक नीति संकल्प तथा नीति प्रस्तुत होने के बाद मीडिया के साथ संवाद में रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने यही कहा कि एमपीसी टिकाऊ आधार पर 4 फीसदी […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एक विशिष्ट करियर

इस सप्ताह राज्य सभा से सेवानिवृत्त होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का लंबा सार्वजनिक करियर समाप्त हो गया। डॉ. सिंह ने कई तरह से देश की सेवा की: अर्थशास्त्री, अफसरशाह, नियामक, सांसद, कैबिनेट मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में भी। आजाद भारत में कम ही लोग होंगे जिनका करियर उनके समान लंबा, […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: विमानन कंपनियों में कर्मी प्रबंधन

कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के मामलों में मानव संसाधन के मुद्दे बड़ी चुनौती साबित होते हैं। टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस के स्वामित्व वाली विमानन कंपनी विस्तारा को यह सबक थोड़ा कड़े अंदाज में मिला। बीते कुछ दिनों में विमानन कंपनी को मुश्किलों से गुजरना पड़ा। पूर्व में सरकारी कंपनी रही एयर इंडिया के साथ […]

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