Editorial: टिकाऊ निर्माण- ढांचों का रखरखाव उतना ही महत्वपूर्ण जितना उनका निर्माण
गुजरात में गंभीरा पुल ढहने से होने वाली मौतें भारीभरकम बुनियादी ढांचा बनाने की भारत की योजना के लिए चेतावनी है। इसने दिखाया है कि कैसे देश में बुनियादी ढांचा हड़बड़ी में बनाया जाता है और गुणवत्ता पर नहीं के बराबर ध्यान दिया जाता है। बाद में उसका रखरखाव भी इतने घटिया तरीके से होता […]
Editorial: अतिरिक्त नकदी का प्रबंधन: वित्तीय बाजारों को चाहिए अधिक स्पष्टता
भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति विगत कुछ तिमाहियों में तेजी से बदली है। वर्ष 2024 के अंत में जहां बैंकिंग व्यवस्था में 2 लाख करोड़ रुपये की कमी थी वहीं अब 3 लाख करोड़ रुपये प्रति दिन के अधिशेष की स्थिति में है और यह राशि कुछ दिनों में बढ़कर 4 लाख करोड़ […]
Editorial- व्यापार एकीकरण: आसियान व्यापार समझौते को नहीं छोड़ा जाना चाहिए
अन्य देशों के उद्योगों की तरह ही भारतीय उद्योग जगत भी हर समय यही चाहेगा कि उसे ज्यादा संरक्षित बाजार में फलने-फूलने का मौका दिया जाए। यही वजह है कि उद्योग जगत के भीतर से दक्षिण एशियाई देशों के संगठन आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौता खत्म कर देने की मांग उठती रहती है। ऐसी […]
Editorial: व्यापक अनिश्चितता: ट्रंप ने वैश्विक व्यापार को अनदेखे मार्ग पर धकेला
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक दर्जन से अधिक देशों को पत्र लिखकर, उनके यहां से अमेरिका को होने वाले आयात पर 25 से 40 फीसदी तक का शुल्क लगाने की बात कही है। यह 1 अगस्त से प्रभावी होगा। जिन देशों को नई शुल्क दरों के बारे में बता दिया गया है […]
Editorial: BRICS की सार्थकता- सम्मेलन ने घटती प्रासंगिकता को किया उजागर
ब्राजील की मेजबानी वाली ब्रिक्स शिखर बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त वक्तव्य ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को नाराज किया है क्योंकि उसमें ईरान पर हुई बमबारी और टैरिफ आधारित संरक्षणवाद की आलोचना की गई है। परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से इस प्रकार अप्रत्याशित ध्यानाकर्षण के बावजूद ब्रिक्स समूह की प्रासंगिकता को […]
Editorial: समझौते की प्रतीक्षा: व्यापार की दिशा अभी अनिश्चित
अमेरिका द्वारा व्यापार शुल्क वृद्धि पर स्थगन की 9 जुलाई की समय-सीमा करीब है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि भारत और अमेरिका तय समय में साझा फायदे वाले समझौते पर पहुंच सकेंगे या नहीं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गत सप्ताह कहा कि उन्होंने करीब 12 देशों को शुल्क ब्योरे के साथ […]
Editorial: फेक न्यूज पर कानून या अभिव्यक्ति पर शिकंजा? कर्नाटक विधेयक पर उठे सवाल
देश में इंटरनेट का प्रसार बढ़ रहा है और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस तथा डीपफेक के इस्तेमाल में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में फर्जी खबरों यानी फेक न्यूज के कारण सामाजिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। उनसे निपटने के लिए हमें सावधानीपूर्वक संतुलन कायम […]
Editorial: अनुसंधान से विकास तक: प्रयासों का दायरा RDI योजना तक न रहे सीमित
केंद्र सरकार द्वारा गत सप्ताह मंजूर शोध विकास एवं नवाचार (आरडीआई) योजना इस बात की स्वीकारोक्ति है कि नीति निर्माताओं को नवाचार को बढ़ाने के तरीके तलाशने होंगे और फंडिंग के जरिये इनकी मदद करनी होगी। बहरहाल, आरडीआई सही दिशा में उठाया गया कदम है। हालांकि, इसके बावजूद काफी कुछ करने की जरूरत होगी क्योंकि […]
Editorial: रोजगार को गति: कौशल विकास और नीतिगत सुधारों की दरकार
मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना को मंजूरी दे दी। इसकी घोषणा वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में की गई थी। यह योजना इस बात की स्वीकारोक्ति है कि भारत की आर्थिक वृद्धि को उपयोगी रोजगार अवसरों के रूप में प्रतिफलित होना चाहिए। सावधिक श्रम शक्ति सर्वे के ताजा […]
Editorial: बाहरी जोखिम: व्यापार और पूंजी प्रवाह तय करेंगे वृद्धि का रुख
अर्थव्यवस्था में एक दिन कोई उम्मीद नजर आती है तो अगले दिन भ्रम की स्थिति बन जाती है। अब जबकि 9 जुलाई की तारीख करीब आ रही है तो निश्चित ढंग से यह कहना मुश्किल है कि भारत और अमेरिका समय रहते किसी साझा लाभ वाले द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर पहुंच सकेंगे या नहीं। अमेरिका […]









