Editorial: इलेक्ट्रिक वाहनों का उदय: नई कारों ने ऑटो सेक्टर की चुनौतियों को किया उजागर
विदेशी स्वामित्व वाली इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां भारत में सहजता से विस्तार कर रही हैं। वियतनाम की कार निर्माता कंपनी विनफास्ट ने अपने वीएफ6 और वीएफ7 मॉडल्स के लिए बुकिंग शुरू कर दी है। खबरों के मुताबिक उसने भारत के 27 शहरों में शोरूम खोलने के लिए डीलर्स के साथ समझौते किए हैं। ईलॉन मस्क की […]
Editorial: फिसलन के संकेत: कुछ वर्गों के उधारकर्ताओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
निजी क्षेत्र के बैंकों के पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) के परिणाम दिखाते हैं कि तमाम बैंकों में स्लिपेज यानी फिसलन बढ़ी है। यहां स्लिपेज से तात्पर्य है ऋण लौटाने में चूक की संभावना बनना। यह बात भी ध्यान देने लायक है कि कुछ बैंकों के अनुसार असुरक्षित ऋण और कृषि क्षेत्र से दबाव उत्पन्न हो […]
Editorial: जीएसटी में सुधार- भारत को एक सरल और स्थिर कर संरचना की जरूरत
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में अगले हफ्तों में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने वाला है। खबरों के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विभिन्न पक्षों से बातचीत करेंगे ताकि लंबित मसलों को हल किया जा सके। अगर यह बात सही है तो यह दिखाता है कि जीएसटी व्यवस्था में केंद्र सरकार तथा राज्यों […]
Editorial: जेन स्ट्रीट मामला- खतरे की घंटी अनसुना करता मुनाफे का लालच
हेज फंड जेन स्ट्रीट के विरुद्ध नियामकीय कदम ने इक्विटी डेरिवेटिव्स बाजार की ओर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है। अभी इस मामले पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि हेराफेरी के आरोपों और जेन स्ट्रीट के कीमतों के आर्बिट्राज (कीमतों में अंतर का लाभ) के दावों की पुष्टि होनी बाकी है। इसके बावजूद […]
Editorial: कॉरपोरेट जगत में विविधता जरूरी, महिलाओं की भागीदारी अब भी सीमित
हिंदुस्तान यूनिलीवर की पहली महिला प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में प्रिया नायर की नियुक्ति देश के कॉरपोरेट जगत के लिए एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारतीय कॉरपोरेट जगत ने नेतृत्वकारी भूमिकाओं में लैंगिक यानी स्त्री-पुरुष कर्मचारियों की संख्या में विविधता को लेकर बहुत धीमी प्रगति की है। नियामकीय मानकों […]
Editorial: संकेंद्रण समस्या- ‘चैंपियनों’ के बजाय बाजार का हो समर्थन
यह बात लंबे अरसे से समझी जा रही है कि एक तरफ शुल्कों की दीवार खड़ी कर दूसरी तरफ औद्योगिक नीति के जरिये देसी उद्योगों को सब्सिडी दी जाती है तो उसके कई बुरे नतीजे होते हैं। उनमें से एक है भारी भरकम देसी औद्योगिक समूह तैयार हो जाना। यह बात भारतीय नीति निर्माताओं को […]
Editorial: GCC पर बड़ा दांव, सेवाओं के निर्यात में बढ़त के लिए जरूरी है आधारभूत सुधार और कौशल विकास
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा कि सरकार वैश्विक क्षमता केंद्रों यानी जीसीसी को एक ‘बड़े अवसर’ के रूप में देख रही है। इससे पहले इस वर्ष के आरंभ में केंद्रीय बजट में उन्होंने कहा था कि एक राष्ट्रीय ढांचा तैयार किया जाएगा ताकि जीसीसी को छोटे शहरों की ओर ले […]
Editorial: संतोषजनक स्थिति — कम मुद्रास्फीति का अर्थ अगली दर कटौती नहीं
सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़े दिखाते हैं कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर मई के 2.8 फीसदी से कम होकर जून में 2.1 फीसदी रह गई। मुद्रास्फीति की दर में यह गिरावट मोटे तौर पर खाद्य कीमतों में कमी की बदौलत आई। अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में 1.06 फीसदी की […]
Editorial: आईबीसी में सुधार जरूरी- देरी की समस्या का हो समाधान
जैसा कि इस समाचार पत्र में भी प्रकाशित हुआ था, वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति ने गत सप्ताह एक बैठक में ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता यानी आईबीसी के अधीन मामलों का समाधान तेज करने के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (एनसीएलएटी) स्थापित […]
Editorial: Air India दुर्घटना: आईबी की प्रारंभिक जांच से जवाब के बजाय खड़े हुए प्रश्न
गत 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की उड़ान संख्या 171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आई एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक जांच के नतीजों ने जवाब देने के बजाय नए प्रश्न खड़े कर दिए हैं। उस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी। इंटरनैशनल सिविल एविएशन […]









