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आरएसएस के 100 साल : विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारीमीशो सेल में 2.06 अरब ग्राहक पहुंचे, त्योहारी खरीदारी में रिकार्ड वृद्धिअपनी 100 वर्षों की यात्रा में संघ ने समाज में आत्मबोध, स्वाभिमान जगायामहंगाई पर RBI की कड़ी नजर जरूरी, संसद की निगरानी से बढ़ेगी जवाबदेहीफीकी पड़ती चाय: जलवायु परिवर्तन भारत को श्रीलंका और नेपाल की चाय की ओर धकेल सकता हैEditorial: आरबीआई ने रीपो रेट 5.5% पर बरकरार रखा, महंगाई और आर्थिक वृद्धि पर फोकसRBI ने बैंकों के लोन की लागत घटाने, ऋण प्रवाह बढ़ाने और रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए कई उपाय किएAuto Sales: सितंबर में कारों की बिक्री ने भरा फर्राटा, त्योहारी मौसम और जीएसटी कटौती से थोक बिक्री 5.4% बढ़ीविवाद सुलझाने वाला सर्कुलर एक महीने के भीतर जारी होने की उम्मीद : आईबीबीआईLG इलेक्ट्रॉनिक्स चाहे ₹77,400 करोड़ का मूल्यांकन, 7 अक्टूबर को खुलेगा आईपीओ

लेखक : आदिति फडणीस

आज का अखबार, लेख

दलितों की नई पार्टी का संदेश: शिक्षा और विदेश अवसरों से नई राजनीतिक दिशा तय करने की तैयारी

दलितों को और ज्यादा चाहिए। यहां तक कि अगर उन्हें भारत में नहीं मिल पाता है तो वे इसे पाने के लिए दूसरे देश तक जा सकते हैं। यह संदेश दलितों की क्विट इंडिया पार्टी (डीक्यूआईपी) का है, जिसकी स्थापना बुद्धिजीवी और दलित चिंतक चंद्र भान प्रसाद ने की है। हालांकि, अब तक राजनीतिक दल […]

आज का अखबार, लेख

नेपाल में राजनीतिक उथलपुथल: भ्रष्टाचार के खिलाफ जेनजी आंदोलन ने सत्ता को हिला डाला

इस सप्ताह के आरंभ में पूरे नेपाल को 40 घंटे से अधिक समय तक उग्र आक्रोश का सामना करना पड़ा जिसने संपत्ति को इतना नुकसान पहुंचाया जिसका आकलन कर पाना मुश्किल है। उदाहरण के लिए सिंह दरबार जिसे 1908 में काठमांडू में निजी आवास के लिए बारोक शैली में बनाया गया था और जिसे बाद […]

आज का अखबार, लेख

महाराष्ट्र में भाजपा का बढ़ता दबदबा और उद्धव-राज की एकजुटता से बदले राजनीतिक समीकरण

गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में गणपति कूटनीति का एक पारंपरिक अवसर है। यह ऐसा अवसर है जब मनमुटावों को भुलाया जाता है और मतभेदों को दूर किया जाता है। ठाकरे परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ जब शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने परिवार के साथ करीब 20 वर्ष बाद गणपति पूजा […]

अंतरराष्ट्रीय, आज का अखबार, भारत

ट्रंप के भरोसेमंद सर्जियो गोर बने भारत में नए अमेरिकी राजदूत: देश के लिए अवसर या चुनौती?

उन्हें व्यापार या आर्थिक प्रबंधन का कोई अनुभव नहीं है। उनका प्रकाशन कारोबार भी  चुनिंदा पाठकों तक ही सीमित था। उनकी भू-राजनीति में भी दिलचस्पी नहीं है और न ही उन्हें दक्षिण एशिया या भारत की कोई विशेष समझ है। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि भारत में अमेरिका के नए राजदूत सर्जियो गोरोकोव्सकी या […]

आज का अखबार, लेख

मणिपुर और म्यांमार सीमा पर राजनीतिक आंच की ताप: पूर्वोत्तर के लिए द्विदलीय भागीदारी जरूरी

देश में विपक्ष द्वारा उठाए गए चुनाव संबंधी गड़बड़ियों के मुद्दे के बीच अगस्त महीने में दो महत्त्वपूर्ण घटनाएं हुईं, जिन पर किसी का ध्यान नहीं गया। पहली, 1 अगस्त को पड़ोसी देश म्यांमार की सेना ने फरवरी 2021 से लगाए गए आपातकाल को खत्म दिया ताकि वहां दिसंबर में चुनाव हो सकें। दूसरी घटना […]

आज का अखबार, राजनीति

झारखंड की मजबूत आवाज थे ‘गुरुजी’

कुछ हफ्ते पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झारखंड इकाई के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शिबू सोरेन के गंभीर रूप से बीमार होने की जानकारी मिलने पर बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था, ‘मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बहुत योगदान दिया है और मैं प्रार्थना […]

आज का अखबार, लेख

सियासी हलचल: पत्रकारिता से संसद तक का सफर: चंद्रशेखर की विरासत लेकर चले हैं हरिवंश

राज्य सभा का उप सभापति (लोक सभा में उपाध्यक्ष होते हैं और राज्य सभा में उप सभापति होते हैं, जिनका पद 2019 से ही खाली पड़ा है) होना कोई आसान काम नहीं है। सभापति प्रश्नकाल में सदन की अध्यक्षता करते हैं और इसके पूरे होते ही आसन छोड़ देते हैं। शून्य काल (जब सदस्यों को […]

आज का अखबार, लेख

सियासी हलचल: तेदेपा-भाजपा रिश्तों के लिए परीक्षा की घड़ी, एसआईआर पर विरोध से उठे सवाल

गत सप्ताह तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर आपत्ति दर्ज कराने के लिए चुनाव आयोग का रुख किया और विपक्ष के सुर में सुर मिला दिए। इस पर कई लोगों ने कहा कि तेदेपा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रिश्ते खराब होने लगे हैं और राष्ट्रीय […]

आज का अखबार, लेख

सिद्धरमैया बनाम डीके शिवकुमार: कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता के पीछे छिपी कलह, प्रदेश नेतृत्व में जंग तेज

समय रहते अपनी सेवानिवृत्ति घोषित करना क्या हमेशा बेहतर रहता है? कारोबारी जगत में इससे अपनी उत्तराधिकार योजना तैयार करने में मदद मिल सकती है लेकिन राजनीति में शायद ऐसा नहीं होता। यह संभव है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा कर्नाटक में 2023 के चुनावों में यह कहना कि ‘यह मेरा आखिरी चुनाव है’ […]

आज का अखबार, लेख

सियासी हलचल: नीतीश फिर केंद्र में, लेकिन भाजपा की नजर उत्तराधिकार पर

बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक दलित विधायक के साथ हाल ही में हुई बातचीत में राज्य में आगामी विधान सभा चुनाव के बारे में नई सच्चाई सामने आई। समस्तीपुर क्षेत्र के विधायक एक गणितज्ञ हैं, वह पंचायत और बाद में 2020 के विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा द्वारा उनकी सेवाएं […]

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