भारत में पिछले सप्ताह वैश्विक फंडों की बड़ी बिकवाली देखी गई। इन फंडों ने 63.2 करोड़ डॉलर की निकासी की जो 15 जनवरी के बाद से सर्वाधिक है। इलारा कैपिटल के अनुसार इसमें से करीब दो-तिहाई या 41.8 करोड़ डॉलर की निकासी भारत-केंद्रित फंडों से हुई जो 19 फरवरी के बाद से इस श्रेणी में सबसे बड़ी बिकवाली है।
यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब भारी निकासी हुई है। इसने पिछले लगातार निवेश के सिलसिले को तोड़ दिया है। पिछले पांच सप्ताह में भारत-केंद्रित ऐक्टिव फंडों ने कुल मिलाकर 36.2 करोड़ डॉलर की निकासी दर्ज की है। भारतीय इक्विटी को ट्रैक करने वाले एक्सचेंज-ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) से भी पिछले दो सप्ताह में 45.6 करोड़ डॉलर की बिकवाली हुई है।
सबसे ज्यादा बिकवाली आईशेयर्स एमएससीआई इंडिया ईटीएफ (12 करोड़ डॉलर), फ्रैंकलिन एफटीएसई इंडिया ईटीएफ (4.8 करोड़ डॉलर), विजडमट्री इंडिया अर्निंग्स फंड (4.5 करोड़ डॉलर) और श्रोडर इंटरनैशनल सलेक्शन फंड इंडियन इक्विटी (3.4 करोड़ डॉलर) से हुई। भारतीय बाजार में आसान पहुंच के लिए जाने जाने वाले इन लोकप्रिय ईटीएफ से अमेरिकी व्यापार शुल्कों और सुस्त कॉरपोरेट आय की चिंताओं के बीच निकासी हो रही है। ईटीएफ और वैश्विक फंडों के अलावा भारतीय बाजार अन्य विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों से भी बिकवाली के दबाव का सामना कर रहे हैं।
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पिछले सप्ताह सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार छठी साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई जो 3 अप्रैल, 2020 को समाप्त सप्ताह के बाद से सबसे लंबी गिरावट का सिलसिला है। इलारा कैपिटल ने इस बात पर जोर दिया कि उभरते बाजार (ईएम) के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की अवधि के बाद अक्टूबर 2024 की तरह बिकवाली की नई लहर का सामना कर रहे हैं।
पिछले सप्ताह, 86 प्रतिशत उभरते बाजारों से एक साथ विदेशी पूंजी की निकासी हुई। इससे वैश्विक पूंजी का अमेरिका और ब्रिटेन के बाजारों की ओर रुख का पता चलता है। उभरते बाजारों से कुल निकासी 3.6 अरब डॉलर रही जिसमें ब्रिटेन और अमेरिका के प्रत्येक फंड का योगदान लगभग 1 अरब डॉलर रहा। सबसे बड़े उभरते बाजारों की निकासी में चीन (72.3 करोड़ डॉलर), भारत (63.2 करोड़ डॉलर), ताइवान (38.1 करोड़ डॉलर), दक्षिण कोरिया (15.5 करोड़ डॉलर) और ब्राजील (13.3 करोड़ डॉलर) शामिल थे।
पिछले सप्ताह वैश्विक इक्विटी बाजारों में भी भारी गिरावट आई और वैश्विक इक्विटी फंडों से शुद्ध बिकवाली 41.7 अरब डॉलर तक पहुंच गई जो पिछले 30 महीनों में प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) के सापेक्ष सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। गिरावट मुख्य रूप से प्रमुख विदेशी फंडों द्वारा अमेरिकी इक्विटी से बड़ी मात्रा में निकासी के कारण हुई।
निकासी में अकेले अमेरिकी शेयरों का योगदान 27.8 अरब डॉलर का रहा। ब्लैकरॉक एसीएस यूएस इक्विटी ट्रैकर फंड ने 28.5 अरब डॉलर की निकासी दर्ज की जबकि एसपीडीआर एसऐंडपी 500 ईटीएफ और आईशेयर्स रसेल 2000 ईटीएफ में क्रमशः 5.6 अरब डॉलर और 1.7 अरब डॉलर की निकासी हुई। कुल मिलाकर, विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी इक्विटी से लगभग 35 अरब डॉलर निकाले जो अगस्त 2011 के बाद से सबसे बड़ी साप्ताहिक निकासी है, जब एसऐंडपी ने अमेरिकी डेट को डाउनग्रेड किया था।
यह स्थिति वैश्विक विकास पर अमेरिकी टैरिफ के असर को लेकर बढ़ती अनिश्चितता दर्शाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारी बिकवाली से पता चलता है कि आर्थिक परिदृश्य और मुद्रा में उतार-चढ़ाव के बीच निवेशक सतर्क हैं। उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों में उथल-पुथल के बीच पूंजी अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पारंपरिक सुरक्षित ठिकानों की ओर वापस जा रही है।