भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने सेहत और वित्तीय मामलों पर जानकारी देने वाले मशहूर लोगों के लिए अपने ‘इनफ्लूएंसर विज्ञापन दिशानिर्देशों’ में बदलाव किया है जिससे इन्फ्लूएंसरों को राहत मिल सकती है। सोमवार को जारी नए नियमों में सामान्य प्रचार और किसी उत्पाद या सेवा के तकनीकी पहलुओं के प्रचार के बीच अंतर किया गया है। किसी उत्पाद या सेवाओं के तकनीकी पहलुओं के प्रचार को उपभोक्ता विशेषज्ञ की सलाह के तौर पर ले सकते हैं।
नए नियमों के मुताबिक अब सामान्य प्रचार के लिए इन्फ्लूएंसरों के पास पेशेवर योग्यता की जरूरत नहीं होगी। एएससीआई के अद्यतन दिशानिर्देशों के मुताबिक सामान्य प्रचार में इस तरह के प्रचार शामिल हैं जैसे कि एक बीमा कंपनी किसी इन्फ्लूएंसर का इस्तेमाल सालाना सेहत जांच की जरूरत के बारे में बात करने के लिए या फिर कोई स्वास्थ्यवर्धक खाद्य कंपनी एक शेफ या फूड ब्लॉगर के साथ मिलकर भोजन आदि से जुड़ी सेवाओं को बढ़ावा देती है।
एएससीआई ने एक बयान में कहा कि पहले बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (बीएफएसआई) तथा सेहत और पौष्टिक चीजों से जुड़े उत्पादों की खासियत तथा उनके अवगुणों पर सलाह देने, टिप्पणी करने वाले सभी इन्फ्लूएंसरों के पास जरूरी योग्यता और प्रमाणपत्र होना जरूरी था। अब बीएफएसआई और स्वास्थ्य से जुड़े क्षेत्र के इनफ्लूएंसरों के पास प्रासंगिक योग्यताएं होनी जरूरी होंगी और ऐसी योग्यताओं की घोषणा केवल तभी करनी होगी जब तकनीकी जानकारी और सलाह दी जाती हो। एएससीआई की मुख्य कार्याधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग सामान्य करार से आगे बढ़कर अब ब्रांड संचार के विभिन्न पहलुओं के लिए रणनीतिक साझेदारी में बदल गई है। अद्यतन दिशानिर्देश के जरिये बीएफएसआई और स्वास्थ्य तथा पौष्टिकता से जुड़े क्षेत्र में काम करने वाले इन्फ्लूएंसरों के लिए अब यह विशेषज्ञता वाला मामला होगा।’
टीआरए रिसर्च के सीईओ एन चंद्रमौलि का कहना है कि इस दिशानिर्देशों को अद्यतन किए जाने से इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग के लिए सहयोग के तरीके में बदलाव आ सकता है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे दिशानिर्देश के कारण जो इन्फ्लूएंसर या सलाहकार नहीं हैं वे सलाहकार के रूप में बाजार में आएंगे। उदाहरण के तौर पर जैसे कई डॉक्टर अभी तक प्रचार और मार्केटिंग में सक्रिय नहीं हैं। बाजार में इन्फ्लूएंसर के बजाय सलाहकारों का दायरा बढ़ सकता है।’