फोक्सवैगन इंडिया की नजर अगले दो साल के दौरान भारतीय यात्री वाहन बाजार में तीन प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने पर है, इसलिए वह अपने दो प्रमुख मॉडल – वर्टस (सिडैन) और टाइगन (एसयूवी) के लिए पुर्जों के स्थानीय निर्माण को मौजूदा 92 प्रतिशत से बढ़ाकर 95 प्रतिशत कर रही है। वर्तमान में कंपनी के पास 2.4 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।
स्थानीय निर्माण की अपनी योजनाओं के बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए फोक्सवैगन पैसेंजर कार्स इंडिया के ब्रांड निदेशक आशीष गुप्ता ने कहा कि हमारी कारें पहले ही 90 प्रतिशत तक स्थानीय रूप से निर्मित हैं, हालांकि हमारे वर्चुस और टैगन मॉडलों के लिए यह लक्ष्य लगभग 95 प्रतिशत का है, जिन्हें भारत के हमारे चाकण (पुणे) संयंत्र में असेंबल और उत्पादित किया जाता है।
इसलिए पहले से ही बड़े स्तर पर स्थानीय निर्माण हो रहा है तथा इस पर ध्यान भी केंद्रित है। फोक्सवैगन इंडिया के मार्केटिंग और पीआर प्रमुख एबे थॉमस ने कहा कि अगले डेढ़ से दो साल के दौरान बाजार हिस्सेदारी निश्चित रूप से कम से कम तीन प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, जो देश में सालाना तकरीबन 37 लाख से 38 लाख तक कार बिक्री के मद्देनजर वास्तव में बड़ी है।
इस साल की दूसरी तिमाही के दौरान उद्योग में अन्य कंपनियों की ही तरह फोक्सवैगन पैसेंजर कार्स इंडिया को पुर्जों की वैश्विक समस्या के कारण आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ा है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि वर्ष के उत्तरार्ध में परिचालन सुचारु हो जाएगा।