नए वित्त वर्ष के लिए कर बचाने की योजना और जुगत अप्रैल से ही शुरू हो जानी चाहिए और इसी महीने इस पर काम भी शुरू हो जाना चाहिए। फॉर्म 15जी या 15एच जमा कर आप ब्याज से होने वाली आय पर टीडीएस (आय के स्रोत पर ही कटने वाला कर) देने से बच सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 197 के तहत आवेदन कर आप कम टीडीएस देने का रास्ता भी चुन सकते हैं।
टैक्समैन में वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च ऐंड एडवाइजरी) नवीन वाधवा कहते हैं, ‘यदि आय प्राप्त करने वाला व्यक्ति कर वसूलने वाले के पास पहले ही कर नहीं काटने का आवेदन कर देता है तो उस खास भुगतान के लिए कर काटने की जरूरत नहीं पड़ती।’
कर नहीं काटने का आवेदन वरिष्ठ नागरिकों को फॉर्म 15एच के जरिये करना पड़ता है और बाकी लोग फॉर्म 15जी भरते हैं। ये फॉर्म जमा करने के बाद ब्याज से होने वाली आय, किराये, बीमा कमीशन और कर्मचारी भविष्य निधि से की गई निकासी पर टीडीएस नहीं कटता।
मगर यह रियायत तभी मिलती है, जब आपकी आय छूट की मूल सीमा के भीतर हो। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में प्रिंसिपल असोसिएट देवांश जैन समझाते हैं, ‘इन फॉर्म से करदाता को आयकर रिटर्न भरने के आम तरीके का इंतजार नहीं करना पड़ता और वह कटौती से होने वाले फायदे का दावा पहले ही कर देता है।’ आम तौर पर टीडीएस रिफंड का दावा वित्त वर्ष के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करते समय ही किया जा सकता है। ये फॉर्म हर वित्त वर्ष की शुरुआत में ही जमा करने होते हैं।
फॉर्म 15जी
यह फॉर्म 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए है। सिंघानिया ऐंड कंपनी के पार्टनर अमित बंसल कहते हैं, ‘व्यक्ति घोषणा करता है कि उसकी कुल आय कर योग्य आय की सीमा से कम है, इसलिए ब्याज से होने वाली आय पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाना चाहिए।’
जिन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों को ब्याज से आय होती है, वे इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। मगर ब्याज समेत कुल आय 2.5 लाख रुपये सालाना की मूल छूट सीमा से कम होनी चाहिए। अकॉर्ड ज्यूरिस एलएलपी में पार्टनर अलै रजवी बताते हैं, ‘बैंक में जमा रकम पर किसी साल अगर 40,000 रुपये से ज्यादा ब्याज आता है तो वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर बाकी सभी व्यक्तियों को 10 फीसदी टीडीएस देना पड़ता है।’
फॉर्म 15एच
वरिष्ठ और अत्यंत वरिष्ठ यानी वयोवृद्ध नागरिक यह फॉर्म जमा कर सकते हैं। जैन कहते हैं, ‘वरिष्ठ नागरिक के लिए छूट की मूल सीमा 5 लाख रुपये है। यदि धारा 87ए के तहत मिलने वाली छूट के बाद 60 साल या उससे अधिक उम्र वाले निवासी वरिष्ठ नागरिक की कुल अनुमानित आय पर शून्य कर बनता है तो वह कर नहीं काटे जाने का हलफनामा दायर कर सकता है। धारा 87ए के तहत किसी वित्त वर्ष में 100 फीसदी छूट मिल जाती है मगर यह 12,500 रुपये से अधिक नहीं होती।’
वरिष्ठ नागरिकों को बैंक में जमा रकम पर अगर 50,000 रुपये से अधिक का ब्याज मिल रहा है तो उस पर 10 फीसदी टीडीएस काटा जाता है।
क्या है तरीका
छूट का पात्र व्यक्ति भुगतान करने वाले व्यक्ति फॉर्म 15जी या फॉर्म 15एच की दूसरी प्रति दे सकता है। वाधना बताते हैं, ‘लिखित फॉर्म नहीं दे सकें तो इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया के जरिये समुचित सत्यापन (ओटीपी और मोबाइल नंबर के जरिये ऑनलाइन सत्यापन) के बाद ये फॉर्म ऑनलाइन भी भेजे जा सकते हैं। रकम पाने वाले व्यक्ति को भुगतान करने वाले व्यक्ति के पास हलफनामा अपनी स्थायी लेखा संख्या (पैन) के साथ ही जमा करना चाहिए।’
गुमराह करने पर सजा
ये फॉर्म जमा करते समय बहुत सतर्कता बरतें क्योंकि गलत घोषणा करने या जानकारी देने पर सजा और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। जैन समझाते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति गलत जानकारी देने का दोषी पाया जाता है तो आयकर अधिनियम 1961 की धारा 277ए के तहत उसे कम से कम तीन महीने और अधिकतम दो साल तक की कैद हो सकती है। साथ में उसे जुर्माना भी देना पड़ता है। ‘
धारा 197
फॉर्म 15जी या 15एच जमा करने के बजाय आयकर अधिनियम की धारा 197 के तहत आवेदन कर कम टीडीएस कटवाने का विकल्प भी चुना जा सकता है। उच्चतम न्यायालय में वकील संदीप बजाज समझाते हैं, ‘आयकर अधिनियम के इस प्रावधान के मुताबिक यदि किसी करदाता की वास्तविक कर योग्य आय काटे गए टीडीएस की रकम से कम है तो वह लोअर डिडक्शन सर्टिफिकेट (एलडीसी) के लिए आवेदन कर सकता है।’
बंसल इसकी प्रक्रिया समझाते हुए कहते हैं कि इसके लिए कर निर्धारण अधिकारी के पास आवेदन करना होता है और उसे बताना होता है कि कम टीडीएस क्यों काटा जाना चाहिए। इसके बाद अधिकारी सर्टिफिकेट जारी कर सकता है, जिसमें कर काटने वाले को कम टीडीएस काटने या बिल्कुल नहीं काटने का निर्देश दिया जाता है।
फॉर्म 15जी और 15एच उन लोगों के लिए हैं, जिनका कुल आय पर कोई कर ही नहीं बनता। विशेषज्ञों का कहना है कि धारा 197 उन लोगों के लिए सही रहेगी, जिनकी आय फॉर्म 15जी और 15एच के लिए तय की गई सीमा से अधिक है और जो चाहते हैं कि उनका कम टीडीएस कटे। लेकिन धारा 197 के तहत आवेदन करने और उस पर कार्रवाई होने में ज्यादा वक्त लग सकता है।